इस्लामाबाद3 घंटे पहले
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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान के साथ दुश्मनी भरा माहौल है। इस्लामाबाद और काबुल में किसी भी वक्त संघर्ष शुरू हो सकता है।
उन्होंने कहा कि फिलहाल दोनों देशों में कोई झड़प नहीं हो रही है, लेकिन दोनों देशों के बीच संबंध ठंड पड़ गए हैं। आसिफ ने आगे कहा,

संघर्ष की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। अगर अफगानिस्तान धमकी देता है, तो हमें तुरंत प्रतिक्रिया देने का अधिकार है।
दरअसल 9 अक्टूबर को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के ठिकानों पर हवाई हमले हुए थे। तालिबान का कहना था कि ये हमले पाकिस्तान ने किए थे।
इसके जवाब में अफगानिस्तान ने 11 अक्टूबर को देर रात पाकिस्तान की 25 सैन्य चौकियों पर हमला कर दिया था।
सोमवार को बॉर्डर पर दोनों देशों की सेनाएं अलर्ट पर रहीं। इस दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार और यात्रियों का आना-जाना बंद रहा।

बॉर्डर बंद होने से सैकड़ों अफगान लोग पाकिस्तान में फंसे हुए हैं। वे अपने मुल्क नहीं लौट पा रहे हैं।
अफगानिस्तान का दावा- 58 पाकिस्तानी सैनिकों को मारा
अफगानिस्तान ने दावा किया कि उसकी सेना ने शनिवार रात (11 अक्टूबर) को पाकिस्तान सीमा पर हुई झड़प में 58 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया।
तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने बताया कि अफगान सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान की 25 सैन्य चौकियां कब्जे में ले लीं।
इसके जवाब में पाकिस्तानी सेना ने कहा कि उसके सिर्फ 25 सैनिक मारे गए, जबकि उसने 200 तालिबानी लड़ाकों को ढेर कर दिया।

यह फुटेज पाकिस्तान सैन्य चौकियों पर अफगान सेना के हमले की है। क्रेडिट-टोलो न्यूज
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP): पाकिस्तान का विद्रोही संगठन
- 2001 में अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया, तो कई लड़ाके पाकिस्तान के कबाइली इलाकों में छिप गए।
- 2007 में बेतुल्लाह मेहसूद ने 13 विद्रोही गुटों को मिलाकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) बनाया।
- इसमें बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सेना के विरोधी गुट के लोग शामिल थे।
- इनकी लड़ाई पाकिस्तान की सेना और सरकार के खिलाफ है।
- इस संगठन से जुड़े कई समर्थक पाकिस्तानी सेना में मौजूद हैं।
- अमेरिका ने पाकिस्तान को चेताया है कि TTP एटमी हथियारों तक पहुंच सकता है।

पाकिस्तान और TTP में लड़ाई क्यों?
- 2001 में अमेरिका के अफगानिस्तान पर हमले के बाद पाकिस्तान ने अमेरिका का साथ दिया। इससे TTP नाराज हो गया, वह इसे इस्लाम के खिलाफ मानता था।
- TTP का मानना है कि पाकिस्तान सरकार सच्चा इस्लाम नहीं मानती है, इसलिए वो उसके खिलाफ हमला करता है।
- TTP का अफगान तालिबान के साथ गहरा जुड़ाव है। दोनों समूह एक-दूसरे को समर्थन देते हैं।
- 2021 में अफगान तालिबान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान ने TTP को निशाना बनाकर अफगानिस्तान में हमले किए।
- TTP पश्तून समुदाय की गरीबी, बेरोजगारी और सरकार की अनदेखी जैसी शिकायतों का फायदा उठाता है।
दोनों देशों के बीच पहले भी हुआ है तनाव
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच डूरंड लाइन को लेकर लंबे समय से विवाद है। दोनों देश एक-दूसरे पर हमले और आतंकियों को छिपाने का आरोप लगाते रहते हैं। 2021 में अफगानिस्तान हुकूमत पर तालिबान के कंट्रोल के बाद से तनाव और बढ़ गया है।

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