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- Ratan Tata First Death Anniversary | Tata Group Faces Leadership Changes And Growing Controversies
नई दिल्ली32 मिनट पहले
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रतन टाटा की आज पहली डेथ एनिवर्सरी है। पिछले साल 9 अक्टूबर 2024 को 86 साल की उम्र में उनका निधन हुआ था। इसके बाद टाटा ग्रुप में लीडरशिप से लेकर कई बड़े बदलाव हुए हैं। इसके अलावा उनके जाने के बाद से ग्रुप में कई विवाद भी चल रहे हैं। पांच पॉइंट्स में जानें…
1. टाटा ट्रस्ट और संस के बोर्ड में शामिल हुए नोएल
रतन टाटा के निधन के बाद अक्टूबर 2024 में उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट का चेयरमैन बनाया गया। टाटा ट्रस्ट, टाटा ग्रुप के 65% शेयरों को कंट्रोल करता है। वहीं नवंबर 2024 में नोएल को टाटा संस के बोर्ड में भी शामिल किया गया।
2011 के बाद यह पहली बार है, जब टाटा परिवार का कोई सदस्य दोनों बोर्ड्स में शामिल है। टाटा संस होल्डिंग कंपनी है, जो टाटा मोटर्स, टाटा स्टील और TCS जैसी कंपनियों को चलाती है।
नोएल की यह नियुक्ति ट्रस्ट के नामित सदस्य के रूप में हुई, जो दिखाता है कि वे अब ग्रुप की रणनीति और भविष्य की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। नोएल पहले से ही टाटा ग्रुप की कंपनी ट्रेंट लिमिटेड (वेस्टसाइड और जारा जैसे ब्रांड्स) के चेयरमैन भी हैं।

रतन टाटा के निधन के बाद नोएल इकलौते दावेदार थे
रतन टाटा के निधन के बाद नोएल इकलौते दावेदार थे। हालांकि उनके भाई जिम्मी का नाम भी चर्चा में था, लेकिन वे पहले ही रिटायर हो चुके थे। नोएल नवल टाटा की दूसरी पत्नी सिमोन के बेटे हैं। वहीं रतन टाटा और जिम्मी टाटा नवल और उनकी पहली पत्नी सूनी की संतान हैं।
नोएल ने टाटा इंटरनेशनल से अपने करियर की शुरुआत की थी। 1999 में वे ग्रुप की रिटेल शाखा ट्रेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर बनाए गए थे। इसे उनकी मां सिमोन ने शुरू किया था। 2010-11 में उन्हें टाटा इंटरनेशनल का चेयरमैन बनाया गया था।

2. रतन टाटा के निधन के बाद विवाद
रतन टाटा के जाने के बाद उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट्स का चेयरमैन बनाया गया, लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया यह फैसला ट्रस्ट के भीतर एकमत नहीं था। इसके बाद ट्रस्ट में मेहली मिस्त्री जैसे पुराने ताकतवर सदस्यों का एक गुट बन गया, जो नोएल टाटा और टाटा सन्स के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन के फैसलों में सीधा दखल चाहता है।
ट्रस्ट की आंतरिक लड़ाई का सबसे बड़ा असर टाटा सन्स के बोर्ड पर पड़ा, जहां कुछ नॉमिनी डायरेक्टर्स के रिटायर होने से सीटें खाली हो गईं। टाटा ट्रस्ट्स को इन सीटों पर नए सदस्यों की नियुक्ति करनी थी, लेकिन नोएल टाटा के नेतृत्व वाला गुट और मिस्त्री गुट किसी भी नाम पर सहमत नहीं हो पा रहे थे। उदय कोटक जैसे बड़े नामों को भी अस्वीकृति कर दिया गया।

