People’s hobbies changed after heart transplant | हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद लोगों की बदल गईं आदतें: किसी को चाइनीज, किसी को करेले तो किसी को मिठाइयां आने लगी पसंद

अहमदाबाद9 घंटे पहलेलेखक: उर्वी ब्रह्मभट्ट

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‘मैं पिछले सात सालों से कार चला रहा हूं और मुझे बाइक्स बिल्कुल पसंद नहीं हैं। इतना ही नहीं, मुझे बाइक्स खतरनाक भी लगती हैं। अब पिछले छह महीनों से मेरा स्पोर्ट्स बाइक खरीदने का बहुत मन कर रहा है और मैं कहता रहता हूं कि मेरे पास एक बाइक होनी ही चाहिए। घरवाले और दोस्त भी यही कहते हैं कि अचानक बाइक क्यों खरीदने का मन कर रहा है?

फिर मुझे अचानक याद आया कि जिस लड़के का दिल मुझे ट्रांस्पलांट किया गया था, उसकी बाइक चलाते हुए हादसे में मौत हो गई थी। उसे बाइक का भी बहुत शौक था। हो सकता है कि उसी के हार्ट की वजह से मुझे बाइक्स का शौक हुआ हो।

आज, 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट डे है। इसी मौके पर दिव्य भास्कर ने हार्ट ट्रांसप्लांट के मरीजों से खास बातचीत की। इस बातचीत में उन्होंने उनके स्वभाव, खान-पान और आदतों में आए बदलावों के बारे में जाना। टीम ने गुजरात के जाने-माने हार्ट ट्रांसप्लांट स्पेशलिस्ट डॉ. धीरेन शाह से भी बात की और मरीजों में इन बदलावों के पीछे के कारणों को समझने की कोशिश की।

बेटे के साथ नरहरिभाई।

बेटे के साथ नरहरिभाई।

38 साल की उम्र में हुआ था हार्ट ट्रांसप्लांट अहमदाबाद में रहने वाले नरहरिभाई पटेल ने कहा- 2018 में मुझे हार्ट की समस्या हुई। मेरा दिल बड़ा हो रहा था। मुझे दवाइयां भी दीं गईं, लेकिन फायदा नहीं हो रहा था। 2018 में ही मुझे हार्ट ट्रांसप्लांट करवाने के लिए कहा गया था, लेकिन उस समय कुछ जटिलताओं के कारण यह संभव नहीं था। फिर मेरे दिल में एक CRT (कार्डियक रीसिंक्रोनाइज़ेशन थेरेपी) डिवाइस लगाया गया।

2022 में, जब डिवाइस की बैटरी खत्म हो गई, तो इसे फिर से प्रत्यारोपित किया गया और तब मेरी सेहत में थोड़ा सुधार होने लगा। 2023 में डॉक्टर्स ने कहा कि अब हार्ट ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उपाय है। मैंने पंजीयन कराया और जनवरी 2024 में हार्ट ट्रांसप्लांट करवाया। उस समय मेरी उम्र 38 साल थी।

परिवार के साथ नरहरिभाई।

परिवार के साथ नरहरिभाई।

मुझे 24 साल के लड़के का हार्ट मिला नरहरिभाई कहते हैं- मुझे सूरत के एक 24 साल के लड़के का हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया था, जो मूल रूप से नेपाल का रहने वाला था। मुझे एक ऐसा हार्ट मिला, जो मेरी उम्र से 14 साल छोटा है। ट्रांसप्लांट के बाद, ऐसा लग रहा है, जैसे यह मेरा दूसरा जन्म है।

चाइनीज खाना पसंद आने लगा नरहरिभाई शारीरिक बदलाव के बारे में कहते हैं- खाने की बात करें तो पहले मुझे चाइनीज खाना पसंद नहीं था। मैं कभी बाहर चाइनीज खाना खाने नहीं जाता था। हालांकि, अब मुझे चाइनीज खाना बहुत पसंद आने लगा है। अब मेरे घर पर हफ्ते में एक बार जरूर चाइनीज खाना बनता है।

गुस्सा बहुत जल्दी आता है अपने स्वभाव में आए बदलाव के बारे में नरहरिभाई कहते हैं- पहले मैं बहुत शांत स्वभाव का था। किसी से झगड़ा नहीं हुआ। अब पत्नी और दोस्त हमेशा मेरे स्वभाव को लेकर बातें करते हैं कि तुम्हें जल्दी गुस्सा आ जाता है। जिंदगी को देखने का मेरा नजरिया पूरी तरह से बदल गया है।

पहले मैं करियर पैसे, घर और गाड़ियों पर ज्यादा ध्यान देता था। अब मुझे लगता है कि ये सब बस दिखावे के लिए है। अगर हमारे पास गुजारा करने लायक पैसा है, तो ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है। दोस्तों और परिवार को समय देना ही सबसे बड़ी पूंजी है।

