4 मिनट पहलेलेखक: ईफत कुरैशी
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कहते हैं कि नाजायज रिश्तों का अंत हमेशा भयावह होता है। ये कहावत पटना की मॉडल मोना राय उर्फ अनीता देवी की हत्या की गुत्थी सुलझाने में अहम साबित हुई। 12 अक्टूबर 2021 को मंदिर से लौट रहीं मोना राय पर गोलियां चलाई जाती हैं। वारदात के 5 दिन बाद उनकी इलाज के दौरान मौत हो जाती है। जीते-जी जब मोना से पूछताछ की गई, तो वो बस यही दोहराती रहीं कि उनकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। हालांकि जब जांच हुई, तो रंजिशों, विवादों की लंबी फेहरिस्त सामने आई।
आज अनसुनी दास्तान के 3 चैप्टर्स में पढ़िए पटना की मॉडल मोना राय के हत्याकांड की सिलसिलेवार कहानी-
12 अक्टूबर 2021, नवरात्रि का सातवां दिन था।
पटना की मशहूर मॉडल मोना राय उर्फ अनीता देवी ने नवरात्रि का व्रत रखा था और वो रोज माता के दर्शन करने नजदीक के मंदिर जाया करती थीं। उस रोज भी वो अपनी 12 साल की बेटी आरोही को लेकर स्कूटी से मंदिर गई थीं। मोना राय दर्शन कर पटना के राजीव नगर की बसंत विहार कॉलोनी स्थित घर लौटीं।
उन्होंने बेटी को स्कूटी से उतारा, जो चैनल गेट से अंदर जाने लगी। मोना बेटी को भेजने के बाद गाड़ी लगाने वाली थीं, दरवाजा महज चंद कदमों की दूरी पर ही था कि अचानक 2 बाइकसवार उनके नजदीक आकर रुके।
मोना कुछ पूछ पातीं या समझ पातीं, उससे पहले ही बाइक पर पीछे बैठे शख्स ने उन पर गोलियां दागनी शुरू कर दीं। खून से लथपथ मोना वहीं गिर पड़ीं, जिन्हें देखते ही बेटी ने सिहरकर चीखना शुरू कर दिया। बच्ची की चीखें और गोलियों की आवाजें सुनकर आस-पड़ोस के लोग इकट्ठा हो गए। हमलावर फायरिंग कर भाग निकले।
मोना दर्द से कराह रही थीं। उन्हें आनन-फानन में नजदीकी प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाया गया। अस्पताल वालों ने घटना की सूचना पुलिस को दी। जिसके बाद केस फाइल कर मामले की जांच शुरू की गई।
हर किसी का सवाल था कि एक घरेलू महिला और मामूली मॉडल मोना राय की किसी से ऐसी क्या दुश्मनी रही होगी, जो उन पर इस बर्बरता से हमला करवाया गया। हमले में गोलियां मोना के शरीर के निचले हिस्से पर लगी थीं, जिससे उनकी किडनी डैमेज हो चुकी थी। प्राइवेट हॉस्पिटल में सही इलाज न मिल पाने पर उन्हें IGIMS (इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस) रेफर कर दिया गया, जहां उनकी सर्जरी हुई।
मोना के होश में आते ही पटना पुलिस ने उनसे पूछताछ शुरू की। हालांकि मोना कराहती आवाज में बस यही कहती रहीं कि उनकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी, न ही उन्हें किसी पर शक है।
अस्पताल में पुलिस के साथ-साथ मोना राय से मिलने वालों की भीड़ थी। इसी बीच पुलिस की नजर एक ऐसे शख्स पर पड़ी जो मोना से मिलने के लिए उतावला था, हालांकि मोना का परिवार उसे देखकर ज्यादा खुश नहीं था। पुलिस ने पूछताछ की तो सामने आया कि उस शख्स का नाम राजू है, जो शहर का नामी बिल्डर है। बीते लंबे समय से राजू और मोना के बीच नाजायज संबंध थे।
राजू बिल्डर की हॉस्पिटल में मौजूदगी पुलिस के लिए मामले की अहम कड़ी साबित हुई। पुलिस ने जब हमला होने के अगले ही दिन राजू से पूछताछ की, तो पता चला कि उसका बीते 9 साल से मोना से संबंध था। दोनों की अक्सर मुलाकातें होती थीं और इस बात की खबर दोनों के परिवारवालों को भी थी। रिश्ता सभी को खटकता था, लेकिन दोनों परिवार से लगातार अनबन के बावजूद साथ थे।
