Profit up to ₹ 15 per liter on petrol and diesel, companies are not reducing rates | पेट्रोल-डीजल पर ₹15लीटर तक मुनाफा, रेट नहीं घटा रहीं कंपनियां: देश में प्रति व्यक्ति मासिक ईंधन खपत औसतन 9, जिस पर 298 रु. टैक्स

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नई दिल्ली17 मिनट पहलेलेखक: अजय तिवारी

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ट्रम्प के टैरिफ वॉर से भले ही दुनिया भर की अर्थव्यवस्था में हलचल हो। ले​किन देश की तेल कंपनियों जमकर मुनाफा कमा रही हैं। क्योंकि कच्चे तेल की कीमतें चार साल के​ सबसे निचले स्तर (65.41 डॉलर प्रति बैरल) आ गई हैं।

इससे पहले अप्रैल 2021 में दाम 63.40 डॉलर प्रति बैरल थे। इस गिरावट से पेट्रोल-डीजल रिफाइन करने पर होने वाला लाभ ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गया है।

रेटिंग एजें​सियों के अनुसार मौजूदा समय में तेल कंपनियों को पेट्रोल पर प्रति लीटर ₹12-15 और डीजल पर ₹6.12 का मुनाफा हो रहा है। इसके बावजूद, तेल कंपनियों ने पिछले एक साल से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई कटौती नहीं की है।

हाल ही में संभावना थी ​​कि तेल कंप​नियां दाम घटाएंगी। ले​किन सरकार ने ₹2 लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी। इसकी आड़ में कंपनियां दाम घटाने से बच गईं। लंबे समय से तेल कंपनियां घाटे का हवाला देकर दामों में कटौती से बच रही हैं।

जबकि, हकीकत ये है कि पिछले 5 सालों में 7 बड़ी तेल-गैस कंपनियों में केवल एक आईओसी को एक बार 2019-20 में मामूली घाटा हुआ था। इसे छोड़ दिया जाए तो ये कंपनियां साल दर साल भारी मुनाफा कमा रही हैं।

शेयर बाजार में लिस्टेड इन कंपनियों के खुद के डेटा यह बात कहते हैं। यही नहीं, केंद्र सरकार के पेट्रो​​लियम मंत्रालय की पेट्रो​लियम प्ला​निंग एंड एनालिसिस सेल के अनुसार, पेट्रोल-डीजल से केंद्र और राज्य सरकारों ने 5 साल में 35 लाख करोड़ जुटाए।

केंद्र को एक्साइज ड्यूटी, कंपनियों के लाभांश और आयकर से कुल ₹21.4 लाख करोड़ की कमाई हुई और राज्य सरकारों के वैट और लाभांश में ​हिस्सेदारी के रूप में ₹13.6 लाख करोड़ मिले।

  • 2023-24 में 7 बड़ी तेल कंपनियों ने 2.29 लाख करोड़ मुनाफा कमाया। इन्हें पिछले 5 साल से लगातार मुनाफा हो रहा है। ​सिर्फ आईओसी को 2019-20 में 934 करोड़ रु. का घाटा हुआ था।
  • रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने पिछले पांच साल में सबसे ज्यादा ₹2.86 लाख करोड़ का लाभ कमाया। ओएनजीसी दूसरे पर रही।
  • इन तेल कंपनियों में 2019-20 से 2023-24 के बीच कुल ₹7 लाख करोड़ से भी ज्यादा का लाभ कमाया। पर ग्राहकों को ज्यादा राहत नहीं दी।

सब्सिडी खर्च की 85% भरपाई पेट्रोल-डीजल से हो रही

2024-25 में राज्य सरकारों का सब्सिडी बिल ₹4.7 लाख करोड़ रहा। केंद्र की कुल सब्सिडी इस वर्ष ₹3.81 लाख करोड़ थी। दोनों को मिलाकर देश में कुल सब्सिडी ₹8.51 लाख करोड़ की रही। इसके एवज में राज्यों को पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से ₹3.2 लाख करोड़ और केंद्र को ₹4 लाख करोड़ मिले।

