दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज खून के दलाल के पार्ट-1 में आपने पढ़ा कि किस तरह दलाल अवैध तरीके से खून बेच रहे हैं। चाहे कोई भी ब्लड ग्रुप हो, 10-14 हजार रुपए में मिल जाता है। डॉक्टर के किसी तरह के फॉर्म तक की जरूरत नहीं। ब्लड बैंक संचालक 1000 से 1100 रु
.
अब पार्ट-2 में पढ़िए कैसे खेला जा रहा है प्लेटलेट्स की कालाबाजारी का खेल…
प्लेटलेट्स यानी डेंगू, मलेरिया के मरीज के लिए संजीवनी। इस घिनौने कारोबार में सिर्फ दलाल ही नहीं डॉक्टर भी शामिल हैं।
पहले पढ़िए दलाल आमिर के साथ बातचीत…
![दलाल आमिर ने O निगेटिव की प्लेटलेट्स दिलाने को तैयार हो गया। उसने कहा कि सभी इंतजाम वो खुद कर लेगा।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/11/22/gif-40_1732266576.gif)
दलाल आमिर ने O निगेटिव की प्लेटलेट्स दिलाने को तैयार हो गया। उसने कहा कि सभी इंतजाम वो खुद कर लेगा।
भास्कर रिपोर्टर ने O निगेटिव की प्लेटलेट्स के लिए पूछा। दलाल आमिर बाेला- काम कठिन है, लेकिन हो जाएगा। अस्पताल से रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ेगा। बेड नंबर और बीमारी भी बतानी पड़ेगी।
रिपोर्टर ने कहा- लेकिन मेरे पास तो कोई डॉक्युमेंट नहीं हैं। इस पर दलाल बोला- दस्तावेज मैं बनवा लूंगा। थैलेसिमिया बीमारी बता देंगे। डॉक्टर की सील भी लगवानी पड़ेगी। बस एडवांस पेमेंट कर देना। रिपोर्टर ने 10 हजार रुपए भेज दिए।
आमिर ने ही डोनर का इंतजाम दिया। बोला- फाॅर्म आयुष्मान ब्लड बैंक सेंटर से भरवाया है। इस पर रिपोर्टर ने पूछा- फॉर्म आयुष्मान से भर रहे हो तो प्लेट्लेट्स दूसरे ब्लड बैंक से क्यों खरीद रहे हो?
दलाल ने जवाब दिया- आयुष्मान वाला जानकार है, लेकिन उसके पास एसडीपी निकालने की सुविधा नहीं है। उसने दूसरे ब्लड सेंटर में फोन कर दिया है। वहां अपनी मदद कर दी जाएगी।
दलाल बोला- डॉक्टर को सिगरेट-जूस में सेट किया
दलाल आमिर ने भास्कर रिपोर्टर को बताया- डॉक्टर की सील लगाकर एक यूनिट प्लेटलेट की रिक्वायरमेंट (जरूरत) डाल दी है। डॉक्टर पुराना जानकार है, इसलिए सिगरेट और जूस में सेट हो गया। बस डोनर का इंतजाम करना पड़ेगा।
रिपोर्टर ने पूछा- पहले वाला डोनर क्यों कैंसिल हो गया? दलाल ने जवाब दिया- उसका वजन नहीं चेक करवाया था। 60 किलो से कम नहीं होना चाहिए।
रिपोर्टर ने सवाल किया- मैं हॉस्पिटल नहीं गया। रजिस्ट्रेशन नंबर और बेड नंबर डाल दिया। कोई दिक्कत तो नहीं होगी? कुल कितना खर्चा पड़ेगा?
