पटना के आसरा गृह में 3 लड़कियों की मौत से सरकारी सिस्टम सवालों में है। शेल्टर होम की प्रभारी सुपरिटेंडेंट कुमारी अंशु को सस्पेंड किया गया है। 12 स्टाफ को हटा दिया गया है। जांच और कार्रवाई का दौर जारी है। लड़कियों की मौत का राज खंगाला जा रहा है। समाज कल
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इस पूरे मामले की पड़ताल के लिए भास्कर की टीम आसरा गृह पहुंची। हमें शेल्टर होम के अंदर जान से रोक दिया गया। 3 लड़कियों की मौत के बाद आसरा गृह की जांच के लिए कई टीम गठित कर दी गई है। मेडिकल टीम के साथ ही अधिकारियों की टीम भी पैरलल जांच में जुटी है।
आसरा गृह में अफसर खाने में मौत की वजह ढूंढ रहे हैं। भास्कर की इंवेस्टिगेशन में मौत की जो वजह सामने आई है, वह गंदा पानी है। जिसका इस्तेमाल लड़कियां पीने के लिए कर रही थीं। वाटर टैंक कभी साफ नहीं करारा गया है।
प्लास्टिक के वाटर टैंक का ढक्कन काफी समय से टूटा था। खुली हुई टैंक में गंदगी जमा हो रही थी, सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। टैंक साफ कराना तो दूर किसी ने टैंक की ढक्कन लगवाने तक की नहीं सोची।
घटना के बाद जांच टीम भी पहुंची, लेकिन वह भी इस सच्चाई को नहीं जान पाए। अफसरों के पहुंचने के पहले ही टैंक को पटरी से ढंक दिया गया था। आसरा गृह में 3 मौत के बाद सप्लायर को वाटर टैंक के ढक्कन का ऑर्डर दिया गया। हमने इस आसरा गृह सारा सामान सप्लाई करने वाले शख्स से बात की। उसने बताया कि सरकार एक लड़की का दिनभर का 74 रुपए देती है। इतना ही पैसा मिलता है जिससे वो मरे नहीं जिंदा रहें। पढ़िए आसरा गृह पर भास्कर की ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट…
भास्कर की टीम आसरा गृह पहुंची तो लड़कियां खिड़की से झांकती दिखीं।
खराब पड़े थे RO, खुले टैंक का पानी पी रही थीं लड़कियां
हमारी टीम सबसे पहले आसरा गृह पहुंची। हमें अंदर जाने से रोक दिया गया। इसके बाद हमने यहां सामान सप्लाई करने वाले सप्लायर का नंबर निकाला। उसे मिलने के लिए बुलाया। पहले तो उसने मना किया फिर वो तैयार हो गया। वो ऑफ कैमरा बात करने के लिए रेडी हुआ। उसने बताया कि ‘कई दिनों से 3 आरओ खराब पड़े हैं। ठीक नहीं कराने के कारण लड़कियां खुले टैंक का पानी पी रही थीं। जब 3 मौत हुई तो आनन-फानन में खराब पड़े वाटर प्यूरीफायर को ठीक कराया गया ताकि जांच टीम की आंखों पर पर्दा डाला जा सके। आसरा गृह में पर्याप्त रोशनी तक नहीं थी। लड़कियों की के बाद एक साथ 3 दर्जन बल्ब मंगाए गए, जिससे जांच टीम को खामी नहीं मिले।’
सरकार बस इतना पैसा देती है, ताकि जिंदा रहें लड़कियां
समाज कल्याण विभाग की अपर मुख्य सचिव के लड़कियों के अंडर वेट होने के सवाल का भी जवाब सप्लायर ने दे दिया। उसने बताया कि ‘एक लड़की पर एक दिन की डाइट के लिए महज 74 रुपए दिए जाते हैं। इसमें खाना नाश्ते से लेकर दूध तक शामिल है। इसमें अलग अलग दिनों का मेन्यू चार्ट भी निर्धारित किया गया है।’
सप्लायर दीपू ने बताया कि ‘मुझे गैस सिलेंडर से लेकर खाने का पूरा मटेरियल देना पड़ता है। एक लड़की पर निर्धारित मीनू के हिसाब से महीने का 23 सौ रुपए दिए जाते हैं। एक लड़की पर एक दिन का 74 रुपए मिलते हैं। इसमें सोमवार से लेकर रविवार तक का पूरे डाइट प्लान के हिसाब से सामान देना पड़ता है। कुक के लिए अलग से 6 हजार रुपए दिए जाते हैं।’