- री-अपॉइंटमेंट पर विवाद: इस विवाद ने तूल पकड़ा जब टाटा सन्स के नॉमिनी डायरेक्टर विजय सिंह को इस्तीफा देना पड़ा। नोएल टाटा चाहते थे कि विजय सिंह बोर्ड में बने रहे, लेकिन मिस्त्री गुट ने उनके री-अपॉइंटमेंट को स्वीकार नहीं किया।
- ट्रस्ट में सरकारी दखल: यह विवाद इतना बढ़ गया कि केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा। गृह मंत्री अमित शाह ने नोएल टाटा और एन. चंद्रशेखरन को से मुलाकात की और स्थिरता लाने और कड़े कदम उठाने का सख्त निर्देश दिया गया।
विवाद से जुड़ी पूरी खबर यहां पढ़े…
3. शांतनु को वसीयत में हिस्सेदारी मिली, अब यंगेस्ट मैनेजर बने
रतन टाटा ने अपनी 10 हजार करोड़ रुपए की वसीयत में कुछ हिस्सेदारी शांतनु नायडू को भी दी थी। शांतनु रतन टाटा के एग्जीक्यूटिव असिस्टेंट और करीबी दोस्त थे। टाटा ने अपनी विल में शांतनु का एजुकेशन लोन माफ किया था।
इसके अलावा उन्होंने शांतनु के स्टार्टअप ‘गुडफेलोज’ (सीनियर सिटीजन्स के लिए कंपैनियनशिप सर्विस) में अपना स्टेक वापस लौटा दिया था, ताकि वो अपने सोशल वेंचर को आगे बढ़ा सकें।

शांतनु नायडू रतन टाटा के एग्जीक्यूटिव असिस्टेंट और करीबी दोस्त थे।
निधन के बाद शांतनु को क्या जिम्मेदारी मिली?
रतन टाटा के निधन के बाद भी शांतनु ने जनवरी 2025 तक रतन टाटा के निजी कार्यालय में काम किया। इसके बाद फरवरी में वे टाटा ग्रुप के सबसे यंगेस्ट मैनेजर बने। उन्हें टाटा मोटर्स में प्रमोट कर जनरल मैनेजर और हेड ऑफ स्ट्रैटेजिक इनिशिएटिव्स चुना गया।
अब शांतनु टाटा मोटर्स में इलेक्ट्रिक व्हीकल इनोवेशन स्ट्रैटेजिक प्रोजेक्ट्स संभालते हैं। उनके पिता भी इसी टाटा मोटर्स प्लांट में काम करते थे। इसके अलावा शांतनु अपना स्टार्टअप गुडफेलोज चला रहे हैं। गुडफेलो को सितंबर 2022 में लॉन्च किया गया था।

