मदार में शुक्रवार को मारे गए पैंथर को लेकर अभी तय भी नहीं हो पाया कि वह आदमखोर था भी या नहीं, इस बीच 33 घंटे बाद ही यहां से 4 किमी दूर पालड़ी में पैंथर दिखा। गनीमत यह रही कि वह खेत में काम कर रही महिलाओं पर हमला करता उससे पहले ही उन्हें दिख गया और वे
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यूं तो मदार व पालड़ी इलाके में कई अन्य पैंथर भी हैं, लेकिन शनिवार को दिखे पैंथर के भी आदमखोर होने से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके पीछे कई कारण हैं। उधर, आदमखोर की जगह किसी निर्दोष पैंथर की हत्या भी हुई होगी तो वन विभाग ने बचाव का रास्ता पहले ही तैयार कर लिया है।
शुक्रवार को पैंथर को मारे जाने के बाद जारी लिखित बयान में वन विभाग ने कहा कि पैंथर ने टीम पर हमले का प्रयास किया, ऐसे में उसे मारना पड़ा। यही लाइन बचाव करेगी। दरअसल, खुद के बचाव में टीम किसी वन्यजीव को शूट करती है तो किसी पर भी कार्रवाई नहीं होती।
खेत में काम कर रही थी महिलाएं, तभी सामने आया पालड़ी गांव में महादेव मंदिर के पीछे शनिवार दाेपहर साढ़े 3 बजे 3-4 महिलाएं खेत पर काम कर रही थीं। इसी दौरान सामने से तेंदुआ आया। महिलाएं चिल्लाईं तो तेंदुआ वहीं रुक गया और महिलाएं भाग निकली। बाद में हरि सिंह खरवड़, रूप सिंह सहित अन्य ग्रामीण मौके पर पहुंचे और आसपास में तेंदुए काे खाेजा, लेकिन कहीं नहीं दिखा। खेत के पास ही बरसाती नाला है।
माना जा रहा है कि वह नाले के रास्ते ओझल हुआ। वन विभाग रविवार को यहां पिंजरा लगाएगा। बड़गांव पंचायत समिति के सदस्य भुवनेश व्यास ने बताया कि इसी मंदिर के पीछे करीब एक साल पहले खेत में पैंथर आया था। तब किसान फतेहलाल को हमला कर घायल कर दिया था।
मदार में मारने के बाद अब पालड़ी में दिखा, आदमखोर होने की ये शंका
अभी तक आदमखोर पैंथर ने एक से लेकर 10 किमी के दायरे में अलग-अलग शिकार किए। खास बात यह है कि जहां भी हमला किया, उसके बाद गांव बदलकर हमला किया। यानी एक गांव में दो शिकार कभी नहीं किए। ऐसे में आशंका जताई जा सकती है कि वह अभी मारा ही नहीं गया और अब मदार से पालड़ी पहुंच गया हो।
दूसरी आशंका इस कारण है कि 18 सितंबर से 16 अक्टूबर के बीच 8 लोगों की जान लेने वाले आदमखोर की तलाश में जुटे वन विभाग ने 24 सितंबर से 29 सितंबर के बीच 4 तेंदुओं को पकड़ा। एक-एक कर इनके पकड़े जाने के बाद आदमखोर माना गया, लेकिन इनसानों पर हमले नहीं थमे यानी आदमखोर बाहर ही रहा। बता दें कि पैंथर को शुक्रवार सुबह करीब साढ़े 6 बजे मारा गया था। शनिवार को पैंथर दोपहर 3:30 बजे दिखा।
विभाग की फॉरेंसिक रिपोर्ट में ये दावा
मदार में मारे गए पैंथर की माेबाइल फाॅरेंसिक यूनिट से रिपाेर्ट आ गई है। इसमें तेंदुए के दांताें पर लगे खून को प्राथमिक रासायनिक परीक्षण में मानव का माना है। हालांकि, सच डीएनए टेस्ट से सामने आएगा। सैंपल जयपुर व देहरादून भेजे गए हैं। तब तक आदमखोर पर संशय कायम रहेगा। इस बारे में अभी कोई और पुख्ता सबूत नहीं हैं।
वन विभाग के दावे पर भरोसा नहीं, ग्रामीण खुद तलाश रहे पुलिस और वन विभाग आदमखोर तेंदुए काे मार गिराने का दावा भले ही कर रहे हैं, लेकिन ग्रामीणाें को यकीन नहीं है। शनिवार काे बड़ा और छोटा मदार के अलावा आसपास के घाेड़ानकला, घाेड़ानकला खुर्द, छाेटा मदार, कायलाे का गुड़ा, नराेका खेड़ा आदि गांवों के करीब 300 लाेगाें ने सुबह अलग-अलग टीमें बनाई। इसके बाद जंगल में घेरा डाला।
सबके हाथों में कुल्हाड़ी-सरिया-तलवार और लाठी भी थे। उन्हें तेंदुए का मूवमेंट तो नहीं दिखा, लेकिन वे बोले कि अभी आदमखोर के ही मरने की पुष्टि नहीं है। ऐसे में वह फिर से काेई जनहानि न कर दे, इसीलिए सतर्कता बरत रहे हैं। खेतों में भी अकेले नहीं जा रहे।
अलसुबह और शाम अकेले बाहर नहीं निकल रहे हैं। बता दें कि मदार में 16 अक्टूबर को 70 वर्षीया मांगी बाई व केशी बाई पर हमला किया था। मांगी बाई मारी गई। गोगुंदा के साथ वन विभाग-पुलिस व अन्य टीमों ने यहां भी डेरा डाला था। शुक्रवार सुबह पैंथर मार गिराया।