सुलतानपुर लोधी के बाऊपुर क्षेत्र पूरी तरह पानी में डूबा हुआ है। लोग नावों से सफर कर रहे है। सुरक्षा और मदद के लिए फ्लाईओवर पर सेना और एसडीआरएफकी टीमें तैनात है।
तारीख: 11 अगस्त 2025। यही वह दिन था, जब पंजाब का पहला जिला यानि कपूरथला बाढ़ की चपेट में आया। शुरुआत हुई सुलतानपुर लोधी के बाऊपुर क्षेत्र से, जहां कभी खेतों में गेहूं और धान लहलहाते थे, घरों के आंगन में बच्चों की किलकारियां गूंजती थीं, आज वहां चारों
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बाढ़ ने इस क्षेत्र की जिंदगी की तस्वीर ही बदल दी है। जिन घरों से लोग पहले ट्रैक्टर, बाइक और साइकिल पर निकलते थे, वहां से अब नावों में बैठकर निकलना पड़ रहा है। घरों के सामने 5 से 8 फीट तक पानी खड़ा है।
आज बाऊपुर ही नहीं, उसके आसपास के 16 गांव बाढ़ की गिरफ्त में हैं। कोई घर छोड़कर रिश्तेदारों के यहां चला गया, तो कोई पानी से घिरे घर में ही डटा हुआ है। क्योंकि बहुतों के लिए उनका घर ही उनका आखिरी सहारा है। बाढ़ से घिरे इन गांवों को 30 दिन हो गए है।
दैनिक भास्कर एप की टीम ने वर्तमान हालात का जायजा लिया तो नजारा राहत और त्रासदी का मिला-जुला रूप दिखा। फ्लाईओवर के दोनों ओर डिजास्टर मैनेजमेंट की टीमें, सेना, एसडीआरएफ, पुलिस, मेडिकल टीमें और कई सामाजिक संस्थाएं मौजूद थीं। वहीं, लोग अभी भी गांवों से पलायन करने को मजबूर दिखे। पढ़िए पूरी ग्राउंड रिपोर्ट…

ये व्यक्ति बाढ़ के बीचो बीच अपने घर की दहलीज पर खड़ा है। उसने बताया कि सतलुज से बांध कहां से टूटा। जहां ये व्यक्ति खड़ा है, उक्त जगह सड़क से करीब 6 फिट ऊपर है।
पहले जानिए बाऊपुर क्षेत्र में बाढ़ से क्या हालात बने…
- 350 से ज्यादा घरों को अपनी गिरफ्त में ले चुका : दैनिक भास्कर की टीम जब सुलतानपुर लोधी के बाऊपुर क्षेत्र में पहुंची तो करीब 10 किलोमीटर से ज्यादा का इलाका पूरी तरह से जलमग्न मिला। कहीं 5 फीट तो कहीं 8 फीट तक पानी भरा हुआ है। यह पानी सिर्फ खेतों या कच्चे रास्तों तक सीमित नहीं है, बल्कि 350 से ज्यादा घरों को अपनी गिरफ्त में ले चुका है।
- 6 से 7 फिट जमीन से ऊंचे बनवाएं थे घर, वहां भी पानी पहुंचा: लोगों ने बताया कि वे घर, जिन्हें जीवन भर की कमाई जोड़कर बनाया था, आज लहरों के बीच डूबे हुए हैं। बाऊपुर गांव में घर पहले ही लोगों ने करीब 6 से 7 फिट जमीन से ऊंचे बनवाएं थे, फिर भी पानी उनके घरों के दरवाजों तक भरा हुआ था। हालात ऐसे है कि गांव की गलियों में भी नांव में बैठकर जाना पड़ रहा था।

दैनिक भास्कर की टीम ने नांव में बैठकर बाऊपुर क्षेत्र के 10 किलोमीटर के क्षेत्र में पहुंचकर वहां का हाल जाना।
- घर से लेकर खेत तक हर जगह नुकसान हुआ : स्थानीय लोगों से बातचीत में उनके दर्द की गहराई साफ महसूस होती है। लोगों ने बताया कि किसी का खेत डूब गया, किसी की फसल बर्बाद हो गई, तो किसी के पक्के मकान की नींव तक पानी खा गया। बच्चों की किताबें, बड़ों की यादें, और बुजुर्गों की मेहनत का फल, सबकुछ इस बाढ़ ने निगल लिया। जहां तक देखो पानी ही पानी नजर आता है। दैनिक भास्कर की टीम को गांवों के हालात देखने के लिए भी नाव का सहारा लेना पड़ा।
- कुछ ने घर छोड़ा तो कुछ पानी से घिरे घरों में रह रहे : बाऊपुर से सटे कुल 16 गांव इस बाढ़ की चपेट में अभी भी हैं। कुछ लोग तो मजबूरी में अपने घर छोड़ चुके हैं, मगर कुछ लोगों ने बाढ़ में भी अपने घर को छोड़ना मुनासिब न समझा, क्योंकि कई लोगों के पास सिर्फ उनका घर ही एकमात्र आसरा था। इन लोगों के चेहरे पर चिंता और आंखों में बेबसी साफ झलक रही थी। कहना था कि यहां इंसान और मवेशी दोनों ही मुसीबत में हैं। यह सिर्फ बाढ़ नहीं है, हम लोगों की उम्मीदें और सपने भी इसमें बह गए है।