दोनों को मिलाकर कुल कमाई ₹7.2 लाख करोड़ रही। यानी केंद्र-राज्य सरकारों ने जो ​सब्सिडी बांटी उसका करीब 85% हिस्सा पेट्रोल-डीजल पर टैक्स लगाकर ही वसूल लिया। केंद्र व राज्य सरकारों के लिए पेट्रोल-डीजल आय का बड़ा जरिया हैं।

पेट्रोल पर प्रति लीटर करीब ₹22 टैक्स ले रहा है केंद्र पेट्रोल पर केंद्र सरकार₹ 21.90 टैक्स लेती है। दिल्ली की सरकार ₹15.39 वैट लेती है। कुल टैक्स ₹37.30 लीटर है। डीजल पर केंद्र सरकार ₹17.80 प्रति लीटर केंद्र सरकार लेती है। ​दिल्ली सरकार वैट के रूप में ₹12.83 लीटर ले रही है।

दोनों को मिलाकर कुल टैक्स ₹30.63 रलीटर है। देश में हर माह हर व्यक्ति की पेट्रोल की खपत औसतन 2.80 लीटर और डीजल की 6.32 लीटर/माह है। यानी वह पेट्रोल पर हर माह ₹104.44 और डीजल ₹193.58 हर माह टैक्स देता है। दोनों को ​मिलाकर प्र​तिमाह ₹298 होता है।

देश में पेट्रोल की सालाना खपत 4,750 करोड़ लीटर

देश में पेट्रोल की सालाना खपत 4,750 करोड़ लीटर यानी प्र​ति व्यक्ति सालाना खपत 33.7 ली. है। डीजल की सालाना खपत 10,700 करोड़ लीटर यानी 75.88 ली. प्र​ति व्यक्ति प्रति वर्ष है। यानी प्रति व्यक्ति सालाना पेट्रोल-डीजल की खपत 109.6 लीटर यानी प्रति माह 9.13 लीटर। यह खपत सालाना 10.6% की दर से बढ़ती है।

कच्चे तेल के दाम 65-75 डॉलर के बीच

तेल और गैस एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा के मुताबिक, पिछले तीन महीने के अंदर कच्चे तेल के दाम 65-75 डॉलर के बीच में ही रहे हैं। उस आधार पर ही तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) पेट्रोल पर ₹4 र डीजल पर करीब ₹3.5 प्रति लीटर तक दाम घटाने की स्थिति में हैं।

ट्रम्प के टैरिफ वॉर के बाद दुनियाभर में कच्चे तेल के दाम 8-10 डॉलर प्रति बैरल तक घट चुके हैं। ऐसे में तेल कंपनियां अगले माह से कटौती करके भी ग्राहकों को राहत दे सकती हैं। वजह यह है कि मौजूदा घटे दामों पर दुनियाभर में भारतीय रिफाइनरीज कंपनियां कच्चे तेल के सौदे कर रही हैं। यह तेल लाकर उससे पेट्रोल-डीजल बनाकर बाजार में उतारने में एक से डेढ़ महीने का समय लगेगा।

पेट्रोल-डीजल एक ‘पॉलिटिकल कमोडिटी’ बन गई है। कहने को तो सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम बाजार के हवाले कर दिए हैं, लेकिन ​​पिछले एक से डेढ़ साल से सरकार अपने हिसाब से दाम घटा और बढ़ा रही है।

सरकारी तेल कंपनियों को ​निजी क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों से मुकाबला करने के लिए जरूरी है कि वे ग्राहकों को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाएं। अन्यथा उनका मार्केट शेयर तेजी से घट सकता है। अभी देशभर में नायरा और ​​​​रिलायंस के पेट्रोल पंप में पेट्रोल-डीजल सस्ता मिल रहा है।

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