फरीदकोट कोर्ट व जानकारी देते बचाव पक्ष के वकील विनोद मोंगा।
पंजाब के फरीदकोट में जेएमआईसी एस.सोही की कोर्ट में करीब साढे 16 वर्ष पहले यहां की बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी के पीएमईटी पेपर प्रकरण के मामले में कुल 53 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी करने का आदेश सुनाया। इन आरोपियों में 16 उम्मीदवारों के अलावा
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आदेश के बाद पंजाब,हरियाणा, दिल्ली, यूपी, बिहार, राजस्थान व हिमाचल प्रदेश से संबंधित इन लोगों को राहत मिली है।
जांच के लिए एसआईटी गठन
जानकारी के अनुसार बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी की तरफ से साल 2008 में राज्य के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस कोर्स में दाखिले के लिए पीएमईटी की परीक्षा का आयोजन किया गया था। परीक्षा के दौरान सामने आया कि कुछ उम्मीदवारों ने अपनी परीक्षा अन्य लोगों से दिलवाई है। जिसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पुलिस को शिकायत दी और पुलिस ने 4 जुलाई 2008 में थाना सिटी में केस दर्ज कर जांच के लिए एसआईटी का गठन किया।
एमबीबीएस विद्यार्थियों से दिलवाई परीक्षा
जांच के दौरान सामने आया कि पीएमईटी की परीक्षा के लिए उम्मीदवारों ने देश के नामवर मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को हायर किया और अपनी परीक्षा दिलवाई। जिसके लिए 1 लाख तक का भुगतान किया गया। एसआईटी ने जांच में कुल 16 उम्मीदवारों के अलावा 13 इंपोस्टर और अभिभावक व बिचौलियों समेत कुल 56 लोगों को केस में नामजद करते हुए साल 2011 में उनके खिलाफ अदालत में चार्जशीट भी दाखिल कर दी।
कई प्रदेशों के 53 लोग बरी
इस केस की सुनवाई पूरी करते हुए सोमवार को जेएमआईसी की कोर्ट में फैसला सुनाया और 53 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। बरी किए लोगों में पंजाब, हरियाणा दिल्ली, बिहार, यूपी व हिमाचल प्रदेश के लोग शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर वर्तमान समय में विशेषज्ञ डॉक्टर के रूप में सेवाएं निभा रहे हैं।
2 की मौत हो चुकी, एक भगौड़ा घोषित
मामले में बचाव पक्ष के वकील विनोद मोंगा ने बताया कि एसआईटी ने कुल 56 को चार्जशीट किया था, जिनमें से अदालत ने 53 को बरी कर दिया। दो की मौत हो चुकी है, जबकि एक को कोर्ट ने भगौड़ा घोषित किया हुआ है। बरी होने वाले लोगों ने बड़ी राहत महसूस की है।