वाराणसी के 36वीं वाहिनी PAC रामनगर में तैनात जवान से रविवार को साइबर अपराधियों ने ठगी कर ली। सोशल मीडिया के जरिए सिपाही का नंबर पाकर उसे ऑनलाइन लकी-ड्रॉ का लिंक भेज दिया, लिंक खोलते ही सिपाही के खाते से 1.70 लाख रुपये पार हो गए।
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उसने ट्रांजैक्शन को रोकने का प्रयास किया लेकिन खाता खाली गया था और उस पर मैसेज आते जा रहे थे। आनन फॉनन सिपाही ने रामनगर थाने पहुंचकर तहरीर दी और साइबर ठगी का केस दर्ज कराया। मामला साइबर क्राइम टीम के पास पहुंच गया है और शिकायत के आधार पर ट्रांसफर मनी रोकने के लिए बैंक को मेल किया है।
चंदौली जनपद के धीना थाना क्षेत्र के इमिलिया गांव निवासी विश्वजीत कुमार पीएसी के जवान हैं और वर्तमान में उनकी तैनाती रामनगर स्थित 36वीं वाहिनी पीएसी में है। आरक्षी विश्वजीत कुमार ने रामनगर पुलिस को तहरीर देकर खाते से रुपये निकालने की शिकायत की है।
इसमें बताया कि उनके मोबाइल पर एक लिंक आया, जिसमें आनलाइन लकी ड्रा का जिक्र था। पहले तो उसने मैसेज को इग्नोर किया लेकिन फिर अचानक क्लिक हो गया। लिंक को क्लिक करते ही उनके खाते से धनराशि कटने लगी। पहले एक लाख, फिर 50 हजार और फिर 20 हजार रुपये निकाले गए।
ताबड़तोड़ ट्रांजेक्शन के बीच खाते से चंद सेकेंड में 1 लाख 70 हजार रुपये निकल गए । खाते से रुपये निकलने का मैसेज मिलते ही होश उड़ गए। तत्काल बैंक के हेल्पलाइन नम्बर पर फ़ोन करके खाता को बन्द करवाया। पुलिस ने विश्वजीत की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। मामला साइबर क्राइम टीम काे भेजा गया है।
चंद्रकांत मीणा, डीसीपी क्राइम एवं एडीसीपी काशी जोन।
अपनी सुरक्षा के लिए रहें सतर्क-डीसीपी क्राइम
वाराणसी के डीसीपी क्राइम चंद्रकांत मीणा ने बताया कि साइबर ठगी से बचने के लिए उपभोक्ताओं को सजग रहना होना। साइबर जालसाजों से बचना बड़ी चुनौती है। इंटरनेट पर ऐसे कई जानकारी हैं जो आनलाइन ठगी से बचने की जानकारी देती हैं।
ध्यान रखें ऑनलाइन साइट पर जाते वक्त देखें किस वेबसाइट को खोल रहे हैं। इस बारे में गूगल और यू ट्यूब पर भी तमाम जानकरी एक क्लिक पर मिल सकती है , वहां तमाम ट्यूटोरियल मौजूद हैं जिन पर जाकर जागरूक हो सकते हैं। सिर्फ फिशिंग लिंक चेकर या वेबसाइट लिंक चेकर डालने मात्र से भी वहां ऐसी तमाम जानकारी मिल जाएगी जिससे आप सुरक्षित रह सकते हैं।
लिंक और पीडीएफ खोलते ही साइबर अपराधी खाता खाली कर देते हैं। अज्ञात नंबर से व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम पर लिंक या फिर पीडीएफ अगर विश्वसनीय नहीं है तो बिल्कुल ना खोलें, अन्यथा आपका बैंक खाता खाली हो सकता है। साइबर अपराधी फर्जी आईडी से दिनभर लोगों के मोबाइल पर लिंक और पीडीएफ भेजकर उन्हें अपने चंगुल में फंसाने को बैठे रहते हैं।
अनजाना लिंक खोलने से पर रहे सतर्क
अगर कोई भी https पर है तो उस पर भरोसा किया जा सकता है, लिंक के ऊपर अगर एक लॉक दिखाई देता है तो माना जा सकता है कि वह सुरक्षित है । उसका ssl लिया हुआ है। कुछ URL “http://” से शुरू होते हैं जबकि कुछ URL “https://” से ।
यह जानना बेहद जरूरी है कि जब आप बैंक, ऑनलाइन पेमेंट जैसी वेबसाइट ब्राउज़ करते हैं तो वहां आपको संवेदनशील इनफॉर्मेशन देने की आवश्यकता होती है, तो उन साइटों के URL में “https://” लगा होता है। आखिर यह “https://” यानी कि SSL जिसे तकनीकी भाषा में कहा जाता है यह क्या है यही जानना भी जरूरी है।
बता दें कि “https://” का मतलब है Hypertext Transfer Protocol Secure यानी उस वेबसाइट से आपका कनेक्शन secure है और आपके द्वारा दर्ज किए गए किसी भी डेटा को सुरक्षित रूप से Encrypt किया गया है।SSL यानी Secure Sockets Layer , यह इंटरनेट में इस्तेमाल किया जाने वाला एक encryption protocol है, जोकि किसी इंटरनेट उपयोगकर्ता को, किसी वेबसाइट में संवेदनशील जानकारी को सुरक्षित रूप से वेब सर्वर तक पहुंचाने में मदद करता है। इसकी अच्छी बात यह है कि इससे डाटा लीक भी नहीं हो पाता। SSL के इस्तेमाल से कोई हैकर किसी भी customer के डाटा को आसानी से चुरा नहीं सकता ।