राजू बिल्डर ने मोना से रिश्ते की बात तो कबूल कर ली, लेकिन उसके तार हत्या से जुड़ते नजर नहीं आए। पुलिस ने राजू बिल्डर के राजीव नगर के चंद्रकुटीर अपार्टमेंट में स्थित किराए के फ्लैट पर छापा भी मारा, जहां वो मोना के साथ वक्त बिताया करता था। घर में हत्या से जुड़ा कोई सुराग नहीं मिला, लेकिन शराब की बोतल मिलने से पुलिस ने उस पर शिकंजा कस दिया। दरअसल, बिहार में शराब बैन है, ऐसे में अवैध शराब की खरीदी करने और उसका सेवन करने पर पुलिस ने राजू बिल्डर के खिलाफ मामला दायर कर उसे गिरफ्तार कर लिया।
वहीं दूसरी तरफ मोना की हालत लगातार नाजुक बनी हुई थी। आए दिन मोना से पूछताछ होती थी, लेकिन नतीजे शून्य ही रहे। मोना ने भी राजू बिल्डर से रिश्ता होने की बात कबूली थी, लेकिन उन्हें राजू पर शक नहीं था। 5 दिन बीते ही थे कि 17 अक्टूबर की सुबह जिंदगी और मौत के बीच लड़ते हुए मोना ने दम तोड़ दिया। गोलियां उनकी किडनी को छलनी कर चुकी थीं, जिससे पहले किडनी और फिर दूसरे अंगों ने काम करना धीरे-धीरे बंद कर दिया था। हमले का मामला अब हत्या के मामले में तब्दील हो चुका था।
पोस्टमॉर्टम के बाद ली गई मोना राय की तस्वीर।
पटना, बिहार की रहने वालीं मोना राय उर्फ अनीता देवी एक घरेलू महिला थीं। उन्होंने फोटो कॉपी की दुकान चलाने वाले सुमन कुमार से शादी की थी, जिससे उन्हें दो बच्चे आरोही और नैतिक हैं।
साल 2012 के आसपास मोना राय की मुलाकात फुलवारी शरीफ में रहते हुए पड़ोस में रहने वाले अमीर राजू बिल्डर से हुई थी। राजू शादीशुदा थे और उनका एक बेटा भी था। दोनों में मुलाकातें बढ़ने लगीं और समय के साथ दोनों का नाजायज रिश्ता पनपने लगा।
राजू बिल्डर से मिलने के बाद मोना का रहन-सहन बदलने लगा था। मिडिल क्लास मोना राजू से मिलकर खर्चीली हो गई थीं, बच्चों का दाखिला महंगे स्कूल में करवा दिया था और खुद भी मॉडलिंग करने लगी थीं। साल 2020 में उन्होंने मिसेज बिहार पेजेंट में भी हिस्सा लिया और टॉप-3 फाइनलिस्ट रहीं। इसके बाद से ही उन्हें कई मॉडलिंग प्रोजेक्ट मिलने लगे थे। मॉडलिंग वर्ल्ड से जुड़ने के बाद उन्होंने अपना नाम अनीता देवी से बदलकर मोना राय कर लिया था।
मोना ने मिस ग्लोबल बिहार में भी हिस्सा लिया था, जिसमें उन्हें बेस्ट आई का टैग मिला था।
मोना और राजू की बढ़ती मुलाकातें ज्यादा दिनों तक उनके परिवारवालों से छिपी नहीं रहीं। दोनों के परिवार को उनके नाजायज रिश्ते से आपत्ति थी। यही वजह रही कि मोना के पति सुमन अपने परिवार के साथ फुलवारी शरीफ से राजीव नगर के बसंत विहार शिफ्ट हो गए थे, जहां मोना की हत्या की गई थी।
जिस तरह से इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया था, उससे साफ था कि गोलियां चलाने वाले शूटर प्रोफेशनल थे, जिन्हें सुपारी दी गई थी, लेकिन सवाल था कि मामूली मॉडल की सुपारी कौन दे सकता था। क्या राजू बिल्डर ने मोना से पीछा छुड़ाने के लिए उनकी सुपारी दी थी? क्या मोना के नाजायज रिश्ते से परेशान होकर पति सुमन ने उनका कत्ल करवाया? या शूटर किसी और को गोली मारने आए थे, लेकिन धोखे में मोना पर फायरिंग कर दी?