अहमदाबाद में रहने वाली साक्षीताबेन।

अहमदाबाद में रहने वाली साक्षीताबेन।

अहमदाबाद में रहने वाली साक्षीताबेन जैन को प्रेग्नेंसी के दौरान हार्ट पंपिंग की समस्या हुई थी और 2020 में उनका हार्ट ट्रांस्प्लांट हुआ।

प्रसव के दौरान हार्ट की समस्या हुई साक्षीताबेन कहती हैं- मेरा हार्ट केवल 10-15% ही पंप कर रहा था। इसलिए मेरे बचने की संभावना बहुत कम थी। इसी वजह से हार्ट ट्रांस्प्लांट का सुझाव दिया गया। उस समय कोरोना के कारण संभव नहीं था। फिर 10 जुलाई, 2020 को हार्ट ट्रांस्प्लांट हुआ। तब मेरी उम्र 35 वर्ष थी।

24 साल के लड़के का हार्ट मिला साक्षीताबेन कहती हैं- मुझे सूरत के 24 साल के महर्ष पटेल का हार्ट मिला है। एक दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी। मैं आज भी उनके माता-पिता से मिलती हूं। वे मेरे साथ बिल्कुल बेटी की तरह व्यवहार करते हैं। उनके सभी रिश्तेदार मुझे जानते हैं।

मैं उनसे नियमित रूप से बात करती हूं। मैं उन्हें महर्ष के जन्मदिन पर विशेष रूप से फोन करती हूं। इसके अलावा, जब वे जन्माष्टमी, कृष्ण महोत्सव और नवरात्रि पर गरबा का आयोजन करते हैं तो हमेशा मुझे परिवार के साथ बुलाते हैं।

बेटे के साथ साक्षीताबेन।

बेटे के साथ साक्षीताबेन।

साक्षीताबेन खुद में आए बदलावों के बारे में कहती हैं- सर्जरी के बाद मुझे थोड़ा गुस्सा आने लगा है। पहले मैं किसी को जल्दी जवाब नहीं देती थी। अब जल्दी भड़क उठती हूं। पहले मुझे गुजराती खाना और मिठाई पसंद नहीं थी, लेकिन अब मुझे ये बेहद पसंद हैं।

मुझे पता चला कि महर्ष को यह सब पसंद था। पहले मैं जंक फूड ज्यादा खाती थी, लेकिन अब नहीं। इसके अलावा अब मैं ज्यादा घूमने-फिरने भी लगी हूं। पहले मैं जल्दी उठती थी, लेकिन अब देर तक सोती रहती हूं।

महर्ष सैंडविच और मिठाइयों का शौकीन था महर्ष पटेल के पिता हर्षदभाई ने कहा- महर्षि जब भी दोस्तों के साथ बाहर जाता था, तो सैंडविच और पिज्जा खूब खाता था। इतना ही नहीं, महर्ष को गुजराती खाना और मिठाइयां बहुत पसंद थीं। उसका दिमाग बहुत तेज था। साथ ही वह गुस्सैल स्वभाव का था। उसे शॉपिंग करना भी बहुत पसंद था। वह जमकर पैसे खर्च करता था।

परिवार के साथ भूमिका।

परिवार के साथ भूमिका।

जामनगर की रहने वाली भूमिका का हार्ट ट्रांस्प्लांट तब हुआ, जब वे मात्र 13 साल की थी। पिता अमित कुमार और भूमिका ने हार्ट ट्रांस्प्लांट के बाद आए बदलावों के बारे में बात की।

अमित ने अपनी बेटी की समस्या के बारे में बात करते हुए कहा- मेरी लाडली को सात साल की उम्र से ही हार्ट की समस्या होने लगी थी। बाद में पता चला कि उसका दिल ठीक से पंप नहीं कर रहा है। उम्मीद थी कि दवा से आराम मिल जाएगा। 2015 से दवाइयां शुरू की गईं। उसने दो साल तक रेगुलर दवाइयां लीं, कुछ सुधार हुआ, लेकिन आखिरकार हार्ट ट्रांसप्लांट की बात हुई।

हम इलाज के लिए छह-सात साल तक नियमित रूप से जामनगर से अहमदाबाद आते थे। कभी-कभी हमें हफ़्ते में दो बार आना पड़ता था। जनवरी 2022 में, मैं डॉ. धीरेन शाह और डॉ. चिंतन से मिला, तो उन्होंने कहा कि बेटी का हार्ट ट्रांस्प्लांट करना पड़ेगा। 15 मार्च, 2022 को भूमिका का हार्ट ट्रांस्प्लांट हुआ। उस समय वह 13 साल की थी।

