9 मिनट पहले
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आज हिंदी सिनेमा के शोमैन राज कपूर की 36वीं पुण्यतिथि है। वे 53 साल सिनेमा में एक्टिव रहे। उन्होंने एक्टर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, एडिटर और राइटर समेत सभी किरदारों को निभाया। उन्हें इस उत्कृष्ट काम के लिए पद्म भूषण, दादासाहेब फाल्के, नेशनल और फिल्मफेयर अवॉर्ड जैसे सम्मान से नवाजा गया।
आज राज कपूर की पुण्यतिथि पर पढ़िए, उनकी लव लाइफ से लेकर फिल्मी जिंदगी तक के 7 अनसुने किस्से…
किस्सा-1- उधारी लेकर पसंदीदा खाना खाते थे
परिवार के बाकी सदस्य के जैसे राज कपूर को खाने का बहुत शौक था। यही कारण रहा कि वे कम उम्र में बहुत मोटे थे। स्कूल जाते वक्त मां उन्हें ऑमलेट और रोटियां देकर भेजती थीं, लेकिन यह खाना उन्हें रास नहीं आता।
राज कपूर को हर दिन 2 आने पॉकेट मनी मिलती थी, जो उनके खाने के खर्च के हिसाब से बहुत कम होते। 3-4 दुकान पर उनका पसंदीदा खाना मिलता था। ऐसे में वे एक दुकान से उधार बंद कर दूसरी दुकान पर उधार शुरू कर देते। जब उधार की रकम बढ़ जाती, तब वे एक-दो किताब बेच उधारी चुका देते थे।
किस्सा-2-फिल्मों में आने से पहले पिता ने रखी थी शर्त
राज कपूर गणित और लैटिन भाषा नहीं आने की वजह से मैट्रिक की परीक्षा में फेल हो गए थे। फेल होने के बाद वे पिता पृथ्वीराज कपूर के पास भविष्य के बारे में बात करने के लिए गए।। उन्होंने पिता से कहा, ‘मैं निश्चित रूप से अपनी पढ़ाई जारी रख सकता हूं, लेकिन मैं वहां शायद सलीके से कपड़े पहनना सीख लूंगा और एक डिग्री मिल जाएगी। फिर वापस आपसे ही कहूंगा कि कहीं नौकरी लगवा दीजिए।’
राज कपूर ने पिता के सामने अपनी दिली इच्छा रखी कि वे फिल्मों में काम करना चाहते हैं। बेटे की यह बात सुन पृथ्वीराज मुस्कुराए और उस दिन को याद किया, जब उनके एक्टर बनने के फैसले पर पूरे परिवार में हड़कंप मच गया था।
बेटे की पूरी बात सुनने के बाद उन्होंने कहा, ‘ये 300 रुपए लो और लाहौर, शेखपुरा और देहरादून जैसी जगहों पर घूम आओ, जहां हमारे रिश्तेदार रहते हैं। वापस आने के बाद भी अगर फिल्मों में काम करना चाहोगे तो मैं तुम्हारी मदद जरूर करूंगा।’
पिता की बात मान राज कपूर इन जगहों पर रहने वाले रिश्तेदारों के घर चले गए। रिश्तेदारों ने बड़े अदब के साथ उनका स्वागत किया, अलग- अलग डिश खिलाई, जिस कारण उन्हें दस्त होने लगे, लेकिन जल्द ही वे इस बीमारी से ठीक हो गए। साथ ही परिवार में फिल्मों से जुड़ने के फैसले पर हो रहे विरोध का सामना भी किया, लेकिन अपने फैसले पर अडिग रहे। वापस आने पर उन्होंने पिता से कहा, ‘मैं अभी भी फिल्मों में आना चाहता हूं।’
हालांकि पृथ्वीराज ने राज कपूर को फिल्म में ब्रेक नहीं दिया। उनका मानना था कि राज कपूर खुद के दम पर फिल्मों में अपनी जगह बनाएं। पृथ्वी थिएटर से जुड़ने से पहले राज कपूर डायरेक्टर केदार शर्मा को असिस्ट करते थे और उन्हीं की फिल्म नीलकमल से बतौर लीड एक्टर डेब्यू किया था।
किस्सा-3- गाली देने पर शशि कपूर को थप्पड़ मारा था, फिर खुद रोने लगे थे
शशि कपूर कम उम्र में ही गाली-गलौज करने लगे थे। बड़ों से बात करते वक्त भी वे ऐसा किया करते थे। एक दिन वे मां के साथ अभद्र भाषा में बात कर रहे थे, तभी राज कपूर ने सुन लिया। उन्होंने गुस्से में शशि कपूर को थप्पड़ जड़ दिया। ये देख शशि कपूर अचंभित रह गए। इससे पहले राज कपूर ने उन पर कभी हाथ नहीं उठाया था। यहां तक कि मां-पिता ने भी उन्हें नहीं मारा था।
