Pausha month till 13th January, significance of paush month in hindi, surya puja vidhi, rituals about paush month | पौष मास 13 जनवरी तक: पौष महीने में सूर्य पूजा करने की परंपरा क्यों है? इस मास में कौन-कौन से शुभ काम करना चाहिए?

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3 मिनट पहले

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हिन्दी पंचांग का दसवां महीना पौष शुरू हो गया है, ये महीना 13 जनवरी तक रहेगा। ये मास ठंड के दिनों में मार्गशीर्ष के बाद और माघ से पहले आता है। पौष मास में खासतौर पर सूर्य देव की पूजा करने की परंपरा है। इन दिनों में रोज सुबह सूर्य की धूप में बैठने की भी सलाह दी जाती है।

पौष शब्द का शाब्दिक अर्थ है पोषण और पौष मास यानी पोषण करने वाला महीना। इस महीने में सुबह-सुबह सूर्य की किरणें शरीर को ऊर्जा प्रदान करती हैं, शरीर को विटामिन डी मिलता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है और हम मौसमी बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं। सूर्य से हमें स्वास्थ्य लाभ मिल सके, इसलिए पौष मास में सूर्य पूजा करने की परंपरा है। सूर्य के साथ ही इस महीने में भगवान विष्णु की भी भक्ति करनी चाहिए।

सूर्य पूजा से मिलती है ऊर्जा और सकारात्मकता

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, पौष मास के प्रमुख देवता सूर्य हैं। सूर्य पंचदेवों में से एक और एकमात्र प्रत्यक्ष दिखाई देने वाले भगवान हैं। पौष मास में सूर्य की पूजा करने से जीवन का अंधकार दूर होता है, समस्याओं का सामना करने की शक्ति बढ़ती है। ऊर्जा और सकारात्मकता मिलती है। सूर्य पूजा करने के कई तरीके हैं। जैसे रोज सुबह सूर्य को अर्घ्य दे सकते हैं, सूर्य मंत्र का जप कर सकते हैं, सूर्य नमस्कार कर सकते हैं और सूर्य देव से जुड़ी चीजें जैसे गुड़, पीले वस्त्रों का दान कर सकते हैं।

पौष मास में कर सकते हैं ये शुभ काम
पौष मास भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक करें। दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और विष्णु-लक्ष्मी की प्रतिमा का अभिषेक करें। दूध के बाद शुद्ध जल चढ़ाएं। हार-फूल और वस्त्रों से श्रृंगार करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
इस महीने में श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करना चाहिए। रोज अपने समय के अनुसार इस ग्रंथ के कुछ-कुछ हिस्सों का पाठ करें और कोशिश करें कि इस महीने में पूरा ग्रंथ पढ़ लें। ग्रंथ पढ़ने के साथ ही इसकी शिक्षाओं को जीवन में उतारने का संकल्प लें।
गीता के साथ ही भगवान विष्णु और उनके अवतारों की कथाएं भी पढ़-सुन सकते हैं। किसी संत के प्रवचन सुन सकते हैं। इस महीने में भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और श्रीराम के मंदिरों में दर्शन पूजन करने की भी परंपरा है।
पौष मास दान-पुण्य भी जरूर करें। खासतौर पर अनाज, जूते-चप्पल, भोजन, धन और गर्म कपड़ों का दान करना चाहिए। इस माह में गुड़ और काले तिल का दान भी कर सकते हैं।
पौष मास में गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान करते समय पवित्र नदियों और तीर्थों का ध्यान करना चाहिए।

ये मान्यताएं भी जुड़ी हैं पौष मास से

  • किसानों के लिए भी पौष मास का खास महत्व है। इस माह में फसलें पकना शुरू हो जाती हैं। पौष मास में लोहड़ी और पोंगल जैसे पर्व मनाई जाते हैं। आमतौर पर इस महीने में मकर संक्रांति भी मनाते हैं, लेकिन इस साल मकर संक्रांति पौष मास खत्म होने के अगले दिन यानी 14 जनवरी को मनाई जाएगी।
  • ठंड के कारण पौष मास में खानपान को लेकर विशेष सावधानी रखनी चाहिए। इस मौसम में शरीर को गर्म रखने वाली चीजें खानी चाहिए। तिल, गुड़, मूंगफली जैसी चीजें, जिनकी तासीर गर्म होती हैं, इस माह में खाने की परंपरा है।
  • पौष मास में गजक और तिल-गुड़ के लड्डू का सेवन किया जाता है। इसके अलावा हरी सब्जियां जैसे पालक, मेथी, बथुआ और मौसमी फल भी आहार में शामिल करना चाहिए।
  • पौष मास में योग-ध्यान को अपनी जीवन शैली में शामिल करना चाहिए। भले ही अभी ठंड का समय है, हमें रोज सुबह जल्दी जागना चाहिए और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए और कुछ देर धूप में भी बैठना चाहिए।

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