Once affected by insurgency, today handloom workers are changing the picture of the village | बुनकरों का गांव: कभी उग्रवाद से प्रभावित था,आज हथकरघा मजदूर बदल रहे गांव की तस्वीर


15 मिनट पहले

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कभी उग्रवाद से प्रभावित रहा असम के मोइनागुड़ी गांव ने आज बुनकरों के गांव के रूप में पहचान बना ली है। यह गांव असम के कोकराझार जिले के गोसाईगांव से लगभग 40 किलोमीटर दूर भारत-भूटान सीमा के करीब स्थित है। 66 परिवारों के इस गांव में राभा जनजाति के लोग रहते हैं। कुछ वक्त पहले तक उग्रवाद की वजह से गांव के लोग गरीबी और अभाव में जीने को मजबूर थे। गांव में हथकरघा बुनकर कपड़े तो बना रहे थे, लेकिन उनके उत्पाद के लिए खरीददार नहीं थे। हालांकि अब स्थिति बदली है। गांव वालों का कहना है कि militancy कम होने से अब गांव में लगातार व्यपारी या रहे हैं और उनका सामान खरीद रहे हैं । अब उनकी आय भी पहले से दोगुनी हो गई है। ब्यूरो रिपोर्ट दैनिक भास्कर।

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