छोटी सी उम्र में ही आ गई बड़ी समझ 17 साल की आज की लड़की, जो उस समय सिर्फ 13 साल की थी। अब बहुत ही परिपक्व व्यक्ति की तरह सोचती है। विल पावर स्ट्रॉन्ग के बारे में कहती है- मैं ज्यादा नहीं सोचती। जो होना है वो होकर रहेगा। आपके पास कोई विकल्प नहीं होता या आप कुछ भी चुन सकते हैं।

सर्जरी के बाद भूमिका में आए बदलाव के बारे में पिता कहते हैं- सर्जरी के बाद आए सबसे बड़े बदलाव के बारे में भूमिका कहती हैं- पहले मुझे करेला बिल्कुल पसंद नहीं था। अब करेला मेरी पसंदीदा सब्जी है।

हार्ट डोनर के परिवार से नहीं हुई मुलाकात भूमिका को लगे हार्ट के बारे में पिता ने बताया- दानकर्ता एक 21 साल का राजस्थानी युवक था। उसकी एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। हालांकि, हम आज तक उस परिवार से नहीं मिल सके। न ही उस परिवार ने हमसे कभी संपर्क करने की कोशिश की।

परिवार के साथ सृष्टि (बायीं ओर)।

परिवार के साथ सृष्टि (बायीं ओर)।

अमरेली की रहने वाली सृष्टि का दिसंबर 2020 में हार्ट ट्रांस्प्लांट हुआ था, जब वह 16 साल की थी। सर्जरी के बाद जिंदगी में आए सबसे बड़े बदलाव के बारे में सृष्टि कहती हैं- मैंने नियमित व्यायाम, ध्यान और अच्छा खाना शुरू कर दिया है। अब ये मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गए हैं। इसके अलावा जिंदगी को देखने का मेरा नजरिया भी बदल गया है।

सूरत में रहने वाली 42 साल की आश्रिताबेन के ब्रेन डेड होने के बाद उनका हार्ट डोनेट किया गया था। जब मैं आश्रिताबेन के पति से मिली तो बहुत दुख भी हुआ। मैंने उनसे कहा- अंकल आप बिल्कुल भी टेंशन मत लीजिए। मैं आश्रिता आंटी को अपने दिल में बसाए बैठी हूं। वो जिंदा हैं, बस आप यही मानना।

मैं बहुत जिद्दी होने लगी हूं शारीरिक बदलाव के बारे में सृष्टि कहती हैं- ट्रांसप्लांट के बाद मैं बहुत जिद्दी हो गई हूं। इसके अलावा, पहले मैं आत्ममुग्ध रहती थी और सिर्फ अपने लिए जीती थी, लेकिन अब मैं हर किसी की मदद करने की कोशिश करती हूं।

इसके बाद भास्कर की टीम ने मरीजों में होने वाले बदलावों के बारे में अहमदाबाद के जाने-माने हार्ट ट्रांस्प्लांट चिकित्सक डॉ. धीरेन शाह से बात की।

बदलाव को लेकर चल रही है रिसर्च डॉ. शाह आगे कहते हैं- हार्ट ट्रांसप्लांट वाले शख्स की पसंद बदलने लगती है, ऐसा जरूरी नहीं कि सबके साथ हो। इस बारे में अभी रिसर्च चल रही है कि क्या वाकई ऐसा होता है या नहीं। कुछ समय पहले सेल मेमोरी पर एक रिसर्च पेपर प्रकाशित हुआ था। शरीर की हर कोशिका की एक मेमोरी होती है।

इसी तरह हार्ट सेल्स की भी एक मेमोरी होती है और अगर वह केमिकल फॉर्म में स्टोर हो जाए और उस मेमोरी को रिलीज किया जाए, तो कुछ बदलाव होने की संभावना रहती है। मरीजों ने मुझे इस बारे कभी नहीं बताया, लेकिन उनके रिश्तेदारों ने बताया। मेरे एक-दो मरीजों को पहले चावल पसंद नहीं थे, लेकिन अब पसंद हैं। पहले वे चिड़चिड़े थे और अब बिल्कुल शांत हो गए हैं।

ट्रांसप्लांट के कई मरीज अवसाद से ग्रस्त डॉ. धीरेन शाह ने कहा- स्वभाव और व्यवहार में बदलाव की संभावनाएं होती हैं और इसके लिए मनोवैज्ञानिक कारण जिम्मेदार होते हैं। हो सकता है कि कोई मरीज करीब पांच साल तक हृदय रोग से पीड़ित रहे और फिर उसे नया हृदय मिल जाए और सर्जरी के बाद वह शुरुआती तीन महीने एक ही कमरे में अकेला रहे। फिर अगले छह महीने उसे घर के अंदर ही रहना पड़े। इससे मरीज का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है।

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