इन सवालों के जवाब हासिल करने के लिए पटना पुलिस ने मोना के बॉयफ्रेंड राजू बिल्डर पर सख्ती की। ये भी सामने आया कि 4 महीने पहले राजू ने फुलवारी शरीफ इलाके में मोना के नाम पर प्लॉट खरीदा था। हर पैंतरे आजमाने के बावजूद जब राजू से कोई सटीक जवाब नहीं मिल सका, तो पुलिस ने राजू के परिवार की पड़ताल शुरू की। हफ्तेभर की मशक्कत के बाद राजू बिल्डर के परिवार के तार शूटर भीम यादव से जुड़ते दिखे। पुलिस ने ये संबंध स्थापित करने के लिए टेक्निकल सर्विलांस की मदद ली, जिसमें मौका-ए-वारदात के नजदीकी CCTV फुटेज और मोबाइल टावर नेटवर्क की मदद ली गई।
मोना राय पर जब हमला हुआ, उसके कुछ हफ्तों पहले तक भीम यादव का मोबाइल नंबर उसी इलाके में एक्टिव था। आखिरकार 25 अक्टूबर को पुलिस ने भीम यादव को भोजपुर से गिरफ्तार कर लिया। शुरुआती पूछताछ में भीम यादव खुद को बेगुनाह बताता रहा, लेकिन सख्ती करने पर वो टूट गया।
भीम यादव की गिरफ्तारी के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करती पटना पुलिस।
भीम यादव ने पुलिस को दिए बयान में कबूल कर लिया कि उसे मोना राय को मारने की सुपारी दी गई थी। 5 लाख रुपए में उसने अपने साथियों शंकर कुमार और विश्वकर्मा के साथ सुपारी उठाई थी, एडवांस के तौर पर उन्हें पौने 2 लाख मिले थे। वो बीते 1 महीने से राजीव नगर में किराए के घर पर रह रहे थे और अपाचे बाइक से घूमते हुए मोना पर नजर रखे हुए थे। 12 अक्टूबर को मौका पाते ही दोनों ने वारदात को अंजाम दिया। शंकर बाइक चला रहा था, जबकि विश्वकर्मा नाम के शख्स ने मोना पर गोलियां चलाई थीं।
जब भीम से पूछा गया कि सुपारी देने वाला शख्स कौन था, तो भीम का बयान सुनकर हर कोई हैरान था। दरअसल, मोना राय के कत्ल की साजिश राजू बिल्डर नहीं, बल्कि उसकी पत्नी शारदा देवी ने रची थी। एक घरेलू दिखने वाली महिला इस हत्याकांड की मास्टरमाइंड थी।
शूटर भीम यादव के कबूलनामे के बाद पटना पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए हत्याकांड सुलझाने का ऐलान किया। पुलिस ने खुलासा किया कि राजू बिल्डर बीते 9 साल से मोना राय के साथ रिलेशनशिप में थे। इस बात की खबर उनके परिवार को भी थी, जिससे आए दिन उनके घर में झगड़े हुआ करते थे।
राजू बिल्डर का नाबालिग बेटा भी पिता के अफेयर से नाराज था। कुछ महीने पहले जब राजू ने मोना के लिए 25 लाख रुपए का प्लॉट खरीदा, तो इसकी खबर भी उनकी पत्नी शारदा और बेटे को लग गई। उन्हें डर था कि राजू धीरे-धीरे अपना सब कुछ मोना के नाम कर देंगे और उन्हें कुछ नहीं मिलेगा। मोना को राजू की जिंदगी से दूर करने के लिए शारदा देवी ने इस हत्याकांड की साजिश रची।
