कोलकाता रेप-मर्डर केस ने सबको हिला दिया है, ऐसी घटनाएं कैसे रुकेंगी?
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‘रेप करने वाले के माता-पिता और परिवार अपने बेटे को सजा देने के लिए आगे आना होगा। ऐसा जिस दिन होने लग जाएगा, ऐसे केस होना रुक जाएंगे।’ ये कहना है राष्ट्र संत पुलक सागर महाराज का।
विश्व में अशांति के सवाल पर उन्होंने कहा-दुनिया में हथियारों और बमों से शांति नहीं मिल सकती है। महाराज ने दुनिया को सीख देने वाले जैन धर्म से जुड़े 3 शब्द बताए और उनके मायने भी समझाए।
दिगंबर जैन समाज के दसलक्षण पर्व के मौके पर उदयपुर से करीब 75 किलोमीटर दूर ऋषभदेव (केसरियाजी) में चातुर्मास कर रहे राष्ट्र संत पुलकसागर से दैनिक भास्कर ने कई विषयों पर बातचीत की।
पढ़िए पूरी बातचीत…
ऋषभदेव में चातुर्मास के दौरान धर्म सभा को संबोधित करते राष्ट्र संत पुलक सागर महाराज ।
सवाल : रोज रेप की घटनाएं? बहन–बेटियां सुरक्षित नहीं हैं, कैसे निपटा जा सकता है इससे। मुनि पुलक सागर : इसको लेकर कानून कितने ही बन जाएं, पर समस्या का समाधान हमें ही करना होगा। कोलकाता का रेप केस हो या निर्भया कांड हो, उस समय भी कानून सख्त हुआ। उसके बाद आए दिन देश में दुष्कर्म, दुर्व्यवहार और दुराचरण होते रहे। इस समस्या से निपटना है तो सबसे पहले माता-पिता को ध्यान देना है।
हमारे देश की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि दुष्कर्म करने वाले को उसके मां-बाप और परिवार बचाने का प्रयास करते हैं। मैं चाहता हूं कि प्रत्येक देश का नागरिक इतनी ईमानदारी रखें कि उनके परिवार का सदस्य किसी का रेप करता है तो उसके मां-बाप, भाई और बहन को आगे आकर उसको सजा देनी चाहिए। अपने बच्चे को बचाने और नाबालिग घोषित करने की कोशिश करते हैं। मैं कहता हूं जब मां-बाप उसको घसीटकर कानून के हवाले करेंगे। सजा देंगे और आगे आएंगे तब यह सब रुक जाएगा।
सवाल : नई पीढ़ी जल्दबाजी में बहुत है, क्या कहेंगे उनके लिए? मुनि पुलक सागर : नई पीढ़ी को कहना चाहूंगा कि धैर्य रखें। जब धैर्य नहीं होता है तो हत्या होती है। चोरी होती है। सारे पापों की जड़ है धैर्य न रखना। मैं आज की युवा पीढ़ी को यही कहूंगा कि जो तुम लिखाकर लाए हो, उससे ज्यादा सोचोंगे तो जीवन में विसंगतियां पैदा होगी। जो मिलना है वह जंगल में भी मिलता है। जो नहीं मिलना है वह आप शहरों के बीच रहकर भी नहीं पा सकते है। सबसे बड़ा धर्म आज की युवा पीढ़ी के लिए इंसानियत है। हम बाद में मोक्ष और स्वर्ग की कल्पना करें लेकिन पहले इंसान को इंसान समझने की कोशिश करें।
सवाल : दुनिया में अशांति का माहौल है। पड़ोसी देशों में प्रेम भाव कम क्यों हो रहा है? मुनि पुलक सागर : बड़ी तेजी से मनुष्य ने अपने विनाश के हथियार तैयार कर लिए हैं। अधिकतर देश परमाणु संपन्न हो रहे हैं। ये सब हिंसा के उपकरण हैं। ये पूरा विश्व जब तक भगवान महावीर की अहिंसा को स्वीकार नहीं करेगा तब तक इन हथियारों और बमों से अमन चैन की स्थापना नहीं हो सकती। जितने भी आविष्कार आज हो रहे हैं, यह सब विनाशकारी है। न जाने कब किस नेता का दिमाग कब फिर जाए। एक बम पटक दें और दुनिया को तहस-नहस कर दें।
