लुधियाना में बने कूड़े के पहाड़।
पंजाब सरकार को NGT ने कचरा प्रबंधन सही तरीके से ना किए जाने के कारण 1026 करोड़ रुपए का जुर्माना ठोका हुआ है। इसके बाद अब जमीनी स्तर पर निकाय विभाग किस तरह से काम कर रहा है इसे लेकर सरकार एक्शन मोड में आ गई है। प्रत्येक शहर में निकाय विभाग ने 6 से अधि
.
PMIDC ने पंजाब भर में नियुक्त किए अधिकारी
सरकार के आदेशों पर पंजाब म्यूनिसिपल इन्फ्रास्ट्रक्चर डैवलपमेंट कंपनी (PMIDC) ने पंजाब भर में शहरों की जांच के लिए निकाय विभाग के अफसरों को नियुक्त किया है। यह अधिकारी शहरों में जांच करेंगे कि किस शहर में रोजाना कितना कचरा निकलता है और कितने कचरे की सोर्स सैग्रीगेशन डोर टू डोर हो रही है। इसके अलावा वह भी जांचेगे कि कितना कचरा रोजाना प्रोसेस हो रहा है। डंप साइट्स पर पड़े पुराने कचरे का निपटारा ,करने की स्थिती क्या है। इन सभी की जांच करके रिपोर्ट सरकार को दी जाएगी।
इन मुख्य शहरों में हो रही क्रॉस चैकिंग
लुधियाना, फगवाड़ा, मोहाली, पटियाला, जालंधर, पठानकोट, होशियारपुर, कपूरथला, अमृतसर, बटाला, बठिंडा, गुरदासपुर, अबोहर, खन्ना, फिरोजपुर, मोगा, मलेरकोटला, खरड़, रुप नगर, नवां शहर, जिकरपुर, लालड़ू, राजपुरा।
NGT ने पंजाब सरकार को लगाया 1026 करोड़ का जुर्माना।
पढ़े यह है पूरा मामला
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपने हालिया आदेश में पुराने कचरे के साथ-साथ अनुपचारित सीवेज डिस्चार्ज के प्रबंधन के लिए उचित कदम उठाने में विफल रहने के लिए पंजाब सरकार पर 1026 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है।
आदेशों में, एनजीटी ने मुख्य सचिव के माध्यम से पंजाब राज्य को एक महीने के भीतर सीपीसीबी के साथ पर्यावरण मुआवजे के लिए 1026 करोड़ रुपए जमा करने और एक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। मामला लुधियाना नगर कौसिंल से भी जुड़ा है।
53.87 लाख टन कूड़े के निपटारे को लगेंगे 10 साल
NGT ने बताया है कि राज्य में पुराना कचरा 53.87 लाख टन पड़ा हुआ है। दो वर्ष पहले यह आंकड़ा 66.66 लाख टन था। इन दो वर्षों के दौरान मात्र 10 लाख टन कचरे का निस्तारण हो सकता है। एनजीपी मुताबिक जिस गति से काम चल रहा है, उससे स्पष्ट होता है कि बचा 53.87 लाख टन कचरा निपटाने में लगभग 10 साल का समय लग जाएगा। वहीं 31406 लाख लीटर सीवरेज पानी साफ करना रहता है।
इससे पहले सितंबर 2022 में, एनजीटी ने अनुपचारित सीवेज और ठोस अपशिष्ट के निर्वहन को रोकने में विफलता के लिए पंजाब सरकार पर कुल 2180 करोड़ रुपए का मुआवजा लगाया था और पंजाब सरकार ने अब तक केवल 100 करोड़ रुपए जमा किए हैं।
1 महीने में देना है जवाब
एनजीटी ने मुख्य सचिव, पंजाब राज्य और प्रधान सचिव/अतिरिक्त मुख्य सचिव, शहरी विकास को नोटिस जारी कर यह बताने को कहा है कि जल अधिनियम, 1974 की धारा 43 और 48 के साथ पढ़ी जाने वाली धारा 24 के तहत अपराध करने और गैर-अनुपालन के लिए मुकदमा क्यों चलाया जाए। एनजीटी अधिनियम, 2010 की धारा 26 के तहत ट्रिब्यूनल के आदेश को उचित फोरम में शुरू नहीं किया जाना चाहिए। एनजीटी ने जवाब दाखिल करने के लिए एक महीने की समयावधि प्रदान की। मामला अगली बार 27 सितंबर को सूचीबद्ध है।