अमावस्या के स्वामी पितर देव माने गए हैं, इसलिए इस तिथि पर पितरों के लिए धूप-ध्यान करते हैं। धूप-ध्यान के लिए सबसे अच्छा समय दोपहर का रहता है।
दोपहर में कंडे (उपले) जलाएं और कंडों के अंगारों पर पितरों का ध्यान करते हुए गुड़-घी डालें। ऊँ पितृदेवेभ्यो नम: मंत्र का जप करें। हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को अर्पित करें। धूप-ध्यान करने के बाद पितरों के निमित्त तिल-गुड़, धन, कपड़े, जूते-चप्पल, खाना भी दान करना चाहिए।