हम चाहते है कि पूरे विश्व में अहिंसा का संदेश बुलंद होना चाहिए। आखिर हिंसा का अंत भी अहिंसा पर ही होने वाला है। क्यों हम उसे बारूद के ढेर पर दुनिया को ले जा रहे हैं। एक क्षण में दुनिया तहस-नहस हो जाए। सारी दुनिया में हमारा एक छत्र राज रहे यह नजरिया बदलना होगा। एक छत्र राज तो रावण का नहीं रहा, कंस का नहीं रहा, हिटलर का नहीं रहा तो आपका और हमारा कैसे रहेगा। प्रत्येक देश अपनी-अपनी सीमा में रहकर जीना सीख ले, तो यह वातावरण निर्मित नहीं होगा।
सवाल : जैन धर्म के तीन शब्द जो दुनिया को सीख देते हैं? मुनि पुलक सागर : अपरिग्रहवाद का मतलब गरीब या निर्धन होना नहीं है, आवश्यकता में जियो, आकांक्षा में नहीं। अहिंसा का मतलब है जितना हमें अपना जीवन प्रिय है, उतना दूसरों को भी प्रिय है। उसका हम ध्यान रखें। मैं ही सच हूं ऐसा नहीं है। जो सच है वो मेरा है। जो मेरा है वह सच है। ऐसा नहीं होना चाहिए। जो सच है वह मेरा है यह अनेकांत है।
सवाल : गुस्सा आता क्यों है, कैसे कंट्रोल करें ? मुनि पुलक सागर : गुस्सा आता नहीं है वह हमारी आदतों में है। हमने दिमाग में सोच रखा है कि गुस्सा नहीं करेंगे तो काम नहीं होगा। हम दूसरी तरफ से सोचे कि बिना गुस्सा किए भी काम होते हैं। वो काम शांति वाले होते हैं, संतुष्ट करते हैं। गुस्से से काम हो तो जाता है, लेकिन मन के अंदर एक प्रतिशोध बना रहता है। हमें गुस्सा आता नहीं है। इस आदत को बदलने का प्रयास करें।
सवाल : देश में जातिगत जनगणना पर बात हो रही है, आप क्या सोचते हैं? मुनि पुलक सागर :जातिगत जनगणना वाले लोग कभी धर्मनिरपेक्षता की बात करते थे। जातिगत जनगणना उनका राजनीतिक स्वार्थ है। भारतीय जनगणना होनी चाहिए, न कि धर्मों, जातियों में सम्प्रदाय में विभाजित करके देश को लड़ाना चाहिए। ये उन्माद फैला कर देश को किस तरह ले जाना चाहते हैं। गृह युद्ध जैसे वातावरण का निर्माण होने जा रहा है। मैं सोचता हूं जनगणना में भारतीय लिखा जाए और जाति नहीं। जनगणना ही ज्यादा सार्थक होगी।
सवाल : परिवारों में बिखराव हो रहा है कारण क्या है ? मुनि पुलक सागर : छोटापन ही बड़ा कारण है। एक ही बेटा होता है तो मां-बाप के कंट्रोल में नहीं होता है। एक ही बेटा होता है जो मान मर्यादाओं को ताक पर रख देता है। जब से एक बेटे की परम्परा आई है, तब से बेटा समझता है कि मै इकलौता हूं तो मां बाप मेरा साथ देंगे। वह अपनी करता है। समाज में एकल परिवार तेजी से बढ़ रहे हैं। संयुक्त परिवार होंगे तो एक-दूसरे का भय भी रहता है और मर्यादाओं की स्थापना भी होती है। संयुक्त परिवार होंगे तो परिवारों में बिखराव नहीं होगा।
सवाल : मोबाइल जीवन बदल रहा तो बर्बाद भी कर रहा है, क्या कहेंगे आप? मुनि पुलक सागर : मोबाइल एक बहुत बड़ी समस्या है। हम कितनी भी चर्चा कर लें, इससे छुटकारा नहीं मिल सकता है। जीवन की एक ऐसी चीज बन गया है, जिसके बिना कोई नहीं रह सकता है। अब हमें यह प्रयास करने चाहिए कि मोबाइल पर हिंसा, दुष्कर्म, आतंक, वासना परोसी जा रही है, उस पर रोक लगानी चाहिए। भारत सरकार इन पर रोक लगा देगी तो मोबाइल छुड़ाना नहीं पड़ेगा अपने आप छूट जाएगा। अच्छी बात परोसने का काम करेंगे तो मोबाइल वरदान है और गंदी चीजें परोसेंगे तो अभिशाप है।
सहयोग : शैलेंद्र जैन, ऋषभदेव