नई दिल्ली11 घंटे पहले
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देश के 26 बड़े ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स ने अपने एप्स और वेबसाइट्स पर डार्क पैटर्न्स का इस्तेमाल बंद करने की घोषणा की थी, लेकिन इनमें से सिर्फ 5 कंपनियां ही पूरी तरह से डार्क पैटर्न फ्री हो पाई हैं।
अन्य 21 कंपनियों के प्लेटफॉर्म्स पर अब भी कन्ज्यूमर्स से हिडन चार्जेस वसूल रहे हैं। यह दावा सिटिजन एंगेजमेंट प्लेटफॉर्म लोकल सर्किल्स ने अपनी स्टडी रिपोर्ट में किया है।
26 कंपनियों ने CCPA को सेल्फ-डिक्लेरेशन लेटर सौंपा था
दरअसल, डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स ने गुरुवार (20 नवंबर) को बताया था कि 26 कंपनियों ने इंटरनल या थर्ड-पार्टी ऑडिट के बाद सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) को सेल्फ-डिक्लेरेशन लेटर सौंप चुकी हैं।
इन कंपनियों में फ्लिपकार्ट, मिंत्रा, जोमेटो और स्विगी जैसे प्लेटफॉर्म शामिल हैं। ये कंपनियां ग्रॉसरी, फूड डिलीवरी, फार्मेसी, फैशन और ट्रैवल सेगमेंट की हैं। कंपनियों ने ये डिक्लेरेशन अपनी वेबसाइट्स पर अपलोड भी किए हैं।
डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स ने इसे डिजिटल कंज्यूमर सेफ्टी के लिए बड़ा कदम बताया था और कहा था कि बाकी कंपनियों को भी सेल्फ-रेगुलेशन अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।

कंपनियों ने सिर्फ ड्रिप प्राइसिंग के इश्यू को खत्म किया
लोकल सर्किल्स ने इन प्लेटफॉर्मों की तरफ से किए गए दावे की पड़ताल की। इसमें 26 में से सिर्फ 5 प्लेटफॉर्म ही अपने दावे पर खरे उतरे। संस्था के फाउंडर सचिन तपड़िया ने कहा कि नियामकीय सख्ती के चलते ई-कॉमर्स कंपनियों ने सेल्फ-ऑडिट की घोषणा की है। हमारी जांच में इनमें से 90% प्लेटफॉर्म पर इन 13 तरह के डार्क पैटर्न में से कोई न कोई अब भी एक्टिव मिला।
फिलहाल मीशो, इज माई ट्रिप, जेप्टो और बिग बॉस्केट ही डार्क पैटर्न-फ्री हैं।’ उन्होंने आगे कहा कि अभी ज्यादातर प्लेटफॉर्म्स ने ड्रिप प्राइसिंग के इश्यू को खत्म किया है। इतने भर से इन्हें लगता है कि ये डार्क पैटर्न फ्री हो गए हैं। इन प्लेटफॉर्म पर जबरन कार्रवाई वाले डार्क पैटर्न अब भी हैं। मसलन, आप कोई प्रोडक्ट लें तो उसमें दूसरी सर्विस जुड़ जाती है। एक और सर्विस जुड़ने से एक्सट्रा चार्ज लग जाता है।
किन 26 कंपनियों ने खुद को डार्क पैटर्न फ्री किया?
CCPA को मिले डिक्लेरेशन लेटर्स के मुताबिक, 26 प्लेटफॉर्म्स ने अपनी साइट्स पर जीरो डार्क पैटर्न्स होने की पुष्टि की है।

3 महीने में सेल्फ डिक्लेरेशन सबमिट करने को कहा था
डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स ने जून 2025 में एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें ई-कॉमर्स कंपनियों को 3 महीने के अंदर सेल्फ-ऑडिट करने और डिक्लेरेशन सबमिट करने को कहा था।
नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन (NCH) के जरिए सोशल मीडिया कैंपेन, इंफॉर्मेटिव वीडियोज और वर्कशॉप्स चलाए गए, ताकि कंज्यूमर्स डार्क पैटर्न्स पहचान सकें और शिकायत दर्ज करा सकें।
CCPA ने इसे एक मिसाल बताया है और बाकी डिजिटल प्लेयर्स से भी वैसा ही करने को कहा। अगर कोई कंपनी डेडलाइन मिस करती है, तो रेगुलेटरी एक्शन हो सकता है।
डार्क पैटर्न्स फ्री प्लेटफॉर्म से कंज्यूमर्स को क्या फायदा
अभी कंपनियों ने अपनी मर्जी से ये वादा किया है कि वो डार्क पैटर्न्स नहीं चलाएंगी, लेकिन आने वाले समय में सरकार इसे सख्ती से लागू भी कर सकती है। इससे कंज्यूमर्स को अब शॉपिंग एप्स इस्तेमाल करते समय कम ट्रिक्स का सामना करना पड़ेगा, जिससे सेफ और ट्रांसपेरेंट एक्सपीरियंस मिलेगा।
डिपार्टमेंट ने कहा कि ये अभियान डिजिटल कंज्यूमर सेफ्टी को मजबूत करेगा। भविष्य में और भी कंपनियां इसमें शामिल होंगी। कंज्यूमर्स को डार्क पैटर्न्स के बारे में एजुकेशनल कैंपेन से ये भी समझाया जाएगा कि डार्क पैटर्न्स होते क्या हैं और इन्हें कैसे पकड़ा जाए। ये लंबे समय में ये ई-कॉमर्स सेक्टर को ज्यादा भरोसेमंद बनाएगा।

डार्क पैटर्न्स क्या हैं?
डार्क पैटर्न्स वो ट्रिक्स हैं, जो ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान यूजर्स को गुमराह करती हैं। जैसे फेक अर्जेंसी क्रिएट करना, जहां लिखा हो ‘अभी खरीदो वरना स्टॉक खत्म’, या चुपके से कार्ट में एक्स्ट्रा आइटम ऐड कर देना। 2023 में नोटिफाई हुई गाइडलाइंस फॉर प्रिवेंशन एंड रेगुलेशन ऑफ डार्क पैटर्न्स में 13 ऐसे पैटर्न्स को बैन किया गया है।
इनमें फॉल्स अर्जेंसी, बास्केट स्नीकिंग, कन्फर्म शेमिंग, फोर्स्ड एक्शन, सब्सक्रिप्शन ट्रैप, इंटरफेस इंटरफियरेंस, बेट एंड स्विच, ड्रिप प्राइसिंग, डिस्गाइज्ड ऐड्स, नेगिंग, ट्रिक वर्डिंग, SAAS बिलिंग और रोग मैलवेयर शामिल हैं।
ये ट्रिक्स कंज्यूमर्स को अनचाहे प्रोडक्ट्स खरीदने या सब्सक्रिप्शन में फंसाने के लिए इस्तेमाल होती हैं। कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 के तहत ये गाइडलाइंस 30 नवंबर 2023 को लागू हुईं, ताकि डिजिटल मार्केट में ट्रांसपेरेंसी आए।

