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सुनील कुमार, एजुकेशन : 8वीं पास
संजयपाल, एजुकेशन : 12वीं पास
मंसूर अली, एजुकेशन : 12वीं पास
लक्ष्मण दास, एजुकेशन : किसी को पता नहीं
ये कुछ नाम बस उदाहरण भर के लिए हैं। सिरोही के आदिवासी इलाकों में ऐसे नाम वाले कई लोग अपना क्लिनिक चला रहे हैं। खुद को डॉक्टर बताते हैं। इलाज के नाम पर मरीजों की जान से खेलते हैं।
28 फरवरी को ऐसे ही एक फर्जी डॉक्टर मंसूर अली के गलत इंजेक्शन लगाने से 7 साल की जाह्नवी की मौत हो गई थी। परिवारवालों की शिकायत के बाद पुलिस ने आरोपी डॉक्टर को पकड़ लिया है।
चिकित्सा विभाग ने मंसूर अली (फर्जी डॉक्टर) का क्लिनिक सील कर दिया है। दस्तावेजों की जांच में सामने आया कि मंसूर अली सिर्फ 12वीं पास है। 2020 में भी चिकित्सा विभाग ने उसके खिलाफ मुकदमा कराया था। बावजूद इसके वह बाज नहीं आया और फिर क्लिनिक खोलकर भोले-भाले लोगों की जान से खेलने लगा।
फर्जी डॉक्टरों के फैले नेटवर्क को जानने-समझने भास्कर टीम सिरोही पहुंची। पढ़िए यह रिपोर्ट..

आरोप है कि 28 फरवरी को फर्जी डॉक्टर मंसूर अली के लगाए इंजेक्शन के कारण 7 साल की जाह्नवी की मौत हो गई।
सबसे पहले जानते हैं, आखिर मामला क्या था सिरोही के काछोली गांव में रहने वाले नरपतसिंह और उनकी पत्नी पर पहाड़ टूट पड़ा है। 28 फरवरी की रात इनकी 7 साल की बेटी जाह्नवी की तबीयत बिगड़ गई। आनन-फानन में उसे आबूरोड सरकारी हॉस्पिटल लेकर पहुंचे थे। वहां डॉक्टरों ने जाह्नवी को मृत घोषित कर दिया था।
डॉक्टरों ने जाह्नवी के शरीर में दवा का रिएक्शन होने का संदेह जताया। सूचना मिलने पर पुलिस हॉस्पिटल पहुंची। नरपतसिंह ने पुलिस को बताया कि वह बेटी को काछोली में क्लिनिक चलाने वाले डॉ. मंसूर अली के पास ले गए थे।
डॉक्टर ने जाह्नवी को एक इंजेक्शन लगाया। इसी के साथ जाह्नवी की तबीयत खराब हो गई।

इंजेक्शन लगाने के बाद कुछ ही मिनटों में बच्ची ने मां की गोद में दम तोड़ दिया।
सुबह बेटी ने हंसते हुए वीडियो बनाया, शाम को लाश आई घर नरपत सिंह (मृतक बच्ची के पिता) बताते हैं- जाह्नवी उनकी सबसे बड़ी बेटी थी। जाह्नवी से छोटी लक्षिता और एक बेटा भूपेंद्र है। 28 फरवरी की सुबह जाह्नवी हंसते-खेलते बहन के साथ स्कूल गई थी। स्कूल जाते समय के इन पलों को मैंने मोबाइल में कैद भी किया था।
दोपहर बाद में बच्चे स्कूल से लौटे। जाह्नवी की तबीयत खराब थी। शाम को मैं दवा लेने के लिए घर से निकला। जाह्नवी भी साथ चलने की जिद करने लगी। इस पर नरपत ने जाह्नवी और पत्नी को भी साथ ले लिया।
वह काछोली में मंसूर अली के क्लिनिक पहुंचे। वहां जाह्नवी के लिए दवा देने को कहा। मंसूर अली ने इंजेक्शन लगाने पर ही ठीक होने की बात कही। मैंने मना किया तो मंसूर ने कहा कि इंजेक्शन से तुरंत रिलीफ मिल जाएगा। इसके बाद उसने इंजेक्शन लगा दिया।
इंजेक्शन लगाते ही जाह्नवी की तबीयत बिगड़ गई। उसके होंठ काले पड़ गए। कुछ ही देर में उसने अपनी मां के हाथों में ही दम तोड़ दिया।
इस दौरान मैंने क्लिनिक का वीडियो भी बनाया। काफी संख्या में लोग जमा भी हो गए थे। मंसूर अली मौके से भागने वाला था। तभी उसे लोगों ने पकड़ लिया। जाह्नवी को आबूरोड सरकारी हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

