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- Plant Trees On Hariyali Amavasya On 4th August, Significance Of Hariyali Amawasya In Hindi, Shiv Puja Vidhi In Sawan
17 मिनट पहले
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रविवार, 4 अगस्त को सावन मास का कृष्ण पक्ष खत्म होगा, इस दिन हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी। ये प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का पर्व है। इस दिन मंदिरों में पूजा-पाठ करने के बाद सार्वजनिक जगहों पर पौधे भी लगाने चाहिए।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, अमावस्या तिथि के स्वामी पितर देव माने गए हैं। घर-परिवार के मृत सदस्यों को पितर देव माना जाता है। अमावस्या पर पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करना चाहिए। इस तिथि पर पितरों के लिए धूप-ध्यान, तर्पण, पिंडदान और दान-पुण्य करना चाहिए।
हरियाली अमावस्या पर कर सकते हैं ये शुभ काम
- इस तिथि पर हरिद्वार, नासिक, गया, उज्जैन जैसे पौराणिक महत्व वाले तीर्थों की नदियों में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद नदी किनारे ही पितरों के निमित्त जल दान, तर्पण और पिंडदान भी करें। जरूरतमंद लोगों को अनाज, धन, जूते-चप्पल, कपड़े, खाना, छाता दान करें।
- दिन की शुरुआत सूर्य पूजा के साथ करें। सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें। सूर्य को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का उपयोग करना चाहिए।
- सावन महीने की अमावस्या शिव भक्तों के लिए बहुत खास होती है। इस तिथि पर गणेश पूजा के बाद शिव जी का रुद्राभिषेक करना चाहिए। रुद्राभिषेक नहीं कर पा रहे हैं तो शिवलिंग पर जल-दूध चढ़ाएं। चंदन का लेप करें। बिल्व पत्र, हार-फूल, आंकड़े के फूल, धतूरा से श्रृंगार करें। भगवान को गुलाल, अबीर, जनेऊ आदि शुभ चीजें चढ़ाएं। ऊँ नम: मंत्र का जप करें। मिठाई, नारियल, मौसमी फल चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
- किसी मंदिर में या किसी पार्क में शमी, गुलर, आंवला, पीपल, नीम, बरगद, आम जैसे छायादार वृक्ष के पौधे लगाएं और उनकी देखभाल करने का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का अभिषेक करें। दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और उससे भगवान का अभिषेक करें। नए लाल-पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
- अमावस्या पर हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। आप चाहें तो राम नाम का जप भी कर सकते हैं।
- बाल गोपाल का अभिषेक गौमाता की मूर्ति के साथ करें। माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें।
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