इस्लामाबाद2 घंटे पहले
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पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी जनरल कुरिल्ला को सैन्य सम्मान देते हुए।
पाकिस्तान ने अमेरिका के सेंट्रल कमांड प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला को देश के सबसे बड़े सैन्य सम्मान निशान-ए-इम्तियाज से नवाजा है। यह सम्मान इस्लामाबाद में राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने दिया।
जनरल कुरिल्ला को यह सम्मान क्षेत्रीय शांति को बढ़ावा देने और पाकिस्तान-अमेरिका सैन्य संबंधों को मजबूत करने के लिए दिया गया।
जनरल कुरिल्ला ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरदारी और सेना प्रमुख असीम मुनीर से मुलाकातें कीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस सम्मान के जरिए पाकिस्तान, अमेरिका के लिए अपनी वफादारी जाहिर कर रहा है।

पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर के साथ जनरल कुरिल्ला।

जनरल कुरिल्ला और पाकिस्तान के राष्ट्रपति बातचीत करते हुए।
कुरिल्ला बोले थे- भारत-पाक दोनों से रिश्ते रखने होंगे
जनरल कुरिल्ला ने पिछले महीने पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मजबूत सहयोगी बताया था। तब उन्होंने कहा था कि अमेरिका को पाकिस्तान और भारत दोनों से रिश्ते रखने होंगे। ये बाइनरी स्विच नहीं है कि एक से रिश्ता रखेंगे तो दूसरे से नहीं रख सकते। हमे रिश्तों के फायदों को देखना चाहिए।
इसके जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुआ आतंकी हमला सीमा पार आतंकवाद का हालिया उदाहरण है।

जनरल कुरिल्ला ने कहा था कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ अपनी क्षमता के हिसाब से लड़ रहा है।
पाकिस्तान टेरर फंडिंग रोकने में नाकाम
पाकिस्तान ने जनरल कुरिल्ला को सैन्य सम्मान देने का कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब वो आर्थिक संकट और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के दबाव से जूझ रहा है।
पाकिस्तान जून 2018 से अक्टूबर 2022 तक FATF की ग्रे लिस्ट में था। भारत ने हाल ही में पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान पर टेरर फंडिंग रोकने में नाकामी का आरोप लगाते हुए FATF से ग्रे लिस्ट में वापस डालने की मांग की है।
अमेरिका, FATF का संस्थापक सदस्य होने के नाते, इस संगठन की नीतियों और टेरर फंडिंग पर नजर रखने में अहम भूमिका निभाता है।
इस सम्मान के जरिए पाकिस्तान अमेरिका के साथ अपने रिश्ते सुधारना चाहता है, ताकि आर्थिक मदद और FATF से राहत पाने में सहायता मिले। साथ ही, यह कदम यह भी दिखाता है कि पाकिस्तान पूरी तरह से चीन पर निर्भर नहीं है।
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