Operation Sindoor Pakistan Air Strike; SGPC Humanitarian Step Amid Tension | Amritsar | भारत-पाक तनाव के बीच SGPC का मानवीय कदम: सीमा क्षेत्र के प्रभावित लोगों के लिए गुरुद्वारों में शरण और लंगर की व्यवस्था – Amritsar News


एसजीपीसी प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी।

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने एक सराहनीय और मानवीय पहल की है। समिति ने सीमा क्षेत्र से विस्थापित हो रहे लोगों के लिए गुरुद्वारों में शरण और लंगर की व्यवस्था करने की घोषणा की है। SGPC अध्यक

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SGPC के सचिव प्रताप सिंह ने बताया कि मौजूदा हालात के चलते बोर्डर एरिया के निवासियों की सुरक्षा और राहत के लिए SGPC के अंतर्गत आने वाले विभिन्न गुरुद्वारों में विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि SGPC अध्यक्ष के निर्देश पर संबंधित गुरुद्वारों के प्रबंधकों को पत्र जारी किए गए हैं, जिनमें उन्हें तत्काल व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।

इस पहल के तहत जिन गुरुद्वारों को विशेष रूप से तैयार रहने का निर्देश दिया गया है, उनमें शामिल हैं:

  • गुरुद्वारा श्री बर्थ साहिब (पठानकोट)
  • गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब डेरा बाबा नानक (गुरदासपुर)
  • गुरुद्वारा बाबा बुढ़ा साहिब रामदास (अमृतसर)
  • गुरुद्वारा गुरुसर सतलानी साहिब पटशाही छैवीन (हुसैनीवाला, अमृतसर)
  • गुरुद्वारा श्री छेहर्ता साहिब पटशाही छैवीन (अमृतसर)
  • गुरुद्वारा बाबा बीर सिंह रत्तोके (तरनतारन)
  • गुरुद्वारा भाई तारा सिंह जी शहीद, वान गांव (तरनतारन)
  • गुरुद्वारा जमनी साहिब पटशाही दसवीं, बाजिदपुर (फिरोजपुर)
  • गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब (श्री मुक्तसर साहिब)
  • गुरुद्वारा बीर बाबा बुढ़ा साहिब (तरनतारन)
  • गुरुद्वारा बाबा बुढ़ा जी, तेजा कलां (गुरदासपुर)
  • गुरुद्वारा संह साहिब, बसरके गिल्लां गांव (अमृतसर)
  • गुरुद्वारा पटशाही छैवीन और नौवीं, गुरु का बाग, घुकेवाली (अमृतसर)

SGPC ने स्पष्ट किया है कि कोई भी व्यक्ति जो सीमा क्षेत्र से विस्थापित हुआ है, इन गुरुद्वारों में शरण ले सकता है। उन्हें न सिर्फ सुरक्षित आश्रय मिलेगा बल्कि तीन वक्त का लंगर भी पूरी सेवा-भावना से दिया जाएगा।

यह कदम न सिर्फ सिख परंपरा की ‘सेवा और सरबत दा भला’ की भावना को सजीव करता है, बल्कि संकट की घड़ी में एक अनुकरणीय उदाहरण भी पेश करता है। SGPC ने यह भी कहा है कि ज़रूरत पड़ी तो अन्य गुरुद्वारों को भी इस पहल में शामिल किया जाएगा।

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