इस घटना के बाद शशि कपूर ने खुद को कमरे में बंद कर लिया और रोते रहे। कुछ समय बाद राज कपूर उन्हें मनाने के लिए कमरे में आए, लेकिन वे नहीं माने। छोटे भाई को रोता देख राज कपूर को बहुत बुरा लगा और वे खुद भी रोने लगे।
शशि कपूर अक्सर कहते थे कि राज जी उनके लिए पिता तुल्य थे। फिल्म आवारा में उन्होंने राज कपूर के बचपन का रोल निभाया था।
किस्सा-4- नरगिस से कृष्णा ने कहा था- राज जी की लाइफ में आप नहीं होतीं, तो कोई और होता
21 साल की उम्र में राज कपूर की शादी 16 साल की कृष्णा मल्होत्रा के साथ हुई थी। शादी के बाद उनके लिंकअप की खबरें नरगिस के साथ जुड़ी थीं। नरगिस, राज कपूर से शादी करना चाहती थीं, लेकिन वे पत्नी कृष्णा को तलाक नहीं देना चाहते थे।
वे कहते थे, ‘मेरी नायिका, नरगिस प्रेरणा थीं और मेरी पत्नी कृष्णा मेरी शक्ति थीं। मेरी पत्नी मेरी अभिनेत्री नहीं बन सकतीं और मेरी अभिनेत्री मेरी पत्नी नहीं बन सकतीं।’
ऋषि कपूर और नीतू सिंह की शादी का न्योता नरगिस और सुनील दत्त को भेजा गया था। ये जान राज कपूर बहुत परेशान और चिड़-चिड़े हो रहे थे, लेकिन पत्नी कृष्णा बहुत शांत थीं। शादी में आने के बाद नरगिस ने कृष्णा से कहा था, ‘अब पत्नी होने की वजह से मैं आपकी उस वक्त की तकलीफ को समझ सकती हूं, जब मैं आपके पति राज कपूर की लाइफ में थी।’
इस पर कृष्णा ने कहा था, ‘आप भी इस बात को भूल जाइए। राज जी एक रोमांटिक व्यक्ति हैं। अगर आप उनकी जिंदगी में नहीं होतीं, तो शायद कोई और होता। यह सब होना मेरी तकदीर में था।’
किस्सा-5- राज कपूर की वजह से जीनत अमान और देव आनंद का रिश्ता टूटा
फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ की शूटिंग के दौरान देव आनंद, जीनत अमान को पसंद करने लगे थे। प्यार का इजहार करने के लिए वे जीनत अमान को डेट पर लेना जाना चाहते थे। उसी दिन दोनों को फिल्म ‘इश्क इश्क इश्क’ पर प्रीमियर में जाना था। देव आनंद का प्लान था कि पहले वे जीनत के साथ इस प्रीमियर पर जाएंगे, उसके बाद डेट पर।
दोनों साथ में प्रीमियर पर पहुंचे तभी नशे में धुत राज कपूर वहां आए और जीनत को गले लगा लिया, किस भी किया। उन्होंने इस फिल्म में जीनत अमान के काम की तारीफ भी की। उनका यह व्यवहार देख देव आनंद को बहुत जलन हुई। उनका मानना था कि उन्होंने जीनत अमान को इतना बड़ा ब्रेक दिया है। उनके अलावा दूसरा कोई जीनत पर अपना हक नहीं जमा सकता है।
ये सब देख उनका शक यकीन में बदल गया। दरअसल, कुछ समय पहले उन्हें सुनने को मिला था कि जीनत अमान, राज कपूर की फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ के लिए स्क्रीन टेस्ट देने गई थीं। ये सच जानने के बाद देव आनंद का दिल टूट गया और उन्होंने जीनत अमान से दूरी बना ली।
किस्सा-6- राज कपूर की एक गलती पर लता दीदी भड़क गई थीं
लता मंगेशकर और राज कपूर की पहली मुलाकात 1948 में हुई थी। जब अनिल बिस्वास के माध्यम से लता दीदी को पता चला कि राज कपूर उनसे मिलना चाहते हैं, तो वे खुशी के मारे पागल हो गईं। वे पृथ्वीराज कपूर की बहुत बड़ी फैन थी। अपने पसंदीदा सितारे के बेटे से मिलना उनके लिए ख्वाब जैसा था।
पहली मुलाकात के दौरान राज कपूर ने लता दीदी से कहा था, ‘मैं चाहता हूं कि आप मेरी फिल्मों के लिए गाना गाएं। इसके लिए आप कितनी फीस चार्ज करेंगी?’
