विश्व शिल्प परिषद एशिया-प्रशांत क्षेत्र (WCC APR) का जयपुर में तीन दिवसीय 39वां क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित करने जा रहा है। जयपुर, जो एक मान्यता प्राप्त विश्व शिल्प शहर है, शिल्पों क भविष्य पर चर्चा करने, सततता का अन्वेषण करने और आपसी सांस्कृतिक सीखने क
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यह ऐतिहासिक आयोजन हर चार वर्षों में एक बार आयोजित किया जाता है, और इसमें विश्व शिल्प परिषद को छह एशिया- प्रशांत क्षेत्रों को सम्मानित अध्यक्ष और प्रतिनिधि एकत्र हुए, जिसमें मध्य, पूर्व, दक्षिण, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण प्रशांत और पश्चिम एशिया शामिल हैं। क्षेत्रीय सम्मेलन के पहले दिन उद्घाटन सत्र में उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने शिरकत की। वहीं सम्मेलन में 30 से अधिक देशों को प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया, जिनमें 40-45 प्रमुख हस्तियां, प्रसिद्ध विशेषज्ञ और भारत तथा दुनिया भर से 100 से अधिक शिल्पकला विशेषज्ञ शामिल हुए।
इस आयोजन में पारंपरिक और समकालीन शिल्पों की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को विभिन्न गतिविधियों क माध्यम से प्रदर्शित किया गया। उपस्थित लोग ज्ञानवर्धक चर्चाओं में भाग लेने, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और भारतीय हथकरघा और शिल्प परंपराओं की वैश्विक दृश्यता का समर्थन करने का अवसर पाएंगे।
यह कार्यक्रम राजस्थान पर्यटन, राजस्थान सरकार, विकास आयुक्त (हस्तशिल्प), वस्त्र मंत्रालय, विकास आयुक्त (हथकरघा), वस्त्र मंत्रालय, नीला हाउस, शिल्प परिषद भारत, FICCI FLO और अन्य प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा प्रायोजित है।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा- प्रदेश में आर्टिसन के काम देश विदेश में बड़ी पहचान मिल रही है। उन्होंने केंद्र और प्रदेश सरकार की ओर से हैंडीक्राफ्ट क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों को बताते हुए इनके विकास के लिए ठोस कदम उठाने का आश्वासन दिया।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए अजीज मुरतज़ाएव, अध्यक्ष WCC APR, शिल्प स्टूडियो इकट उजबेकिस्तान (NE) ने कहा- विश्व शिल्प परिषद – एशिया प्रशांत क्षेत्र (WCC APR) इस सम्मेलन का समर्थन करते हुए गर्व महसूस करता है, जो हमारे समृद्ध शिल्प धरोहर का उत्सव है। यह शिल्पकारों और डिज़ाइनरों को एक साथ लाता है, संवाद, सहयोग और एक उज्जवल भविष्य को लिए प्रेरित करता है।
मंजरी निरुला, सलाहकार WCC APR ने कहा- यह सम्मेलन शिल्पों की समृद्धता का उत्सव मनाने का एक दुर्लभ अवसर है, जो रचनात्मक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है और उनको विकास और संरक्षण को नए रास्तों की खोज करता है।
वहीं डॉ. वंदना भंडारी, पूर्व डीन और प्रोफसर NIFT ने कहा- “यह सम्मेलन सहयोग की शक्ति का प्रतीक है, जो पारंपरिक शिल्पों की सुंदरता को मनाने और संरक्षित करने की लिए विभिन्न आवाजों को एकजुट करता है।