rama Ekadashi and Dwadashi on 28th October, significance of rama ekadashi in hindi, laxmi vishnu puja vidhi | 28 अक्टूबर को एकादशी और द्वादशी तिथि: सोमवार को किया जाएगा रमा एकादशी का व्रत, विष्णु-महालक्ष्मी के साथ करें भगवान शिव की पूजा

35 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

रविवार 27 अक्टूबर की सुबह करीब 7.15 बजे तक कार्तिक कृष्ण दशमी रहेगी, इसके बाद एकादशी (रमा एकादशी) शुरू हो जाएगी, जो कि अगले दिन यानी 28 अक्टूबर (सोमवार) की सुबह करीब 8.40 बजे तक रहेगी। इसके बाद द्वादशी तिथि शुरू होगी। तिथियों की घट-बढ़ की वजह से दीपावली की तारीख को लेकर भी पंचांग भेद हैं। इस साल कार्तिक मास की अमावस्या 2 दिन यानी 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को रहेगी, लेकिन 31 अक्टूबर की रात अमावस्या होने से इसी दिन दीपावली मनाना ज्यादा शुभ है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, एकादशी तिथि पर सूर्योदय का महत्व काफी अधिक है। 28 तारीख को सूर्य के समय एकादशी तिथि रहेगी और फिर करीब 8.40 बजे से द्वादशी तिथि शुरू होगी। एकादशी और द्वादशी के योग वाले दिन एकादशी व्रत करना ज्यादा शुभ रहता है। इसलिए रमा एकादशी का व्रत सोमवार को किया जाएगा। इस तिथि को रंभा एकादशी भी कहते हैं।

महालक्ष्मी के नाम पर है इस एकादशी के नाम

दीपावली से पहले आने वाली इस एकादशी का महत्व काफी अधिक है, क्योंकि ये इस तिथि का नाम महालक्ष्मी के नाम पर ही है। इस वजह से इस एकादशी पर विष्णु और महालक्ष्मी की विशेष पूजा करनी चाहिए। रमा महालक्ष्मी का ही एक नाम है।

रमा एकादशी पर कर सकते हैं ये शुभ काम

  • एकादशी पर सूर्य को जल चढ़ाने के साथ दिन की शुरुआत करें। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें और ऊँ सूर्याय नम: मंत्र बोलते हुए सूर्य को जल चढ़ाएं।
  • घर के मंदिर में भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी के सामने एकादशी व्रत और पूजा करने का संकल्प लें। संकल्प के बाद विष्णु-लक्ष्मी का अभिषेक करें। दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करते हुए दूध की धारा देवी-देवता की मूर्तियों पर चढ़ाएं।
  • दूध के बाद शुद्ध जल चढ़ाएं। हार-फूल और पीले चमकीले वस्त्र पहनाएं। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा में हुई जानी-अनजानी भूल के लिए भगवान से क्षमा मांगे।
  • इस तरह पूजा पूरी हो जाती है। इसके बाद प्रसाद बांटें और खुद भी ग्रहण करें। जो लोग एकादशी व्रत करते हैं, उन्हें दिनभर निराहार रहना चाहिए। अगर पूरे दिन भूखे रहना संभव न हो तो फलाहार और दूध का सेवन कर सकते हैं। लेकिन, पूरे दिन अन्न का त्याग जरूर करें।
  • शाम को भी लक्ष्मी-विष्णु की विधिवत पूजा करें। तुलसी के पास दीपक जलाएं, चुनरी ओढ़ाएं।

सोमवार और एकादशी के योग में करें शिव पूजा

  • रमा एकादशी और सोमवार का योग होने से इस दिन भगवान शिव की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और चांदी के लोटे से दूध अर्पित करें। इसके बाद दोबारा जल चढ़ाएं।
  • ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करते हुए शिवलिंग चंदन का लेप करें, बिल्व पत्र, आंकड़े के फूल, धतूरा चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं और धूप-दीप जलाएं।
  • शिवलिंग के सामने बैठकर शिव जी के मंत्र जपें। मंत्र जप कम से कम 108 बार करें। पूजा के अंत में क्षमा याचना करें। प्रसाद बांटें और खुद भी लें।

खबरें और भी हैं…

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *