PU Senate and Syndicate dissolved Punjab University Chandigarh Harpal Singh Cheema Bhaghwant Mann attack centre | PU सीनेट भंग करने पर घिरी केंद्र सरकार: पंजाब के मंत्री चीमा बोले- ये पंजाबियत खत्म करने का प्रयास, नोटिफिकेशन रद्द करने की मांग – Chandigarh News

पीयू में सीनेट भंग होने पर गरमाई सियासत।

केंद्र सरकार ने 59 साल पुरानी सीनेट और सिंडिकेट को भंग करने का नोटिफिकेशन जारी किया है। जिस पर राजनीतिक प्रतिक्रिया आ रही हैं। पंजाब सरकार के मंत्री हरपाल चीमा समेत, शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और कांग्रेस महासचिव प्रगट सिंह ने इसे पंजाब और पंजाबिय

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सभी ने एकजुट होकर केंद्र सरकार के इस नोटिफिकेशन को रद्द करने के लिए हर तरह का संघर्ष करने का ऐलान कर दिया है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार की तरफ से सीनेट सदस्यों की संख्या ही कम नहीं की है बल्कि इनकी शक्तियां भी कम कर दी हैं।

केंद्र सरकार द्वारा जारी नोटीफिकेशन की कॉपी

केंद्र सरकार द्वारा जारी नोटीफिकेशन की कॉपी

सिलसिलेवार पढ़ें क्या है पूरा मामला…

  • 16 नवंबर 1966 को गठित सीनेट सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है, जो मूल रूप से 1882 में लाहौर में स्थापित की गई थी, अब अपने कार्यालय-बेररों (डीन आदि) को राजनीतिक भूमिकाओं से हटाकर प्रशासनिक भूमिकाओं में बदल जाएगी।
  • पूर्वी पंजाब विश्वविद्यालय अधिनियम, 1947 की धारा 14(7) के तहत किए गए इन व्यापक परिवर्तनों से चुनाव प्रणाली समाप्त कर दी गई है। अब सदस्य पूरी तरह से नामित होंगे।
  • सीनेट का आकार 91 से घटाकर 31 कर दिया गया है और सिंडिकेट का आकार 27 से घटाकर 17 कर दिया गया है।
  • नए गठन में चंडीगढ़ के सांसद, यूटी के मुख्य सचिव और शिक्षा सचिव को भी पंजाब के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पदेन सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।
  • 10 सदस्य चांसलर द्वारा नामित होंगे। कला और विज्ञान से दो-दो प्रोफेसर, इंजीनियरिंग, कानून, शिक्षा, चिकित्सा और कृषि से एक-एक प्रोफेसर लिया जाएगा।
  • पांच कालेजों के प्रिंसिपल रोटेशन में चुने जाएंगे।
  • पंजाब के मुख्य सचिव और शिक्षा सचिव, पंजाब के राज्यपाल द्वारा नामित दो विधायक, चंडीगढ़ के तीन अधिकारी-सलाहकार, मुख्य सचिव और शिक्षा सचिव सदस्य होंगे,
  • सभी “ऑर्डिनरी फैलोज” के नामांकन के लिए चांसलर की स्वीकृति आवश्यक होगी।
पंजाब यूनिवर्सिटी की तस्वीर।

पंजाब यूनिवर्सिटी की तस्वीर।

नई प्रणाली के गठन से क्या होगा…

  • राजनीतिक चुनावों का अंत: अब राजनीतिक मतदान की जगह मनोनीत तरीके से नामांकन प्रणाली लागू होगी।
  • केंद्रीय नियंत्रण मजबूत: केंद्र को पंजाब विश्वविद्यालय पर अधिक सीधा नियंत्रण मिलेगा।
  • चंडीगढ़ की भूमिका मजबूत: चंडीगढ़ के सांसद और अधिकारी अब विश्वविद्यालय के निर्णयों में अधिक हिस्सेदारी निभाएंगे।
  • प्रतिनिधित्व में कमी: आलोचकों के अनुसार, यह लोकतांत्रिक स्वरूप को कमजोर कर सकता है।
  • निर्णय प्रक्रिया तेज: छोटा और नामित निकाय निर्णय जल्दी ले सकेगा।
  • ऐतिहासिक पुनर्गठन: यह 1966 के बाद विश्वविद्यालय की नई संरचना जैसा ही है।
  • चुनाव प्रणाली समाप्तः ग्रेजुएट मतदाता वर्ग खत्म, सीनेट का आकार घटा
  • चुनाव प्रणाली समाप्त: अब सिंडिकेट पूरी तरह नामित होगी।
  • ग्रेजुएट मतदाता वर्ग समाप्त: पंजीकृत स्नातकों का प्रतिनिधित्व नहीं रहेगा।
  • सिंडिकेट का आकार घटा: 27 से घटाकर 17 सदस्य (7 चुनाव से और 10 मनोनीत होंगे)