‘डाइट प्लान के हिसाब से अंडा और चिकन के साथ पराठा, सब्जी और चावल, दाल तक देना पड़ता है। कई बार बजट बढ़ाने के लिए कहा गया, लेकिन इस पर विभाग ने कोई ध्यान नहीं दिया। इसके बाद भी इसी बजट में लड़कियों को सरकारी डाइट प्लान के हिसाब से खाने का सामान सप्लाई किया जाता है।’
दूसरे सेंटर्स पर भी यही सामान गया वहां से शिकायत नहीं
दीपू का कहना है कि वह 5 साल से काम कर रहे हैं। अब तक कोई शिकायत नहीं मिली थी, अब हल्दी और धनिया में गड़बड़ी आ गई। अगर सामान गड़बड़ था तो बनाने वाले ने वापस क्यों नहीं किया गया।
पटना के 5 आसरा होम में एक ही सप्लायर हर सामान सप्लाई करता है। अब सवाल ये है कि जब एक ही सप्लायर से पटना के सभी आसरा गृह में सामानों की सप्लाई कराई गई तो एक जगह ही कैसे खराब सामान पहुंचे और यहीं लड़कियों की मौत हुई। जिस हल्दी और धनिया पाउडर की क्वालिटी पर सवाल खड़े किए गए हैं, वही सामान पटना के अन्य 5 आसरा गृहों में भी सप्लाई की गई थी। लेकिन, अन्य गृहों से किसी के बीमार होने का मामला सामने नहीं आया है।
कौन बना रहा था खाना, कौन कर रहा था निगरानी
हमारी पड़ताल में ये बात सामने आई है कि फेस्टिवल के दौरान सेंटर गार्ड के भरोसे ही था। आसरा होम की इंचार्ज अंशु की जिम्मेदारी होम की निगरानी की थी, लेकिन वह हर दिन दो-चार घंटे रहने के बाद घर चली जाती थी। बताया जाता है कि फेस्टिवल के समय में भी वह होम में नहीं थी। ऐसे में पूरा सेंटर कौन देख रहा था। खाना कौन बना रहा था और इसकी निगरानी कौन कर रहा था? यह बड़ा सवाल है।
शेल्टर होम की इंचार्ज की चुप्पी में बड़ा राज
आसरा होम इंचार्ज अंशु से कई सवालों का जवाब मांगा गया, लेकिन वह कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। वह कोई न कोई बहाना बनाकर बात करने से इनकार करती रहीं। अंशु की तरफ से बड़ी लापरवाही की बात सामने आई है।
भास्कर की पड़ताल में यह भी खुलासा हुआ है कि किसी महिला ने खाना बना दिया था और उसे कई टाइम लड़कियों को खाने के लिए दिया गया। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं हुई है। ऐसे मामलों को लेकर भास्कर ने अंशु से कई बार फोन पर बात करने की कोशिश की लेकिन वह कोई न कोई बहाना कर बात करने से मना करती रहीं।
भास्कर की पड़ताल में यह बात भी सामने आई है कि इंचार्ज अंशु ने दवा के नाम पर हर माह एक लाख रुपया लेती थी, दवा कहां और किसकी चल रही थी, इसकी जानकारी के लिए भी अंशु को कॉल किया गया, लेकिन वह इस मुद्दे पर भी कुछ भी नहीं बोलीं। आसरा होम में निगरानी नहीं होने से लड़कियों ने बासी खाना खाया और मौत का ये भी बड़ा कारण बना। अंशु ने बीमार लड़कियों के इलाज में भी लापरवाही बरती है। इस सवाल का जवाब भी अंशु से मांगने के लिए कॉल किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं दी।
मौत पर सस्पेंस, 5 या 7 नवंबर को हुई पहली मौत
आसरा गृह में पहली मौत को लेकर भी सस्पेंस है। प्रशासन को सूचना है कि पहली मौत 7 नवंबर को हुई है, लेकिन चर्चा है कि 5 नवंबर को ही आसरा होम में एक लड़की की मौत हो गई थी। हालांकि, भास्कर की पड़ताल में इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है। आसरा गृह से जुड़े एक व्यक्ति ने भी बताया कि पहली मौत 5 नवंबर को हुई थी। अगर मौत 5 नवंबर को हुई तो उसे क्यों छिपाया गया फिर मौत की चर्चा अफवाह है। इस मामले को लेकर होम की इंचार्ज अंशु को कॉल किया गया, लेकिन अंशु ने पहली मौत 5 नवंबर को होने की बात सुनते ही कॉल काट दीं। दोबारा कई बार कॉल करने पर भी अटेंड नहीं की।
