दैनिक भास्कर की खबर का बड़ा असर हुआ है। यूज्ड स्टांप को धोकर उन्हें नया रूप देकर बाजार में खपाने वाले गिरोह के चार ठिकानों पर पुलिस ने छापामार कार्रवाई की है। यहां से पुलिस ने भारी मात्रा में यूज्ड और प्रिंट कर बनाए गए एडहेसिव स्टांप, अलग-अलग विभागों
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पुलिस ने इन चारों ठिकानों को सील कर दिया है। वहीं इस संगठित गिरोह के सरगना आरिफ के 10 नंबर स्थित बंगले पर भी कार्रवाई की गई। यहां नकली स्टांप छापने की एक पूरी फैक्ट्री चल रही थी। पुलिस ने आरिफ समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। 11 लोगों पर FIR दर्ज की गई है।
बता दें कि भास्कर ने स्टिंग ऑपरेशन के जरिए इस पूरे मामले का पर्दाफाश किया था। भास्कर ने बताया था कि किस तरह से यूज्ड स्टांप की सीरीज से छेड़छाड़ कर और एडहेसिव स्टांप पर लगी सील को केमिकल से साफ कर इनका दोबारा इस्तेमाल हो रहा है।
इस तरह आम लोगों के साथ सरकार के राजस्व को भी चूना लगाया जा रहा है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह एक संगठित अपराध है और आरिफ की फैक्ट्री से इन फर्जी स्टांप की सप्लाई कहां-कहां होती थी, इसकी जांच के लिए एक विशेष टीम गठित की गई है।

मास्टरमाइंड आरिफ के घर छापामार कार्रवाई करती पुलिस।
ऐसे हुआ था भास्कर की पड़ताल में खुलासा
दैनिक भास्कर ने अपनी पड़ताल के जरिए इस पूरे सिंडिकेट के काम करने के तरीके को उजागर किया था, जिसके बाद प्रशासन और पुलिस विभाग एक्शन में आया।
पहला खुलासा: 18 नवंबर भास्कर ने अपनी पहली रिपोर्ट में बताया था कि यह गिरोह सरकारी दफ्तरों, बैंकों और रजिस्ट्रार कार्यालयों से मिलीभगत कर पुराने दस्तावेज हासिल करता है। इन दस्तावेजों पर लगे एडहेसिव स्टांप को सफाई से निकालकर उन्हें खास केमिकल से धोया जाता था, जिससे वे बिल्कुल नए जैसे दिखने लगते थे।
इसके बाद इन्हें दोबारा बाजार में बेचकर सरकारी राजस्व को करोड़ों का चूना लगाया जा रहा था। भास्कर के स्टिंग ऑपरेशन में बोर्ड ऑफिस के सामने ‘मामा इंटरप्राइजेस’ का संचालक रिपोर्टर को यूज्ड स्टांप बेचते हुए कैमरे में कैद हुआ था।

पुलिस आरिफ को गिरफ्तार करके ले गई।
एक्सपर्ट जांच में हुआ असली और नकली का पर्दाफाश
दैनिक भास्कर ने खरीदे गए स्टांप और किरायानामे की जांच हैंडराइटिंग और डॉक्यूमेंट एक्सपर्ट से कराई। जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए…
1. खुरदरी सतह और पुरानी सील: मामा नोटरी से खरीदे गए एडहेसिव स्टांप की सतह असली स्टांप की तरह चिकनी और चमकदार नहीं, बल्कि खुरदरी थी। एक स्टांप के किनारे पर पुरानी नीली सील का हल्का निशान बाकी था।
2. यूवी लाइट में चमका पुराना गोंद: टिकटों को जब यूवी लाइट में जांचा गया, तो उन पर पहले इस्तेमाल हुआ गोंद चमकने लगा। यह इस बात का सबूत था कि इन्हें किसी पुराने दस्तावेज से उखाड़ा गया है।

3. इन्फ्रारेड लाइट में दिखी छिपी हुई सील: एएम नोटरी से बनवाए गए किरायानामे पर लगी 500 रुपए की टिकट को जब इंफ्रारेड लाइट फिल्टर से जांचा गया, तो ऊपर लगी नोटरी की नई सील की स्याही हल्की हो गई और उसके नीचे छिपी बैंक की पुरानी सील ‘कृते बैंक’ साफ-साफ उभर आई। इससे यह साबित हो गया कि टिकट का पहले इस्तेमाल हो चुका है।
4. 10 साल पुराने प्रिंटिंग ईयर: स्पेशल फिल्टर से जांचने पर टिकटों का प्रिंटिंग ईयर भी सामने आ गया। कुछ टिकटें 2015 और कुछ 2017 में छपी थीं। इसका मतलब है कि ये टिकटें लगभग 10 साल पुरानी हैं, जिन्हें अब दोबारा बेचा जा रहा है।

दूसरा खुलासा: 19 नवंबर अगले दिन, 19 नवंबर को भास्कर ने इस गिरोह के मास्टरमाइंड आरिफ खान के चेहरे को एक्सपोज किया। इस पड़ताल में बताया कि यह केवल कुछ टिकटों की हेराफेरी नहीं, बल्कि एक संगठित अपराध है, जिसकी जड़ें सरकारी विभागों की मिलीभगत और सिस्टम की खामियों तक फैली हुई हैं।
भास्कर के स्टिंग में गिरोह का मास्टरमाइंड आरिफ, स्टांप की सीरीज से छेड़छाड़ कर बैक डेट के दस्तावेज तैयार करते हुए कैमरे में कैद हुआ था। उसने यह भी दावा किया था कि उसकी “ऊपर तक पहचान” है और उसे स्टांप वहीं से मिलते हैं।