यह है नया सिंडिकेट ढांचा

  • कुलपति (VC) अध्यक्ष होंगे।
  • 10 सदस्य वरिष्ठता और रोटेशन के आधार पर कुलपति द्वारा नामित किए जाएंगे
  • पदेन सदस्य अब इनमें शामिल होंगे- पंजाब के मुख्यमंत्री, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, शिक्षा मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी।
  • कार्यकाल चार वर्ष का होगा।
  • सिंडिकेट में अब कुल 17 सदस्य होंगे- 7 पदेन और 10 नामित सदस्य।
  • नामांकन वरिष्ठता के आधार पर होगा, जिसमें दो सदस्य फैकल्टी से, दो विश्वविद्यालय प्रोफेसरों से, दो कॉलेज प्राचार्यों से, एक-एक सहयोगी प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर और सहायक प्रशासनिक अधिकारी से लिए जाएंगे।
पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट और सिंडिकेट भंग करने पर पत्रकारवार्ता करते हुए मंत्री हरपाल सिंह चीमा।

पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट और सिंडिकेट भंग करने पर पत्रकारवार्ता करते हुए मंत्री हरपाल सिंह चीमा।

पंजाब कैबिनेट हरपाल चीमा ने क्या कहा…

  • सेंटर गवर्नमेंट का नोटीफिकेशन डिक्टेटरशिप की ओर बढ़ते कदम हैं।
  • स्टेट की भाषाओं को समाप्त करने का हमला भारतीय जनता पार्टी ने किया है।
  • 59 साल पुरानी सीनेट और सिंडीकेट की स्थापना को तबाह किया है
  • सीनेट और सिंडिकेट सदस्य पर कंट्रोल का प्रयास
  • सीनेट और सिंडिकेट पर चंडीगढ़ प्रशासन का दबाव बनाने का प्रयास है।
  • भारतीय जनता पार्टी पंजाब, पंजाबियत और पंजाब की इंस्टीट्यूशन से नफरत करती है
  • सदस्यों की पावर कम कर दीं, सीनेट सिंडीकेट का चुनाव करती थी और अब वह सभी मनोनीत करेगी।
  • नोटीफिकेशन को रद्द करवाने के लिए हर प्रयास किया जाएगा
  • रवनीत बिट्टू, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ और कार्यकारी अध्यक्ष अश्वनी शर्मा इस्तीफा मांगा।
जालंधर में पत्रकारवार्ता के दौरान कांग्रेस महासचिव प्रगट सिंह।

जालंधर में पत्रकारवार्ता के दौरान कांग्रेस महासचिव प्रगट सिंह।

पूर्व शिक्षा मंत्री प्रगट सिंह का केंद्र पर कटाक्ष

केंद्र सरकार एजुकेशन सिस्टम पर कंट्रोल करने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रही है। पंजाब यूनिवर्सिटी में होने वाले एक सेमीनार पर भी कितने सवाल खड़े कर दिए गए थे। स्टूडेंट्स से भी दाखिला फॉर्म में शर्तों पर साइन करवाए जा रहे हैं कि वह वहां कोई भी एक्टिविटी नहीं कर सकेंगे और कोई धरना नहीं लगा सकेंगे। यह उनके अधिकारों का हनन है। केंद्र ने पंजाब से यह अधिकार छीन लिया है। इससे सात जिलों के एफिलिएटि कालेजों, तीन रीजनल कैंपसों समेत डीपीआई कॉलेज पूरी तरह प्रभावित होंगे। उनको दरकिनार करके प्रक्रिया बना दी है, जो बिल्कुल सरकारी हो। आरएसएस इस सिस्टम को ड्राइव कर रही है। स्टाफ आरएसएस बैकग्राउंड से लगाया जा रहा है। तभी उनका कब्जा एजुकेशन सिस्टम पर रहे। उनका हर हमला पंजाब के समस्त ढांचे को कमजोर करने की साजिश है।

सुखबीर सिंह बादल की फोटो।

सुखबीर सिंह बादल की फोटो।

शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल का भी केंद्र पर हमला सुखबीर बादल ने भी पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट को भंग करने और उसमें पंजाब की भागीदारी समाप्त करने के केंद्र सरकार के फैसले की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि यह देश के संघीय ढांचे का अपमान और पंजाब के शैक्षिक व बौद्धिक ढांचे पर हमला है। वह भी ‘पंजाब दिवस’ के अवसर पर, जिसकी स्थापना के लिए हजारों पंजाबियों ने कुर्बानियां दीं। केंद्र सरकार ने पंजाब की परवाह किए बिना और पंजाब की गौरवशाली विरासत से पंजाब को बेदखल करके यह एकतरफा अध्यादेश जारी करके पंजाब को एक और असहनीय जख्म दिया है।

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