Punjab Govt Cabinet Meeting 22 July CM Residential Chandigarh Update; Land Pooling Issue | पंजाब कैबिनेट की मीटिंग कल: चंडीगढ़ में सीएम आवास पर होगी, लैंड पूलिंग इश्यू पर हो सकता है फैसला – Punjab News

पंजाब सरकार कैबिनेट कल सुबह साढ़े दस बजे सीएम रिहायश पर होगी।

पंजाब सरकार की कल (मंगलवार को) कैबिनेट मीटिंग होगी। मीटिंग सुबह साढ़े दस बजे चंडीगढ़ स्थित CM आवास पर रखी गई है। सूत्रों के मुताबिक, इस मीटिंग में लैड पूलिंग मुद्दे पर सरकार की तरफ से कोई फैसला लिया जा सकता है।

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आज (सोमवार को) भी रेवेन्यू मंत्री हरदीप मुंडिया की किसानों से मीटिंग हुई थी। सीएम पहले ही कह चुके हैं कि सरकारी बिना किसी मर्जी से जमीन एक्वायर नहीं करेगी। किसान चाहे तो जमीन सरकार को दे सकते हैं। 21 दिनों में लेटर ऑफ इंटेंट जारी होगा

हालांकि इससे पहले दिन में सरकार की ओर से यह फैसला लिया गया था कि किसानों की सहमति मिलने के 21 दिनों के भीतर उन्हें “लेटर ऑफ इंटेंट” (Letter of Intent) जारी कर दिया जाएगा। इसके साथ ही, जब तक विकास कार्य शुरू नहीं होते, किसानों को प्रति एकड़ सालाना ₹50,000 की अग्रिम भुगतान (एडवांस पेमेंट) दी जाएगी।

हालांकि, सीएम ने धूरी में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि इस राशि को बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है। जब तक विकास कार्य शुरू नहीं होते, किसान अपनी जमीन पर खेती कर सकेंगे और उससे होने वाला पूरा मुनाफा भी उन्हीं का होगा

कैबिनेट मीटिंग संबंधी आदेश

कैबिनेट मीटिंग संबंधी आदेश

विपक्ष कर रहा है गुमराह

सीएम भगवंत मान ने धूरी में एक प्रोग्राम में कहा था कि विरोधी दल लैंड पूलिंग नीति का विरोध कर रहे हैं। मान लो किसी इलाके में 120 किले या एकड़ में कालोनी बनानी है। पहले भी कॉलोनी काटी जाती थी, हालांकि पहले अवैध कॉलोनियां बनाई गई थीं। न तो वहां पर लाइट व सीवरेज की सुविधा होती। प्लॉट खरीदने के बाद पता चलता है कि यह तो अवैध है। डेवलपर भाग जाता था, वह कहता था कि नेताओं से करवा लो। सीएम ने कहा कि अब ऐसा नहीं होगा।

सरकार जमीन एक्वायर नहीं कर रही है। कोई रजिस्ट्री पर रोक नहीं लगी है। कोई चाहता है तो जमीन दे। उसे हजार वर्ग गज रिहायशी व दो सौ गज का शोरूम मिलेगा। ऐसे में जहां 120 किले की कॉलोनी बननी थी, वहां पर 112 में बना देंगे। रजिस्ट्री पर कोई पाबंदी नहीं है। नेता लोगों को गुमराह कर रहे हैं। हमारी कोशिश है जमीन का पैसा किसानों को मिले। पहले तो जब जमीन एक्वायर होनी होती थी, तो किसानों से जमीन खरीद ली जाती थी। बाद में ऊंचे रेटों पर बेची जाती थी।

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