जवाब में लता दीदी ने कहा, ‘आप मुझे जो राशि देंगे, वो मुझे स्वीकार्य होगा।’
इसके बाद राज कपूर ने उनके सामने 500 रुपए फीस देने की पेशकश की।
लता दीदी और राज कपूर की साथ में तस्वीर।
लता दीदी ने पहली बार राज कपूर की फिल्म ‘बरसात’ के गाने गाए थे। वे शास्त्रीय गायिका थीं। इस वजह से उन्हें डर था कि वे कॉमर्शियल फिल्मों के गीत गा पाएंगी या नहीं। यह डर लाजमी भी था क्योंकि उस वक्त तक इंडस्ट्री में उन्होंने ज्यादा काम नहीं किया था। तब राज कपूर ने उनकी कला को पहचाना और फिल्म के एक गाने ‘जिया बेकरार’ में भैरवी आलाप लगाने के लिए कहा। लता दीदी ने उनकी डिमांड को पूरा किया, जिसे सुन राज कपूर बहुत खुश हुए।
राज कपूर चाहते थे कि उनकी फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ के सभी गानों को संगीत लता दीदी के भाई हृदयनाथ मंगेशकर दें। हृदयनाथ मंगेशकर किसी भी फिल्म में संगीत देने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन लता दीदी के मनाने पर वे राजी हो गए।
उस वक्त लता दीदी, सिंगर मुकेश के साथ कहीं बाहर जा रही थीं। तभी उन्हें पता चला कि हृदयनाथ मंगेशकर को फिल्म से निकाल दिया गया है। वहीं, इस खबर को अखबारों में अलग-अलग तरीकों से पेश किया गया। ये सब देख लता दीदी भड़क गईं। उन्होंने राज कपूर को फोन कर कहा, ‘राज जी आपने यह गलत किया है। मैंने आपके कहने पर भाई को फिल्म के लिए राजी किया था।’
राज कपूर ने हृदयनाथ मंगेशकर की जगह फिल्म के संगीत के लिए लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल को ले लिया था। इस वजह से लता दीदी ने यहां तक कह दिया था, ‘मैं अब आपके लिए गीत नहीं गाऊंगी।’
वहीं, उन्होंने राज कपूर के गानों की रॉयल्टी की मांग कर दी थी, जैसा वे बाकी डायरेक्टर्स के साथ करती थीं। वे राज कपूर को परेशान भी करने लगी थीं। गाने के लिए ज्यादा पैसे की डिमांड करती थीं और रिकॉर्डिंग के लिए लेट आती थीं। तब राइटर नरेंद्र शर्मा (जिन्हें लता दीदी पापा कहती थीं) ने कहा था- एक तुम्हीं हो जो राज कपूर के गानों के साथ न्याय कर सकती हो। तब जाकर वे दोबारा आर.के फिल्म्स के लिए गाने को राजी हुईं।
किस्सा-7- बिना शराब और भांग पिए कोई राज कपूर की होली पार्टी में शामिल नहीं हो सकता था
राज कपूर की होली पार्टी को आज भी इंडस्ट्री की सबसे बेहतरीन होली पार्टी में गिना जाता है। इस पार्टी में इंडस्ट्री की नामचीन हस्तियां जरूर शामिल होती थीं। इस होली पार्टी में अमिताभ बच्चन, प्राण, कामिनी कौशल, प्रेम नाथ और शत्रुघ्न सिन्हा जैसे कलाकार नियमित रूप में आते थे। साथ ही फिल्म से जुड़े सभी कर्मचारी भी आते थे।
पार्टी में खूब नाच और गाना होता था। राज कपूर खुद नाचते थे और ढोलक बजाते थे। हर व्यक्ति इस पार्टी में भांग पीता था और मदहोश हो जाता था। कुछ लोग तो बीयर भी पीते थे, तभी वे पार्टी का हिस्सा बन पाते थे।
इस पार्टी में खास तौर पर एक तालाब बनाया जाता था। जैसे ही कोई नया मेहमान पार्टी में आता, उसे जरूर इस तालाब में डूबना होता था। हर किसी को डूबना होता था, सिवाय औरतों के। औरतें केवल सूखे रंगों से होली खेलती थीं। राज कपूर इस बात का खास तौर पर ध्यान रखते थे कि होली के नाम पर महिलाओं के साथ कोई दुर्व्यवहार ना करे।
उनकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत लम्हा था, दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया जाना। हालांकि इस सम्मान की खुशी वे सेलिब्रेट ना कर सके। अवॉर्ड लेने के दौरान ही उन्हें अस्थमा का अटैक आया, फिर कोमा में रहे और 63 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
नोट- इस स्टोरी से जुड़े सभी तथ्यों को राज कपूर की बायोग्राफी ‘शोमैन: राज कपूर’ से लिया गया है। इसे उनकी बेटी ऋतु नंदा ने लिखा है।