दलाल बोला- कोई टेंशन नहीं है। रजिस्ट्रेशन नंबर के लास्ट दो डिजिट मैंने बदल दिए हैं। एसडीपी का कुल खर्च 25-26 हजार पड़ेगा। आप पांच हजार एडवांस भेज दो।
![दलाल ने फोटो भेजकर दावा किया कि ये डॉ. जमाल का क्लीनिक है।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/11/22/whatsapp-image-2024-11-22-at-145953_1732268265.jpeg)
दलाल ने फोटो भेजकर दावा किया कि ये डॉ. जमाल का क्लीनिक है।
बोला- डॉक्टर जमाल मेरा दाेस्त
भास्कर रिपोर्टर ने दलाल को ऑनलाइन 5 हजार रुपए भेज दिए, लेकिन प्लेटलेट्स नहीं मिली। दलाल से बात की तो उसने कहा- काम नहीं बैठ पा रहा है। आप प्लेटलेट की जगह तीन यूनिट ब्लड बैग (रैंडम डोनर प्लेटलेट्स) ले लो। काम वही करेंगे।
इस पर रिपोर्टर ने नाराजगी जताते हुए कहा- लेकिन बात तो प्लेट्लेट्स की हुई थी। दलाल ने जवाब दिया- उसके लिए ऐसे सैंपल चाहिए, जिसमें प्लेटलेट्स लो शो करें। ऐसे सैंपल के लिए मरीज कहां से लाऊं? ब्लड आप जितना बोलेंगे, उतना दे देंगे।
रिपोर्टर ने कहा- आप रिक्योजेशन फॉर्म दे दीजिएगा, मैं खुद प्लेटलेट्स अरेंज कर लूंगा। दलाल बोला- आप कहीं से अरेंज नहीं कर पाएंगे। मेरी अभी डॉक्टर जमाल से बात हुई है। दो डोनर मिल जाएं तो काम बन सकता है। एक डोनर का ब्लड सैंपल निकाल कर दवा मिलाकर प्लटेलेट्स कम कर देंगे। मैंने कार्तिक सोमानी नाम के डोनर का इंतजाम किया है।
![रिपोर्टर को थैलीसीमिया का मरीज बता कर हॉस्पिटल में भर्ती बताया।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/11/25/whatsapp-image-2024-11-22-at-153656_1732538520.jpeg)
रिपोर्टर को थैलीसीमिया का मरीज बता कर हॉस्पिटल में भर्ती बताया।
वहां ज्यादा पूछताछ नहीं होगी
दलाल ने डॉक्टर जमाल को देने के लिए 2 हजार रुपए मांगे। रिपोर्टर ने पूछा- आप उस ब्लड सेंटर की जगह स्वास्थ्य ब्लड सेंटर से प्लेटलेट अरेंज क्यों नहीं कर रहे? इस पर दलाल ने जवाब दिया- वो अच्छा है। वहां ज्यादा पूछताछ नहीं होगी। सैंपल के लिए कल डॉक्टर जमाल को लेकर वैशाली जाऊंगा।
अगले दिन दलाल ने बताया- सैंपल मिल गया है। टोंक रोड जा रहा हूं दवाई लेने, जो सैंपल में मिलानी है। इससे कुछ घंटे में प्लेटलेट्स डाउन हो जाएगी। खाते में 10-11 हजार रुपए डाल देना।
इसके कुछ समय बाद दलाल ने बताया- प्लेट्लेट्स मिल गई है। 10 हजार रुपए कैश लेकर आना मेरा मेहनताना। यह काम जयपुर में कम ही लोग करवा सकते हैं। 620 रुपए मैं प्लेटलेट कम करने की दवा के लिए दूंगा।
रिपोर्टर ने पूछा- एक यूनिट प्लेट्लेट्स के लिए ये रुपए ज्यादा नहीं हैं क्या? इस पर जवाब मिला- दो हजार रुपए डोनर को देने पड़े। आयुष्मान ब्लड बैंक के फिरोज ने दूसरे ब्लड बैंक में कॉल करके काम करने के लिए बोला। फिरोज को पांच सौ रुपए दिए, पंकज अग्रवाल को पांच सौ रुपए, अली भाई और जमाल को भी रुपए देने पड़ेंगे। पूरी चेन बनानी पड़ती है।
![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/11/22/2_1732268447.jpg)
अवैध कारोबार में शामिल कथित डॉक्टर से ऑनकैमरा बातचीत
पूरे सौदे के दौरान दलाल बार-बार जयपुर के जौहरी बाजार के मोहल्ला खारडिया के रहने वाले 43 साल के डॉ. जमाल का नाम ले रहा था। क्या डॉक्टर जमाल भी ब्लड और प्लेटलेट्स के इस अवैध कारोबार भी शामिल थे या दलाल आमिर सिर्फ उनके नाम का इस्तेमाल कर रहा था।
इस सवाल का जवाब जानने के लिए भास्कर रिपोर्टर ने डॉक्टर जमाल के बारे में जानकारी जुटाई। जमाल हसन खान खुद को फिजिशियन एंड सर्जन बताता है। जमाल खान के क्लिनिक का रजिस्ट्रेशन नंबर की जांच करने पर पता चला कि राजस्थान मेडिकल काउंसिल में उनका रजिस्ट्रेशन नहीं है।
जमाल ब्लड सेंटर के फॉर्म मंगा कर उसमें डिमांड लेटर बनाता है। इसके लिए वह अलग अलग अस्पतालों के नाम लिख कर फर्जी मोहर का इस्तेमाल करता है। फॉर्म के साथ सैंपल देकर दलाल ब्लड अरेंज करता है।
भास्कर रिपोर्टर दलाल आमिर की मदद से ब्लड बैंक में इंवेस्टमेंट के बहाने से डॉक्टर जमाल से मिला। दलाल आमिर ने बताया था कि डॉ जमाल का भाई अनिस विश्वकर्मा में पैथोलाॅजिस्ट है। वह एसडीपी मशीन दिला देगा।
![जमाल हसन खान खुद को फिजिशियन और सर्जन बताता है।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/11/22/gif-41_1732267174.gif)
जमाल हसन खान खुद को फिजिशियन और सर्जन बताता है।
पढ़िए पूरी बातचीत…
- डाॅ. जमाल : मेरे अलावा भाई वगैरह सब मेडिकल फील्ड में हैं। मेरा छोटा भाई है एक प्राइवेट हॉस्पिटल में। जिस हॉस्पिटल का सपोर्ट चाहिए उसका मिल जाएगा।
- रिपोर्टर : कब तक पूरा रिटर्न मिलने की पॉसिबिलिटी है ?
