patna in the grip of gassing and drug addiction; bhaskar latest news | पटना के पॉश इलाके में गेसिंग का धंधा: ऑफलाइन में कागज पर कोड, ऑनलाइन में ऐप पर देते नंबर; नशे का सारा सामान भी बिक रहा – Patna News

पटना के कदमकुआं, गांधी मैदान, पीरबहोर, बुद्धा कॉलोनी, कोतवाली, शास्त्री नगर समेत कई इलाकों में गेसिंग का धंधा खूब चल रहा है। नशे की गिरफ्त में आए युवक इसमें फंस रहे हैं। साथ ही कम समय में लखपति-करोड़पति बनने का सपना देखने वाले युवा भी गेसिंग के शिकार

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गेसिंग के खेल में ज्यादातर लोग हारते हैं। जीत होती है, इस गेम को ऑर्गेनाइज कराने वालों की। इसमें शामिल लोग जीतने और हारने के बाद नशा करते हैं। इसके बाद अपराध को भी अंजाम देते हैं। पॉकेट काटना, चेन या मोबाइल की छिनतई, चाकू दिखाकर छिनतई जैसी वारदातों को अंजाम देते हैं। इस रिपोर्ट में पढ़िए पटना के युवा कैसे गेसिंग के खेल में फंस रहे हैं…

भास्कर की टीम राजधानी के कोतवाली थाना इलाके में पहुंची। यहां गेसिंग का धंधा चल रहा था। पटना जंक्शन से सटे इलाके में कई युवक गेसिंग खेलते हुए नजर आए। वहां मौजूद लगभग सभी लोग नशे में थे। सभी की आंखें लाल थीं। जमीन पर कागज के टुकड़े बिखरे थे। इनके कलर भी अलग-अलग थे। सभी कागज पर यूनिक अंक (कोड) था।

पटना जंक्शन के पास इस तरह से लोग गेसिंग खेलते दिखाई दिए।

पटना जंक्शन के पास इस तरह से लोग गेसिंग खेलते दिखाई दिए।

15 से 30 मिनट में रिजल्ट आता है

गेसिंग में शामिल एक युवक ने पहचान नहीं बताने की शर्त पर कहा कि ‘कागज ही तो टोकन है। इसपर जो कोड/नंबर मिलेगा, उसे डबल सिंगल में मैच करके देखना होगा।’ उसने हमें एक ऐप के बारे में भी जानकारी दी। बोला ‘हर 15 से 30 मिनट पर इस खेल से जुड़े रिजल्ट आते हैं। आप ऑफलाइन या ऑनलाइन इस ऐप के जरिए खेल और रिजल्ट देख सकते हैं। आपके पास जितने रुपए हैं, उतने का आप खेल सकते हैं। किस्मत अच्छी रही तो 500, 1000 इन्वेस्ट करने पर रातों-रात लखपति भी बन जाएंगे।

ज्यादातर लोगों की हार हो रही थी

करीब 2 घंटे तक वहां गेसिंग को समझने के बाद पता चला कि अधिकतर लोग यहां हार रहे थे। हारने के बाद वहीं सूखा नशा लेने लगते थे। कई तो हारने के बाद आपस में गाली-गलौज भी करते दिखे। इस खेल से जुड़ी एक ऑनलाइन वेबसाइट के बारे में पता चला। वहां क्लिक करने के बाद पता चला कि यहां ऑनलाइन भी गेम चल रहा है।

वहां मौजूद एक युवक ने बताया कि ‘जैसा बताया जा रहा है, वैसा करते जाइए। बहुत आसान प्रक्रिया है। गेम जीतने पर ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों मोड में पेमेंट मिल जाएगा। सिर्फ होशियारी मत कीजिएगा, नहीं तो इसका अंजाम बुरा होगा।’

ऑफलाइन खेलने के लिए इस तरह की पर्ची कटती है।

ऑफलाइन खेलने के लिए इस तरह की पर्ची कटती है।

गेसिंग में शामिल अधिकतर युवा हैं

गेसिंग में 18 से 51 साल तक के लोग दिखे। इसमें ज्यादातर युवा ही नजर आए। ठेला और रिक्शा चलाने वाले कई लोग इसमें शामिल होते हैं। ठेला चलाने वाले दीपक ने बताया कि ‘साहब यहां पैसा डबल होता है। सब बोलते हैं, जितना लगाओगे, उससे डबल पाओगे, लेकिन आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ। कई बार बड़ी गाड़ी यहां खड़ी होती है, साहब लोग आते हैं और तुरंत चले जाते हैं।’

गेसिंग वाली जगह पर नशे का कई सामान मिलता है

यहां गांजा, सिगरेट, रिजला पेपर, स्मैक कार्ड जैसे नशीला पदार्थ खुले बेचा जा रहे है। दुकानदार ने बताया कि ‘पहले डर लगता था। लेकिन, अब नहीं। सब मैनेज कर के चल रहा है। कोई पुलिस वाले भी यहां आकर माल (नशीला पदार्थ) ले जाते हैं। हम लोग दुकान बंद कर देंगे तो साहब लोगों को माल कहां से मिलेगा।’

गेसिंग के लिए ऑनलाइन ऐप में इस तरह का इंटरफेस आता है।

गेसिंग के लिए ऑनलाइन ऐप में इस तरह का इंटरफेस आता है।

हरियाणा, आंध्र प्रदेश और ओडिशा से सप्लाई

20 नवंबर को पटना के दीघा थाना क्षेत्र से स्मैक के पैडलर को पुलिस ने पकड़ा था। पैडलर का नाम कुंदन था। इसके पास से स्मैक की 120 छोटी पुड़िया की बरामदगी हुई थी। कुंदन का काम हरियाणा से पटना पहुंचाना था। इसके बदले उसे 15 हजार मिलते थे। 5 हजार एडवांस भी मिल गया था। पटना में डिलीवरी करने से पहले पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

नारकोटिक्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों के मुताबिक, बिहार में सबसे ज्यादा गांजा उत्तर पूर्वी राज्यों के अलावा आंध्र प्रदेश और ओडिशा से सप्लाई हो रही है। इसमें बिहार और यूपी के अलावा स्थानीय तस्कर भी शामिल हैं।

नेपाल से गांजा और चरस, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से हेरोइन की तस्करी की जा रही है। झारखंड से अफीम की सप्लाई होती है। झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों में अफीम का उत्पादन होता है।

समय-समय पर की जाती है कार्रवाई

डीएसपी लॉ एंड ऑर्डर कृष्ण मुरारी प्रसाद ने बताया कि ‘गेसिंग की जब भी सूचना मिलती है। पुलिस तुरंत वहां पहुंचती है। पुलिस के पहुंचने से पहले सभी वहां से फरार हो जाते हैं। कुछ पकड़े भी जाते हैं। लेकिन, वो इस पूरे खेल को बता नहीं पाते हैं।’

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