जांच से पहले पूरा मामले की सेटिंग में जुटे जिम्मेदार
घटना के बाद से ही मामले पर पर्दा डालने का काम शुरू हो गया। दो मौत के बाद सबसे पहले काफी दिनों से खुली पड़ी पानी की टंकी को पटरा से ढक दिया गया। इसके बाद खराब पड़े आरओ को भी ठीक करा दिया गया।
साफ सफाई के लिए कोई कर्मचारी नहीं थी, गुरुवार को गायघाट से एक महिला कर्मचारी को बुलाकर लगाया गया है। दैनिक भास्कर की पड़ताल में महिला कर्मचारी ने झूठ बोलने की कोशिश की, लेकिन बात बात में उसने कबूल किया कि इस सेंटर पर उसके काम का पहला दिन है। ऐसे ही कई गार्ड को भी बाहर से बुलाकर काम पर लगाया गया है। सेंटर पर गार्ड और अन्य कर्मियों की कमी थी, जांच में अफसरों की आंख पर पर्दा डालने के लिए ही आनन फानन में बाहर से कर्मचारी बुलाकर लगा दिया हैं।
बताया जाता है कि सेंटर पर महिला कर्मचारी नहीं थी, पुरुष गार्ड थे। जांच में पोल नहीं खुले इसलिए गुरुवार को महिला कर्मचारी को लगा दिया गया। सूत्रों ने तो यह भी बताया कि जांच के लिए भी कोई अफसर नहीं आते थे, इसलिए सेंटर पर खूब मनमानी और लापरवाही चल रही थी। घटना के बाद अपर सचिव हरजोत कौर को भी सेंटर पर आना पड़ा। अगर समय समय पर सेंटर की जांच होती तो आसरा गृह में इतनी बड़ी घटना नहीं होती। लापरवाही काफी समय से चल रही थी, छठ पर्व में कर्मचारियों के साथ इंचार्ज के गायब होने के बाद घटना हो गई।
विभाग के मंत्री ने भी अफसरों से परेशान
समाज कल्याण विभाग के मंत्री मदन सहनी से बात की गई। वह भी विभाग से काफी परेशान नजर आए। मंत्री ने कहा कि विभाग से जानकारी ही नहीं दी जाती है। विभाग के जिम्मेदार अफसरों की निगरानी और समय समय पर जांच के सवाल पर भी मंत्री ने कहा कि वह चुनाव की व्यवस्तता के कारण बाहर हैं। इस दौरान विभाग की तरफ से उन्हें कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। मंत्री की बातचीत से विभाग और मंत्रालय के बीच सामंजस्य की कड़ी कमजोर पड़ती नजर आई है।
अब मौत का मेडिकल कारण भी समझिए
फूड प्वाइजनिंग से मौत को लेकर मेडिकल एक्सपर्ट डॉ राणा एसपी सिंह से भी बात की गई। डॉक्टर ने बताया कि अगर फूड प्वाइजनिंग है, मरीज इस स्थिति में भी इंफेक्टेड पानी पीता है तो उसकी मौत का खतरा बढ़ जाता है। मरीज के शरीर में पानी की कमी होने से बॉडी आंत से और खून से पानी लेने लगती है, ऐसे में मरीज की हालत काफी तेजी से बिगड़ती है। जब ब्लड वेसल्स से शरीर पानी लेने लगता है तो मरीज के किडनी फेल होने से लेकर हार्ट के चोक होने का खतरा बढ़ जाता है।
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पटना के आसरा गृह की 3 बच्चियों की मौत हुई है। राजधानी के पूर्वी पटेल नगर स्थित आसरा गृह में पदाधिकारी और कर्मचारी मिलाकर कुल 19 स्टाफ की पोस्टिंग है। कड़ा कदम उठाते हुए समाज कल्याण विभाग इन सभी को इस आसरा गृह से हटाने जा रहा है। सबसे पहले शेल्टर होम की प्रभारी सुपरिटेंडेंट कुमारी अंशु को सस्पेंड किया गया है। भास्कर को इस बात की पुष्टि विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बम्हरा ने की है। पूरी खबर पढ़ें…