12वीं पास निकला मंसूर जाह्नवी की मौत के बाद स्वरूपगंज पुलिस ने मंसूर को आबूरोड हॉस्पिटल से गिरफ्तार कर लिया था। थाने लाकर उससे सख्ती से पूछताछ हुई तो उसका जवाब सुनकर सबके होश उड़ गए। प्रैक्टिस से संबंधित दस्तावेज के बारे में पूछा गया। उसने कहा कि वह 12वीं पास है।
वह साबरमती (गुजरात) के हिंगोल का रहने वाला है। 10 साल से खुद को डॉक्टर बताकर लोगों का इलाज कर रहा है। पुलिस ने रिकार्ड खंगाला तो पता चला कि उसे वर्ष 2020 में भी चिकित्सा विभाग की रिपोर्ट पर पकड़ा था। छूटने के बाद फिर से काछोली में क्लिनिक चलाने लगा था।
पुलिस ने दो दिन के रिमांड पर लिया पुलिस ने मंसूर को दो दिन के रिमांड पर ले रखा है। उसके दस्तावेज के बारे में पूछताछ की जा रही है। पूछताछ में उसने अपने आप को गुजरात के सरकारी स्कूल से 12वीं पास होने बताया है। हालांकि उसके पास वह भी प्रमाण पत्र नहीं मिला है। पुलिस ने उसके खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है।

बताया जा रहा है कि मंसूर अली को 2020 में भी पुलिस ने पकड़ा था। जेल से छूटते ही फिर क्लिनिक चलाने लगा।
क्लिनिक के लिए एक साल पहले किराए पर ली थी दुकान चिकित्सा विभाग ने मंसूर के क्लिनिक को सील कर दिया था। मंसूर ने क्लिनिक के लिए गणेशराम नाम के आदमी से दुकान किराए पर ली थी। गणेश ने बताया कि मंसूर पिछले 9-10 साल से काछोली में लोगों का इलाज कर रहा था।
उसकी दुकान एक साल पहले ही किराए पर ली थी। कुछ साल पहले भी मंसूर के कोई विवाद हुआ था। कुछ महीने क्लिनिक बंद रखा और उसके बाद फिर से इलाज शुरू कर दिया।
मंसूर अकेला नहीं है। उसकी दुकान के सामने ही एक फर्जी डॉक्टर और बैठता है। वह भी इस घटना के बाद से गायब है। धीरे-धीरे दूसरे गांव वाले भी पास आ गए। लोगों ने बताया कि यहां 6 से ज्यादा फर्जी डॉक्टर हैं।

