लुधियाना में निकाय चुनाव में हारी विधायक गुरप्रीत गोगी की पत्नी डा. सुखचैन बस्सी, विधायक अशोक पराशर की पत्नी मीनू पराशर और पूर्व कैबिनेट मंत्री की पत्नी ममता आशु।
पंजाब के लुधियाना में 21 दिसंबर को निकाय चुनाव हुए। इन चुनावों में वोटरों ने आप और कांग्रेस का किला ध्वस्त कर दिया। परिवारवाद को लेकर अकसर सवालों में घिरने वाले नेता चुनाव में अपनी पत्नियों की सीटें जितवाने में नाकामयाब रहे। वोटरों ने निकाय चुनाव की
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आम आदमी पार्टी से हलका पश्चमी से विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी की पत्नी डा. सुखचैन कौर बस्सी वार्ड नंबर 61 से कांग्रेस की उम्मीदवार परमिंद्र कौर ने हरा दिया। परमिन्द्र कौर पूर्व कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु के करीबी इंद्रजीत इंदी की पत्नी है।
इसी तरह विधायक अशोक पराशर पप्पी की पत्नी मीनू पराशर को वार्ड नंबर 77 से भाजपा प्रत्याशी पूनम रतड़ा ने चित किया है। इस सीट पर स्पष्ट था कि विधायक पराशर की पत्नी जीत हासिल करेगी लेकिन वोटरों ने इस सीट के समीकरण बदल दिए।
विधायक गुरप्रीत गोगी, विधायक अशोक पराशर पप्पी और कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु ।
पूर्व मंत्री आशु की पत्नी भी न बचा सकी कांग्रेस की गढ़
इसी के साथ कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु की पत्नी ममता आशु भी कांग्रेस का गढ़ नहीं बचा सकी। ममता का मुकाबला वार्ड नंबर 60 में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार गुरप्रीत सिंह से था।
पुरानी वार्डबंदी की बात यदि करें तो जो वार्ड नंबर 72 अब है वहां से कभी ममता आशु चुनाव लड़ती थी आज वह वार्ड भी कांग्रेस बुरी तरह से हार गई है। इस वार्ड से आम आदमी पार्टी के कपिल कुमार सोनू ने कांग्रेस की बलजिंदर सिंह बंटी को 2603 वोटों से हराया है।
आप विधायकों की कार्यशैली से निराश नजर आए वोटर
हैरीजनक नतीजे आने के बाद कही न कही निगम चुनाव ने सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) को बड़ा झटका दिया है। इन नतीजों को आप सरकार के प्रदर्शन से जनता में असंतोष और निवासियों द्वारा मतदाताओं में बढ़ती निराशा के रूप में देखा जा रहा है। इन हारों ने क्षेत्र में आप के शासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दोनों निर्वाचन क्षेत्रों के मतदाताओं ने अधूरे वादों, बिगड़ते नागरिक बुनियादी ढांचे और उचित सड़कों, सीवरेज और स्ट्रीट लाइटिंग जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी पर असंतोष व्यक्त किया।
जमीनी स्तर के नेताओं को नजर अंदाज करना पड़ा भारी
नाम न बताने की शर्त पर आप के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी में सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि लंबे समय से जमीनी स्तर पर काम कर रहे वर्करों को टिकट न देकर नजर अंदाज किया गया है। इनमें से कई जमीनी कार्यकर्ता आप के स्थानीय आधार को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। इन वफादारों को बाहर करने से पार्टी के मुख्य समर्थकों का एक वर्ग अलग-थलग पड़ गया है, जिससे कई वार्डों में पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा।
उसने कहा कि ये नतीजे पंजाब में आप के नेतृत्व और उसके मतदाता आधार के बीच बढ़ती दूरी को दर्शाते हैं। जबकि पार्टी का ध्यान राष्ट्रीय स्तर पर अपने प्रभाव को बढ़ाने पर केंद्रित हो गया है, लेकिन स्थानीय मुद्दे पीछे छूट गए हैं।
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस उम्मीदवार दीपिका सनी भल्ला ने वार्ड 69 में भाजपा के संजीव ढांडा को हराकर जीत हासिल की। वार्ड 71 में निर्दलीय उम्मीदवार मनु जयद्रथ की पत्नी ने पूर्व मंत्री आशु के भाई नरेंद्र काला की पत्नी को हराया। इन सीटों पर भी काफी रोमांचक मुकाबला रहा है।