- डाॅ. जमाल : आप प्रोडक्ट (ब्लड) अच्छे से कंज्यूम करो। चार पांच महीने में रिटर्न मिलने के चांस है। हम सामान (ब्लड और प्लेटलेट्स निकाल लेंगे) तो बना देंगे। वह मार्केट में जाता है कि नहीं यह इंम्पोर्टेंट है।
- रिपोर्टर : जैसे 15 हजार रुपए का प्लेटलेट्स मुझे 37 हजार में दिया, क्या ऐसा पॉसिबल है?
- डॉक्टर : पॉसिबल है। आप लिमिटेड बना के चलो 35 का है तो 35 का ही है। कस्टमर की चाहे जितनी ही नीड हो।
- रिपोर्टर : सर, मान लीजिए पेशेंट नहीं है। उसके नाम के डिटेल्स फॉर्म में भर दिए जाते हैं। पेशेंट बाद में पलट जाता है। ऐसे में बचने का कोई रास्ता है क्या ?
- डॉक्टर : सब है, सब है।
- रिपोर्टर : अच्छा एक बात समझना चाह रहा था कि आपने सैंपल की प्लेटलेट्स कैसे डाउन की? उसे प्लेटलेट्स लेने में काफी मदद मिली थी।
- डॉक्टर : जादूगर अपना सीक्रेट बता देगा तो फिर उसकी कद्र कहां होगी?
- रिपोर्टर : मुझे विद आउट सैंपल में ज्यादा कमाई दिखाई दे रही है।
- डॉक्टर : हां।
कूरियर से डिलीवरी करने को भी तैयार
भास्कर से बातचीत में दलाल ने दावा किया कि कूरियर से वह दूसरे शहर और राज्य में भी प्लेटलेट्स की डिलीवरी करा सकता है। उसने बताया कि आसपास के इलाकों में बाइक से डिलीवरी करते हैं। क्योंकि बाइक की ज्यादातर चेकिंग नहीं होती और टोल पर भी आराम से निकल जाती है। अजमेर तक के इलाकों में आराम से जाया जा सकता है।
![रिपोर्टर को थैलीसीमिया का मरीज बता कर हॉस्पिटल में भर्ती बताया और जारी करवाए प्लेटलेट्स।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/12/02/whatsapp-image-2024-11-22-at-164942_1733141270.jpeg)
रिपोर्टर को थैलीसीमिया का मरीज बता कर हॉस्पिटल में भर्ती बताया और जारी करवाए प्लेटलेट्स।
जरूरतमंदों से डेढ़ से दो हजार में ब्लड-प्लेटलेट्स का सौदा
दलाल आमिर ने दावा किया वो जितने चाहे डोनर का इंतजाम कर सकता है। उसने बताया कि यूपी, बंगाल और बिहार के बहुत से जरूरतमंद लोग जयपुर की भट्टा बस्ती, ईदगाह इलाके में रहते हैं। डेढ़ से दो हजार में ब्लड-प्लेटलेट्स देने को तैयार हो जाएंगे।
प्लेटलेट्स के लिए दलाल ने इस तरह किया फर्जीवाड़ा
ब्लड बैंक की ओर से दी गई फर्जी डिमांड स्लिप में हॉस्पिटल के नाम की जगह सिटी हॉस्पिटल का नाम लिखा हुआ था। डॉक्टर जमाल खान के नाम की मोहर लगी हुई थी। उनके नाम के साइन किए हुए थे।
रिक्योजिशन फॉर्म हर्षित सिंह को थैलेसीमिया का मरीज बताया गया था। जबकि रिपोर्टर हर्षित सिंह इस दौरान न किसी हॉस्पिटल में भर्ती नहीं हुए। न हर्षित को थैलेसीमिया है। न उन्होंने डॉ जमाल खान से किसी बीमारी को लेकर कंसल्ट किया।
दलालों ने फर्जी दस्तावेज और फर्जी सैंपल की बदौलत प्लेटलेट ले लिए। हालात यह है कि प्लेटलेट अरेंज करने के लिए ब्लड सैंपल अरेंज कर के दवाओं से उसकी भी प्लेटलेट्स गिरा दी।
राजस्थान में खून के दलाल की सीरीज के पहले पार्ट को यहां पढ़िए..
भास्कर के कैमरे पर खून बेचने वाले दलाल:24 घंटे में 100 यूनिट सप्लाई का दावा, रिपोर्टर को 14 हजार में बेचा ‘ओ’ निगेटिव, पार्ट-1
![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/12/03/comp-2-upd1733116331_1733186716.gif)
एक तरफ ब्लड बैंक स्टॉक की कमी से जूझ रहे हैं। वहीं इन दलालों ने खून बेचने का पूरा रैकेट खड़ा कर दिया है। यहां तक कि बिना जांच किया हुआ (अनटेस्टेड) ब्लड भी बेचा जा रहा है। वो ब्लड बैंक संचालक, जो दूसरे ब्लड बैंकों को बड़ी मात्रा में यानी 100 से 200 यूनिट तक ब्लड बेच रहे हैं। पूरी खबर पढ़िए…