Pre-IPO Investment Share Pricing; Benefits Risks and Process | कंपनी के लिस्ट होने से पहले भी निवेश संभव: प्री-आईपीओ में मिलता है आईपीओ से कम दाम पर शेयर खरीदने का मौका, पर रिस्क भी

6 मिनट पहलेलेखक: गौरव कुमार

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भारत के प्राइमरी शेयर मार्केट में कुछ महीनों से तेजी देखी जा रही है। इस साल अब तक 121 आईपीओ आ चुके हैं। बीएसई के आंकड़ों से पता चलता है कि लिस्टिंग पर 107 आईपीओ ने निवेशकों को रिटर्न दिया है। हालांकि, आईपीओ की आवंटन प्रक्रिया जटिल होती है।

डिमांड ज्यादा होने पर रिटेल निवेशकों को शेयर मिलना मुश्किल हो जाता है। बहुत सारे रिटेल निवेशक जानना चाहते हैं कि क्या वे किसी कंपनी के स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने से पहले उसके शेयर खरीद सकते हैं? जवाब है कि प्री-आईपीओ के जरिए ऐसा किया जा सकता है।

प्री-आईपीओ क्या है?

यह स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने से पहले ही किसी कंपनी के शेयर खरीदने का तरीका है। ये शेयर आम तौर पर संस्थागत निवेशकों, वेंचर कैपिटलिस्ट या हाई-नेट-वर्थ वाले लोगों (अमीर) के लिए उपलब्ध होते हैं। प्री-आईपीओ निवेश का मुख्य आकर्षण ये है कि यह आईपीओ की तुलना में कम दाम पर शेयर खरीदने का मौका होता है।

हालांकि, प्री-आईपीओ निवेश में कुछ जोखिम भी हैं। अनलिस्टेड कंपनियों में अक्सर पारदर्शिता और लिक्विडिटी यानी कभी भी बेचने की गुंजाइश कम होती है। इनका वैल्युएशन अनिश्चित होता है। इसकी कोई गारंटी नहीं है कि कंपनी मार्केट में लिस्ट होगी भी या नहीं, या लिस्टिंग के बाद इनके शेयर की कीमत बढ़ेगी ही।

नॉन-लिस्टेड कंपनियों के शेयर ऐसे खरीद सकते हैं…

  • ब्रोकरेज कंपनियां: कई ब्रोकरेज फर्म नॉन-लिस्टेड शेयर खरीदने में मदद करती हैं। ये संबंधित कंपनी के कर्मचारियों या शुरुआती निवेशकों से शेयर खरीदकर इच्छुक निवेशकों को बेचती हैं। सुरक्षा और पारदर्शिता के लिए सेबी में रजिस्टर्ड ब्रोकर से डील करना सही होता है।
  • मौजूदा शेयरधारक: कभी-कभार किसी कंपनी के कर्मचारी या शुरुआती निवेशक कंपनी के शेयर मार्केट में लिस्ट होने से पहले बेचना चाहते हैं। इस तरह की डील अक्सर दलालों के माध्यम से निजी तौर पर की जाती है। इस मामले में, खरीदार और विक्रेता कीमत पर बातचीत करते हैं और ब्रोकर लेनदेन की सुविधा मुहैया करता है।
  • एंजल इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म: ये प्लेटफॉर्म निवेशकों को स्टार्टअप और निजी कंपनियों से जोड़ते हैं। इससे उन्हें उन बिजनेस में जल्दी निवेश करने का मौका मिलता है जो बाद में स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट हो सकते हैं। हालांकि, ये निवेश अत्यधिक रिस्की हो सकता है।
  • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म: देश में ऐसे कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उभरे हैं, जो गैर-लिस्टेड शेयरों के लिए मार्केट उपलब्ध कराते हैं। इनमें से कुछ प्लेटफॉर्म सेबी में रजिस्टर्ड हैं। इससे निवेशकों के लिए प्रक्रिया ज्यादा सुरक्षित हो जाती है। ये प्लेटफॉर्म कंपनियों के बारे में डेटा भी उपलब्ध कराते हैं, जिससे निवेशकों को सही फैसला करने में मदद मिलती है।

इन बातों का ध्यान जरूर रखें

  • टैक्स: गैर-लिस्टेड शेयरों से होने वाले मुनाफे पर अलग-अलग तरह से टैक्स लगाया जाता है। इसलिए, निवेशकों को इस तरह की कंपनियों में निवेश करने से पहले टैक्स पॉलिसी की स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए।
  • प्राइसिंग: डिमांड घटने-बढ़ने पर गैर-लिस्टेड शेयरों की कीमतों में बड़ा उतार-चढ़ाव देखने मिल सकता है। निवेश से पहले कंपनी की वित्तीय स्थिति और ग्रोथ की संभावनाओं के बारे में रिसर्च कर लेना चाहिए।
  • जोखिम: लिस्टेड शेयरों की तुलना में नॉन-लिस्टेड शेयरों में जोखिम ज्यादा होता है। वे कम लिक्विड होते हैं यानी उन्हें बेचना मुश्किल हो सकता है। इसकी भी गारंटी नहीं है कि कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होगी ही।

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