भारतीय प्रबंध संस्थान (भा.प्र.सं.) रायपुर, भारत वित्त सम्मेलन (आईएफसी) 2024 की मेजबानी कर रहा है। यह सम्मेलन भा.प्र.सं. कोलकाता, भा.प्र.सं. बैंगलोर, और भा.प्र.सं. अहमदाबाद के संयुक्त प्रयास से आयोजित किया जा रहा है। 19 से 21 दिसंबर 2024 तक चलने वाले
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अपने ज्ञान को साझा करते हुए उन्होंने आगे कहा- 1950 से 2000 के दशक के दौरान सबसे अधिक विकास हुआ, जिसमें ब्लैक-स्कोल्स मॉडल, कैपिटल एसेट प्राइसिंग मॉडल (सीएपीएम) और मौजूदा लिक्विडिटी उपाय जैसे महत्वपूर्ण योगदान शामिल हैं। समय, आकार, शासन, और फर्मों के स्वामित्व जैसे विभिन्न आयामों को देखते हुए, हमें लगता है कि वित्तीय क्षेत्र में योगदान की काफी संभावनाएं हैं। नई वित्तीय साधन आ सकते हैं और सैद्धांतिक वित्त स्वयं को कुछ हद तक अनुकूलित कर सकता है।

सभा को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि अक्षय साहनी ने कहा- हमें अपने सभी शिक्षकों और प्रोफेसरों के प्रति आभारी होना चाहिए। यह केवल कक्षा का ज्ञान नहीं है, बल्कि जो सीख हम उनसे लेते हैं, वही हमारे साथ जीवन भर रहता है। सबसे बड़े वित्तीय नुकसान अक्सर सबसे बड़े लीवरेज से होते हैं, और यह वित्तीय पतन का कारण बनता है। अगर आप इसके लिए तैयार हैं और संकेतों को पहचान सकते हैं, तो यह निवेश और वित्त की दुनिया में हमेशा एक अच्छा सुझाव है। उन्होंने यह भी कहा- ट्रेडिंग और कैपिटल मार्केट, चाहे आप कितना भी विश्लेषण कर लें, हमेशा संभावनाओं का खेल है, और आप परिणाम के बारे में कभी भी पूरी तरह से निश्चित नहीं हो सकते। छात्रों को सलाह देते हुए उन्होंने कहा- कम दृढ़ विश्वास के साथ किसी छोटे अनिश्चित स्थिति में हस्तक्षेप करने का कोई मतलब नहीं है। अपना होमवर्क करें और जब आपको अवसर दिखे, तो उसे पूरी ताकत से अपनाएं।