सीकर का शाहपुरा गांव। गांव में छोटा सा घर। भास्कर की रिपोर्टर इस घर तक पहुंची। गेट खोला तो घर के बीचों-बीच लकड़ी की चारपाई पर 45 वर्षीय महिला बैठी थी। हाथ में 20 साल के बेटे की तस्वीर। रिपोर्टर को देखते ही बोलीं- मेरे बेटे की कोई खबर मिली क्या? कैसा ह
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ये घर है हरित सिंह का। भारतीय सेना की राजपूताना राइफल्स का जवान। हरित उत्तराखंड के उत्तरकाशी के धराली में 5 अगस्त को बादल फटने से आई तबाही के बाद से लापता हैं। हरित की मां तारामणि दिनभर वहीं बैठी रहती हैं। नजरें गेट पर होती हैं। हल्की सी आहट उम्मीद जगा देती है।
ये दर्द सिर्फ हरित के परिवार का नहीं है। धराली हादसे के बाद से राजस्थान के 5 जवान अब तक लापता हैं। सभी के घर चिंता और बेचैनी में डूबे हैं।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

हरित सिंह भारतीय सेना की राजपूताना राइफल्स के जवान हैं। 8 महीने पहले ही उनकी नौकरी लगी है।
बेटे को दिन में 3 बार करती थी फोन हरित की मां ने भास्कर से बातचीत में कहा- हरित की 8 महीने पहले ही नौकरी लगी है। मुझे हमेशा डर लगता है। बेटा बहुत छोटा है। 20 साल का ही तो है। दिन में तीन बार फोन करती हूं। जब सुना कि उसे उत्तराखंड भेज रहे हैं तो मैं डर गई।ग पूछा था- तेरे साथ और भी लोग हैं क्या? उसने कहा- शेर तो अकेले ही जाते हैं। तेरा बेटा शेर है मां! इतना कहते ही मां फफक पड़ीं।
परिवारवालों ने बताया कि हरित की मां दिन में कई बार उसके सामान को अपने पास रख के बैठ जाती हैं। कभी उसकी वर्दी को सही करती हैं। कभी उसके कपड़ों को संभालती हैं।

दादा ने गांवभर में बांटी थी मिठाई घर के कोने में बैठे दादा-दादी की हालत भी गंभीर है। दादा डिप्रेशन में हैं। पोते की नौकरी लगने की खबर पर उन्होंने पूरे गांव में साइकिल से घूम-घूमकर लड्डू बांटे थे। अब वही पोता लापता है। हरित के पिता विदेश में मजदूरी करते हैं। बेटे का लापता होने का पता चलते ही भारत लाैट आए। हरित ही घर का इकलौता कमाने वाला था, जिससे अब परिवार पर आर्थिक संकट का साया मंडरा रहा है।

हरित के बारे में सोचकर उसके दादाजी भावुक हो गए।
दो बच्चों का सवाल- पापा कब आएंगे? चूरू जिले के गांव दौसार में हवलदार हरलाल कालेर का घर भी चिंता और बेचैनी में डूबा है। 14 बटालियन राजपूताना राइफल्स में तैनात हरलाल, आपदा के समय धराली के पास हर्षिल में ड्यूटी पर थे। 5 अगस्त को बादल फटने के बाद से वे भी लापता हैं। घर में उनके बेटा-बेटी मोहित और कविता बार-बार एक ही सवाल पूछते हैं- पापा का फोन क्यों नहीं आ रहा? वो घर कब आएंगे? मां सुनीता को रोता देख वे और घबरा जाते हैं। कहते हैं- मम्मी, क्या हुआ? क्यों रो रही हो?’ हरलाल के पिता डालूराम कालेर कहते हैं- पूरा गांव चिंतित है। प्रशासन से बार-बार अपील कर रहे हैं कि जल्द से जल्द सेना उनकी तलाश तेज करे। गांव के लोग भी घर पर आते-जाते हैं। सांत्वना देते हैं। हर आहट पर परिवार को उम्मीद बंधती है कि शायद कोई खबर आई हो।

हवलदार हरलाल कालेर बादल फटने के दौरान धराली (उत्तराखंड) के पास हर्षिल में ड्यूटी पर थे।
नागौर के पूनाराम रिटायर होने वाले थे, सर्विस बढ़ाई नागौर जिले के परबतसर तहसील के कुराड़ा गांव के पूनाराम भी लापता हैं। घरवालों ने बताया- उनकी अंतिम बार 5 अगस्त को फोन पर बात हुई थी। इसके बाद से उनका कोई संपर्क नहीं हो पाया है। पूनाराम का बेटा रविंद्र भी भारतीय सेना में हैं। वे लगातार अधिकारियों से संपर्क बनाए हुए हैं।
पूनाराम इस साल 31 मई को रिटायर होने वाले थे। उन्होंने सर्विस बढ़ाने का निर्णय लिया। प्रमोशन मिलने के बाद उनकी पोस्टिंग उत्तराखंड के धराली में हुई। परिवार के लोग कहते हैं- रिटायर हो जाते तो आज घर पर होते, लेकिन उन्होंने ड्यूटी को चुना।

पूनाराम इसी साल 31 मई को रिटायर होने वाले थे, लेकिन उन्होंने सर्विस बढ़ाने का निर्णय लिया।
करौली के अजीत, चूरू के सचिन व हरलाल भी लापता करौली जिले के अजीत सिंह राजपूत का घर भी इसी दर्द से गुजर रहा है। अजीत के लापता होने के बाद से उनकी मां दरवाजे पर नजरें गड़ाए बैठी रहती हैं। जैसे बेटे को आते ही देख लेंगी। गांव के लोग बताते हैं कि अजीत पर ना सिर्फ परिवार को बल्कि पूरे गांव को गर्व है। प्रशासन को उसे ढूंढने में हमारी मदद करनी चाहिए। इसी तरह चूरू के राजगढ़ के गगरवास के सचिन पुत्र प्रदीप व रतनगढ़ के हरलाल पुत्र डालूराम कालेर का भी हादसे के बाद से कोई सुराग नहीं मिल पाया है।

हादसे के बाद से चूरू के राजगढ़ के गगरवास के सचिन भी लापता हैं।
सांसद ने की गृह मंत्री से हस्तक्षेप की मांग चूरू सांसद राहुल कस्वां ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर पोस्ट करते हुए गृह मंत्री अमित शाह से अपील की है कि धराली में लापता हुए भारतीय सेना की राजपूताना राइफल्स के पांचों जवानों के बारे में वस्तुस्थिति जानकर उनके परिवारों को जल्द से जल्द सूचित किया जाए। उन्होंने लिखा- लापता जवानों में राजस्थान के कुल पांच जवान शामिल हैं। चूरू जिले के हरलाल कालेर (रतनगढ़) और सचिन (सादुलपुर), करौली के अजीत राजपूत, सीकर के हरित सिंह और नागौर के पूनाराम। उपरोक्त जवानों से परिवार के लोग न तो संपर्क कर पा रहे हैं और न ही कोई पुष्ट जानकारी मिल पा रही है। इससे वे बेहद चिंतित हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह इस विषय पर त्वरित हस्तक्षेप करें। लापता जवानों के बारे में वस्तुस्थिति से परिवार को अवगत कराएं।

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