बाऊपुर फ्लाईओवर से करीब 1 किलोमीटर दूर पानी में घर के अंदर रह रहे परिवार के लिए भेजी गई मेडिकल सुविधा। डॉक्टरों द्वारा परिवार के हर सदस्य दवाएं दी गईं और मच्छर से बचाव के लिए भी सामन दिया गया। साथ ही साथ परिवार के सदस्यों को टिटनेस के टीके भी लगाए गए।
- प्रशासन और सामाजिक संस्थाएं मदद के लिए जुटी : लोगों ने बताया कि नावों के सहारे ही आना-जाना कर रहे हैं। जिस गांव में आसपास लोग सुबह उठते थे और खेत देखते थे, अब हर रोज सामने चारों तरफ पानी ही पानी दिखाई देता है। गनीमत है कि संस्थाओं, आर्मी और पंजाब सरकार की ओर से इतनी मदद लोगों तक पहुंचाई जा रही है कि बुनियादी जरूरतें, पानी, खाना और दवाओं सहित पशुओं को चारा मिलता रहे। बाऊपुर क्षेत्र में करीब 350 घर बाढ़ की चपेट में थे, मगर किसी भी घर में राशन, पानी और मेडिकल सुविधा की कोई कमी नहीं थी।
- निर्मल कुटिया, अन्य संस्थाओं और सरकार ने भेजी सामग्री : बाऊपुर फ्लाईओवर पर लाइन से करीब 40 से 50 ट्रैक्टर ट्रॉलियां, ट्रक खड़े थे, जोकि सिर्फ राहत सामग्री लेकर पहुंचे थे। ज्यादातर ट्रक और ट्रॉलियां संस्थाओं की थी। कुछ सरकार और आसपास के किसानों की थी। वहीं, निर्मल कुटिया के मुखी संत और पंजाब से आम आदमी पार्टी के सांसद संत बलबीर सिंह सीचेवाल की संस्था की ओर से प्रभावित गांवों तक मदद पहुंचा रही है। इसमें चारे से लेकर राशन और पानी की बोतलें तक शामिल हैं।

बाऊपुर फ्लाईओवर पर खड़ी एम्बुलेंस, मेडिकल सुविधाओं के लिए बुलाई गईं टीमों की गाड़ियां। जहां पर लोगों को मुफ्त दवाएं दी जा रही हैं।
यहां जानिए बाढ़ से त्रासदी की कहानी, पीड़ितों की जुबानी…
काला बोले- घर बाढ़ में बह गया, खेत भी डूब गए मोहम्मदाबाद वह गांव है, जोकि सतलुज दरिया से कुछ ही दूरी पर है। यहां के रहने वाले काला ने बताया कि 11 अगस्त उन्हें पता चला कि उनके घर के चारों तरफ पानी भर चुका है। इसके दो दिन बीते थे कि दरारें आनी शुरू हो गईं। इसके बाद जल्दी जल्दी में जो सामान इकट्ठा कर पाए, वो किया और तुरंत बाऊपुर के पास पहुंच गए। उन्हें सुबह पता चला कि उनका घर गिर गया और बाढ़ ने उनकी करीब डेढ़ एकड़ जमीन पर खड़ी धान की फसल को अपनी चपेट में ले लिया है। काला के अनुसार डेढ़ एकड़ जमीन उसकी खुद की थी और दो एकड़ जमीन वह ठेके पर लेकर खेती करता था। काला ने बताया कि मेरे घर में पांच लोग है, जो खेती के साथ साथ दिहाड़ी मजदूरी कर किसी तरह अपना गुजारा करते है।

बाढ़ में अपना घर गिरने के बाद बेघर हुआ काला। संस्थाओं द्वारा बाढ़ में काला का घर गिरने की तस्वीर को मदद के लिए पहुंचे ट्रक पर लगाया गया था।
बलजीत सिंह बोले- सरकारी मदद नहीं मिली, घर खेत सब बर्बाद हुआ बाऊपुर क्षेत्र के गांव रामपुर गौरां के रहने वाले बलजीत सिंह ने कहा- काला के घर गिरने से करीब दो दिन बाद बाढ़ ने गांव रामपुर गौरां को भी अपनी चपेट में ले लिया था। वह तुरंत अपने परिवार के साथ अपने अन्य रिश्तेदारों के घर मूव हो गया था। अगले दिन सुबह जब वह अपने घर पर कुछ सामान लेने के लिए पहुंचा तो देखा कि घर उनका बाढ़ के गिर चुका था।

बलजीत सिंह, जिनका घर बाढ़ में बह गया और करीब 5 एकड़ जमीन पूरी तरह से तबाह हो गई।
बलजीत सिंह ने कहा- हम जॉइंट परिवार में रहते हैं। हमारे पास कुल 5 एकड़ जमीन थी और हमारा घर था। बाढ़ में सब तबाह हो गया। 5 एकड़ जमीन पर हमने धान लगाई हुई थी, जोकि बर्बाद हो चुकी है।हमें फिलहाल सरकार की ओर से कोई ऐसी मदद नहीं मिली, जिससे हमारी किसी प्रकार की कोई भरपाई हो पाए। मेरा परिवार इस वक्त अलग अलग रिश्तेदारों के घर पर रह रहा है।

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पंजाब के लुधियाना में सतलुज नदी से बाढ़ का बड़ा खतरा बना हुआ है। सतलुज पर गांव ससराली के पास बना बांध में किसी भी वक्त दरार पड़ सकती है। शुक्रवार दिन भर में बांध पर 16 फुट का कटाव हो चुका है। जिसके बाद किसानों के खेतों में सिंचाई के लिए बनाए ट्यूबवैल के कमरे बह चुके हैं। अब लोगों के खेत 3-4 फुट दूर ही बचे हैं, जिसके बाद करीब 800 मीटर दूर पर लुधियाना ईस्ट की आबादी का क्षेत्र है। (पूरी खबर पढ़ें)