मोना को अपने रास्ते से हटाने के लिए शारदा देवी ने अपने भतीजे राहुल की मदद ली और उसे 5 लाख रुपए में प्रोफेशनल शूटर हायर करने का काम सौंपा। 3 लाख एडवांस के रूप में दिए गए, जबकि 2 लाख काम होने के बाद दिए जाने वाले थे। इस बात को 3 महीने बीत गए, लेकिन राहुल काम नहीं कर पाया।
गुस्से में आगबबूला हो चुकीं शारदा उस पर दबाव बनाने लगीं, तो राहुल ने उनकी मुलाकात सुदेश से करवाई, जो आरा का रहने वाला था। वो शारदा का दूर का रिश्तेदार लगता था। शारदा ने राहुल को दी हुई रकम सुदेश को दी। वो सुदेश ही था, जिसने अपने एक रिश्तेदार शंकर को सुपारी दी, जो एक शूटर था। शंकर ने एडवांस लेते ही अपने चचेरे भाई भोला और दूर के रिश्तेदार विश्वकर्मा को प्लान में शामिल कर लिया।
इस प्लान में राजू बिल्डर का नाबालिग बेटा भी शामिल था। उसने ही शूटर्स को मोना के घर का पता बताया और शक्ल दिखाई थी। एक महीने पहले ही शंकर, भीम और विश्वकर्मा ने राजीव नगर में रेकी करने के लिए घर किराए पर लिया था। महीना बीतने को था, लेकिन तीनों काम को अंजाम नहीं दे रहे थे, ऐसे में शारदा ने उन्हें धमकी दी कि अगर जल्दी काम नहीं हुआ तो वो एडवांस की रकम वापस करना होगा।
12 अक्टूबर को शंकर किसी काम से आरा गया हुआ था। इसी दौरान शारदा ने उसे खबर दी कि मोना नवरात्रि के मौके पर मंदिर जाने वाली है। लीड मिलते ही उसने अपने साथियों को काम पर लगा दिया। दोनों शूटर घात लगाए घर के बाहर बैठे थे, तभी मोना अपनी बेटी के साथ मंदिर से लौटीं। दोनों ने मौका पाते ही उन पर गोलियां बरसा दीं।
भीम की गिरफ्तारी के बाद मोना पर गोलियां चलाने वाले शूटर विश्वकर्मा ने सरेंडर कर दिया, जबकि मामले में नामजद 5 आरोपी अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। सभी की तलाश के लिए पटना पुलिस ने कई जगह छापेमारी की, लेकिन किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी।
3 साल बाद भी मास्टरमाइंड की तलाश में पटना पुलिस
इस मामले में हमने पटना पुलिस से संपर्क किया। थाने में मौजूद कॉन्स्टेबल ने नाम बताए बिना सिर्फ इतनी जानकारी दी कि मोना राय हत्याकांड में अब तक मास्टरमाइंड शारदा देवी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। शारदा देवी और अन्य फरार आरोपियों की कुर्की (प्रॉपर्टी और सभी चीजें सरकारी कब्जे में) कर दी गई है। ये मामला अब भी कोर्ट में है।
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