डॉग्स के लिए इनोवेशन कर टाटा की नजर में आए शांतनु
शांतनु नायडू अपनी इंजीनियरिंग कंप्लीट कर 2014 में टाटा एल्क्सी में काम करते थे। एक दिन उन्होंने सड़क पर स्ट्रे डॉग्स को गाड़ियों से बचाने का आइडिया सोचा। उन्होंने रिफ्लेक्टिव कॉलर्स (चमकने वाले कॉलर) बनाए, जो रात में डॉग्स को दिखाए।
यह प्रोजेक्ट ‘मोटोपॉज’ नाम से वायरल हो गया। शांतनु ने टाटा ग्रुप के न्यूजलेटर में फीचर होने के बाद रतन टाटा को लेटर लिखा और फंडिंग मांगी।
रतन खुद डॉग्स के शौकीन थे। उन्होंने लेटर का जवाब दिया और मुंबई बुलाकर शांतनु की तारीफ की। इस तरह रतन टाटा और शांतनु की दोस्ती की शुरुआत हुई। 2018 में शांतनु MBA कम्प्लीट करने के बाद रतन टाटा के असिस्टेंट बने।
4. नई पीढ़ी को कमान
रतन टाटा के निधन के बाद नोएल के बच्चों ने भी टाटा ग्रुप में नई जिम्मेदारियां संभाली हैं। जनवरी 2025 में माया टाटा (36 साल), लिआह टाटा (39 साल) और नेविल टाटा (32 साल) को सर रतन टाटा इंडस्ट्रियल इंस्टीट्यूट (SRTII) के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज में शामिल किया गया।
SRTII महिलाओं को सिलाई, खाना बनाना जैसे स्किल्स की ट्रेनिंग देने वाला संस्थान है। इसकी स्थापना रतन टाटा की दादी नवजबाई टाटा ने 1928 में की थी। यह नियुक्ति SRTII के रिनोवेशन के लिए हुई, जो महिलाओं के सशक्तिकरण पर फोकस करता है।
ये दोनों बहनें SRTII के अलावा दोराबजी टाटा ट्रस्ट और रतन टाटा ट्रस्ट से जुड़े छोटे ट्रस्ट्स की ट्रस्टी भी हैं। यह कदम टाटा ग्रुप में अगली पीढ़ी को तैयार करने की रणनीति का हिस्सा है।
- माया टाटा: वे पहले से टाटा डिजिटल से जुड़ी हैं, जहां वे टाटा नियो एप की टीम का हिस्सा हैं। टाटा कैपिटल से करियर शुरू करने वाली माया अब डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन को लीड कर रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी नेट वर्थ करीब 100 करोड़ रुपए है।
- लिआह टाटा: इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (IHCL) में वाइस प्रेसिडेंट हैं। स्पेन के IE बिजनेस स्कूल से मार्केटिंग में मास्टर्स करने वाली लिआह ताज होटल्स के विस्तार पर काम कर रही हैं। वे कस्टमर एक्सपीरियंस और ब्रांड ग्रोथ को मजबूत बनाने में लगी हैं।
- नेविल टाटा: नोएल के बेटे नेविल टाटा को भी SRTII और छोटे ट्रस्ट्स में ट्रस्टी बनाया गया है। नेविल टाटा स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट्स में काम करते हैं और परिवार के कारोबार में एक्टिव हैं। उनकी पत्नी मानसी किर्लोस्कर (किर्लोस्कर ग्रुप से) भी इन-डायरेक्ट टाटा ग्रुप जुड़ी हैं। नेविल अभी मुख्य भूमिकाओं में नहीं हैं, लेकिन वे भविष्य के लीडर के रूप में देखे जा रहे हैं। उनके दो बच्चे- जमशेद और तियाना परिवार की चौथी पीढ़ी हैं, लेकिन अभी वे छोटे हैं।

5. टाटा ट्रस्ट और कंपनियों में 4 बड़े बदलाव हुए
- CFO और COO पोस्ट्स खत्म: नोएल टाटा ने चीफ फाइनेंस ऑफिसर (CFO) और चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) की पोस्ट्स बंद कर दीं। ट्रस्ट का मैनेजमेंट कॉस्ट ₹180 करोड़ तक पहुँच गया था, जिसे कम करने के लिए यह फैसला लिया गया।
- ट्रस्टीज को परमानेंट मेंबरशिप: सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टीज अब हमेशा के लिए मेंबर रहेंगे। रिटायरमेंट सिर्फ वॉलंटरी होगा। पहले ट्रस्टीज की सदस्यता एक फिक्स्ड टर्म) के लिए होती थी। अनुभवी लोगों को लंबे समय तक रखने और ग्रुप की विरासत मजबूत करने ये फैसला लिया गया।
- नई अपॉइंटमेंट्स पर 100% सहमति जरूरी: ट्रस्ट में कोई भी नया सदस्य तभी शामिल किया जा सकता है, जब सभी मौजूदा सदस्य (100%) उस नाम पर सहमत हों। इससे भविष्य में कोई भी फैसला या नियुक्ति पहले से मजबूत और विवाद-मुक्त होगी।
- 75 पार के डायरेक्टर्स का हर साल री-अपॉइंटमेंट जरूरी: टाटा सन्स में जो नॉमिनी डायरेक्टर्स 75 साल की उम्र पार कर चुके हैं, उन्हें अब हर साल बोर्ड में अपनी सदस्यता के लिए दोबारा नियुक्ति की प्रक्रिया से गुजरना होगा। यह नियम सीनियर्स को कंट्रोल करने के लिए लाया गया।