Pausha month Amawasya on 30th December, significance of paush month amawasya in hindi, Surya and Chandra puja on amawasya | आज पौष मास की अमावस्या: सूर्य और चंद्र के साथ ही पीपल की भी करें पूजा, पितरों को धूप देकर भोजन का करें दान

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16 मिनट पहले

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आज (30 दिसंबर) पौष अमावस्या है। माना जाता है कि इस तिथि पर किए गए पूजन कर्म, श्राद्ध, और दान-पुण्य से अक्षय पुण्य मिलता है। अक्षय पुण्य यानी ऐसा पुण्य जिसका शुभ असर जीवनभर बना रहता है। इस तिथि चंद्र दिखाई नहीं देता है और अगले दिन से चंद्र फिर से धीरे-धीरे बढ़ना शुरू कर देता है। इसलिए ये पर्व नई शुरुआत करने का प्रतीक है।

महाभारत, स्कंद पुराण, गरुड पुराण जैसे कई ग्रंथों में अमावस्या का जिक्र है। जानिए अमावस्या पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…

पितृ के लिए करें श्राद्ध और दान-पुण्य

  • अमावस्या पर पितरों को जल अर्पित करना चाहिए। इसे तर्पण करना कहते हैं।
  • आज दोपहर करीब 12 बजे कंडे जलाकर पितरों का ध्यान करते हुए गुड़-घी अर्पित करें।
  • हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को अर्पित करें। जरूरतमंद लोगों को धन और खाना दान करें।

अमावस्या पर नदी स्नान करने की है परंपरा

  • इस तिथि पर गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है।
  • अगर नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
  • स्नान के बाद दान-पुण्य करना चाहिए। कपड़े, अन्न, गुड़, तिल, कंबल, और धन का दान करेंगे तो बहुत शुभ रहेगा।

मंत्र जप और ध्यान करें

  • अमावस्या पर सुबह पूजा करते समय अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप करना चाहिए। मंत्र जप के साथ ही ध्यान भी करेंगे तो विचार सकारात्मक बनेंगे और काम करने की ऊर्जा मिलेगी।
  • ध्यान करने के लिए घर के मंदिर में या किसी अन्य पवित्र और शांत जगह पर आसन बिछाकर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। आंखें बंद करके अपना पूरा ध्यान दोनों आंखों के बीच भौहों पर लगाएं।
  • जितनी देर तक ध्यान लगा सकते हैं, लगाएं। इस दौरान में इधर-उधर की बातों सोचने से बचना चाहिए।

पीपल की करें पूजा

  • अमावस्या पर पीपल की पूजा करने की परंपरा है। माना जाता है कि इस तिथि पर शनि दोषों को शांत करने के लिए पीपल की पूजा की जाती है।
  • पीपल को जल चढ़ाएं और परिक्रमा करें। पीपल की कम से कम सात परिक्रमा करनी चाहिए। इस दौरान शनि मंत्र ऊँ शं शनैश्चराय नम: या विष्णु मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करना चाहिए।
  • अमावस्या पर व्रत रखने की भी परंपरा है। व्रत करने वाले भक्त इस दिन निराहार रहते हैं। जो लोग भूखे नहीं रह पाते हैं, वे फलाहार और दूध का सेवन करते हैं।

सूर्य को अर्घ्य देकर करें दिन की शुरुआत, चंद्र की भी करें पूजा

  • पौष मास में सूर्यदेव की पूजा करने का विशेष महत्व है। आज पौष अमावस्या पर सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: जपते हुए तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाएं।
  • सूर्य पूजा के बाद घर के मंदिर में चंद्र देव की प्रतिमा की भी पूजा करें। चंद्र देव की प्रतिमा न हो तो शिवलिंग पर स्थापित चंद्र की पूजा कर सकते हैं।
  • अमावस्या पर भगवान की कथाएं पढ़ने-सुनने की भी परंपरा है।

ये बातें भी ध्यान रखें

अमावस्या पर घर-परिवार में शांति बनाए रखनी चाहिए, क्लेश नहीं करना चाहिए। गुस्से से बचें, अधर्म न करें और किसी का अनादर न करें।

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