मासूम की मौत के बाद सभी गायब जाह्नवी की मौत के बाद से इलाके के फर्जी डॉक्टर गायब हैं। मंसूर जहां क्लिनिक चला रहा था, वहां आसपास तीन और क्लिनिक चल रहे थे। रिपोर्टर उन तीनों क्लिनिक तक पहुंचा। उनके पड़ोस की दुकान वालों ने बताया कि जिस रात बच्ची की मौत हुई। उसके बाद से सभी क्लिनिक बंद हैं।
2020 में पकड़ा गया, छूटा तो फिर शुरू कर दिया क्लिनिक स्वरूपगंज थानाधिकारी कमलसिंह राठौड़ कहते हैं- मंसूर अली के खिलाफ चिकित्सा विभाग ने 2020 में मामला दर्ज करवाया था। उस समय इसे गिरफ्तार किया था। छूटने के बाद यह फिर से काछोली गांव में ही क्लिनिक चला रहा था।
जाह्नवी की मौत के बाद मंसूर अली के क्लिनिक से दवाओं का स्टॉक जब्त किया गया है। उसके यहां से सबसे ज्यादा एंटीबायोटिक दवाओं का स्टॉक मिला है। 12वीं पास यह फर्जी डॉक्टर क्लिनिक में आने वाले हर मरीज को इंजेक्शन लगाता था। इसके अलावा बात-बात पर ड्रिप भी चढ़ा रहा था।

पहले भी पकड़े जा चुके हैं फर्जी डॉक्टर
केस 1 : खुद को बताता फिजियोथेरेपिस्ट मंडार के रहने वाले लक्ष्मण दास ने मगरीवाला, रेवदर में क्लिनिक खोल रखा था। 13 फरवरी को चिकित्सा विभाग की टीम ने उसकी क्लिनिक पर कार्रवाई की थी। काफी मात्रा में दवाएं मिली थीं। चिकित्सा विभाग को उसने खुद को फिजियोथेरेपिस्ट बताया था। हालांकि इसके पास इससे जुड़े कोई दस्तावेज नहीं मिले थे।
केस 2 : आठवीं पास प्रवीण चला रहा था क्लिनिक मंडार का रहने वाला 8वीं पास प्रवीण रेवदर में क्लिनिक चला रहा था। 15 अप्रैल 24 को चिकित्सा विभाग की जांच में इसके क्लिनिक में काफी मात्रा में दवा, इंजेक्शन और ड्रिप मिले थे। इसके पास मेडिकल प्रैक्टिस का कोई दस्तावेज नहीं है। पूछताछ में खुद को 8वीं पास बताया था।
केस 3 : 12वीं पास को लोग समझते थे डॉक्टर जालोर जिले के रामसिंह सिकवाड़ा का रहने वाला संजयपाल रेवदर भी क्लिनिक चलाता था। 6 अप्रैल 24 को चिकित्सा विभाग ने उसके क्लिनिक पर छापा मारा। काफी मात्रा में एंटीबायोटिक मिलीं। उसके पास प्रैक्टिस के कोई दस्तावेज नहीं थे, न ही पढ़ाई के। पूछताछ में खुद को 12वीं पास बताया था।
केस 4 : मरीजों के इंजेक्शन लगाता था 8वीं पास फलोदी के बाप क्षेत्र के टेकरा गांव का रहने वाला सुनील कुमार गुलाबगंज में क्लिनिक चलाता था। चिकित्सा विभाग की जांच में इसके पास शिक्षा से जुड़ा कोई दस्तावेज नहीं मिला। खुद को 8वीं पास बताया था।
केस 5 : गलत इंजेक्शन लगाने पर तबीयत बिगड़ी थी 23 अगस्त 24 को रेवदर के दान गांव में क्लिनिक चलाने वाले पीराराम के खिलाफ शिकायत मिली थी। भूबाराम नाम के व्यक्ति ने शिकायत में बताया था कि पीराराम ने उसके पिता को गलत इंजेक्शन लगाया, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ गई। जांच में पता चला था कि ये फर्जी डॉक्टर है। उसके बाद से वह गायब है।
केस 6 : नशीली और गर्भपात की दवाएं बेचता था 6 जून 24 को पिंडवाड़ा के रोहीड़ा गांव में क्लिनिक चलाने वाले गौतम विश्वास के खिलाफ शिकायत मिली थी। शिकायत में बताया था कि वह क्लिनिक में नशीली और गर्भपात की दवाइयां बेच रहा है। चिकित्सा विभाग की जांच में यह डॉक्टर भी फर्जी निकला था।
