Pitru Paksha till 2nd October, significance of pitru paksha in hindi, rituals about shraddha paksha | पितृ पक्ष 2 अक्टूबर तक: जिन पूर्वजों की मृत्यु तिथि नहीं मालूम है, उनका श्राद्ध सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर करें, पितरों के नाम से रोज करें दान-पुण्य

35 मिनट पहले

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अभी पितृ पक्ष चल रहा है और ये पक्ष 2 अक्टूबर तक रहेगा। इन दिनों में पूर्वजों की मृत्यु तिथि के अनुसार श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण आदि धर्म-कर्म किए जाते हैं। मान्यता है कि पितृ पक्ष में परिवार के पितर अपने वंश के लोगों के घर आते हैं और हमारे द्वारा किए गए धर्म-कर्म से प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक परिवार के जिन पूर्वजों की मृत्यु तिथि नहीं मालूम है, उनके लिए श्राद्ध कर्म सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या (2 अक्टूबर) पर करना चाहिए। इन दिनों में धूप-ध्यान करने के बाद ब्राह्मण, दामाद, भांजा, मामा, गुरु, नाती के अलावा घर के बाहर जरूरतमंद लोगों को भी भोजन खिलाना चाहिए। अपने सामर्थ्य के हिसाब से रोज धन, अनाज और खाने का दान करना चाहिए।

जानिए पितृ पक्ष में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

  • पितृ पक्ष के दिनों में घर में साफ-सफाई और शांति बनाए रखनी चाहिए। मान्यता है कि जिन घरों में गंदगी रहती है, लड़ाई-झगड़े होते हैं, वहां पितरों को तृप्ति नहीं मिलती है। पितर वंश के ऐसे लोगों से खुश रहते हैं जो घर में आपसी प्रेम बनाए रखते हैं।
  • इन दिनों में गुस्सा नहीं करना चाहिए। नशा और मांसाहार भी न करें। सभी तरह के अधार्मिक कामों से दूर रहना चाहिए। दूसरों के लिए बुरे विचार न रखें।
  • ध्यान रखें घर में सभी का सम्मान करें, किसी भी सदस्य का अपमान न करें। कुत्ते, गाय और कौएं को परेशान न करें, इनके लिए भोजन और पानी की व्यवस्था जरूर करें।
  • पितरों के लिए धूप-ध्यान और दान-पुण्य कर रहे हैं तो खाने में लहसुन-प्याज का उपयोग करने से बचें।
  • पितरों के लिए तर्पण करते समय जल में गंगाजल, दूध, पानी, जौ, चावल भी मिलना चाहिए। पिंडदान के लिए पिंड बनाते समय चावल के साथ दूध और तिल का भी उपयोग करें।
  • श्राद्ध पक्ष में रोज सुबह जल्दी उठना चाहिए। श्राद्ध कर्म करने के बाद पितरों से जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा जरूर मांगें।
  • रोज शाम को पितरों का ध्यान करते हुए घर के बाहर दक्षिण दिशा में दीपक जलाना चाहिए।
  • पितृ पक्ष की नवमी तिथि पर मृत सुहागिन महिलाओं के लिए श्राद्ध कर्म करना चाहिए।
  • एकादशी तिथि पर जो मृत लोग संन्यासी थे, उनके लिए श्राद्ध करें।
  • चतुर्दशी तिथि पर शस्त्रों से और किसी दुर्घटना में मरे हुए लोगों का श्राद्ध करें। इसी दिन आत्महत्या करने वाले लोगों का भी श्राद्ध करें।

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