मास्टरमाइंड आरिफ अली खान भास्कर के कैमरे में कैद हुआ।
4 गिरफ्तार, मुख्य संचालक फरार एमपी नगर संभाग के एसीपी मनीष भारद्वाज ने बताया कि दैनिक भास्कर के खुलासे के बाद पुलिस ने आरोपियों के दफ्तरों, घरों और अन्य संभावित ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। इस कार्रवाई में अब तक 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
गिरफ्तार आरोपियों को न्यायालय में पेश कर पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया जाएगा ताकि इस गिरोह के पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश हो सके। एसीपी भारद्वाज के मुताबिक मास्टरमाइंड आरिफ के घर से एक हाई रेजोल्यूशन का कलर प्रिंटर जब्त किया है। इसके जरिए नकली स्टांप छापे जाते थे।
इसके अलावा एडहेसिव स्टांप भी मिले हैं, कुछ स्टांप ऐसे हैं जिन पर नोटरी के पहले से ही दस्तखत किए हैं। आरिफ के घर से करीब 50 सील मिली हैं। कुछ ऐसे एडवोकेट्स की सील हैं जो यहां नहीं रहते। पुलिस के मुताबिक कुछ सील का एडवोकेट्स की बगैर जानकारी के भी इस्तेमाल हो रहा था।

चार दुकानें सील, ‘मामा’ हुआ फरार छापेमारी के दौरान ‘एएम इंटरप्राइजेस’ के संचालक आकाश और विकास साहू फरार हो गए। वहीं, एमपी नगर में ‘मामा’ की दुकान पर भी ताला लगा मिला। पुलिस ने पुरानी विधानसभा की दो और एमपी नगर की दो दुकानों सहित कुल चार दुकानों को सील कर दिया है। इन दुकानों से भारी मात्रा में दस्तावेज और स्टांप मिले हैं।
इनमें कुछ स्टांप तो कलर प्रिंटर के जरिए छापे गए थे। साथ ही यूज्ड स्टांप भी मिले हैं। ऐसे दस्तावेज भी मिले हैं जिनमें एडवोकेट्स के पहले से ही साइन थे। एसीपी भारद्वाज ने बताया, “मामा की दुकान की तलाशी अभी नहीं हो सकी है। हमने वहां एक पुलिसकर्मी को तैनात कर दिया है और कोर्ट की अनुमति लेकर जल्द ही दुकान की तलाशी ली जाएगी।”

मेरी सील का दुरुपयोग हुआ- नोटरी गुलाम निजामुद्दीन भास्कर की पड़ताल के दौरान मास्टरमाइंड आरिफ ने रिपोर्टर को बैकडेट का एक किरायानामा बनाकर दिया था, जिस पर नोटरी गुलाम निजामुद्दीन की सील और हस्ताक्षर थे। चौंकाने वाली बात यह थी कि निजामुद्दीन उस समय मौके पर मौजूद ही नहीं थे। जब दैनिक भास्कर ने नोटरी गुलाम निजामुद्दीन से संपर्क किया, तो उन्होंने अपनी सील किसी को भी देने से साफ इनकार कर दिया।
उन्हें बताया गया कि उनकी सील का इस्तेमाल फर्जी दस्तावेज बनाने में हो रहा है, तो उन्होंने कहा, ‘कुछ साल पहले मेरी सील गुम हो गई थी, जिसकी मैंने शिकायत भी दर्ज कराई थी। मैं अब उस सील का इस्तेमाल नहीं करता। जो भी मेरे नाम और सील का दुरुपयोग कर रहा है, मैं उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करूंगा और पुलिस में शिकायत दर्ज कराऊंगा।’
पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि इस गिरोह ने अब तक कितने फर्जी दस्तावेज तैयार किए हैं और उनका उपयोग किन-किन सरकारी योजनाओं, संपत्ति की खरीद-फरोख्त या कानूनी मामलों में किया गया है।

दुकानों से भारी मात्रा में दस्तावेज और स्टांप मिले हैं।
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1. असली स्टांप का फर्जी खेल…पुरानों को ‘नया’ बनाकर बेच रहे

यदि आप कोई प्रॉपर्टी या सामान खरीदने-बेचने का एग्रीमेंट करते हैं या किरायानामा बनवाते हैं तो उसे कानूनी रूप देने के लिए स्टांप ड्यूटी चुकानी पड़ती है। इसके लिए एडहेसिव (चिपकाने वाले) स्टांप का इस्तेमाल होता है। ये डाक टिकट की तरह होते हैं। पढ़ें पूरी खबर…
2.भोपाल में बन रहे थे फर्जी स्टांप:सरगना भास्कर के कैमरे में कैद

एमपी में यूज्ड एडहेसिव स्टांप का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है और जिम्मेदारों को इसकी भनक तक नहीं है। ये सिर्फ कुछ स्टांप की हेराफेरी नहीं बल्कि एक संगठित अपराध है, जिसकी जड़ें सरकारी विभागों की मिलीभगत और सिस्टम की खामियों तक फैली हुई हैं। पढ़ें पूरी खबर…
