बेगूसराय में दीपांकर भट्टाचार्य।
भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने शनिवार को कहा कि नीतीश कुमार भाजपा की गोद में बैठकर बिहार को उत्तर प्रदेश के रास्ते पर ले जाना चाहते हैं। यहां लोगों के साथ अंग्रेज शासक जैसा व्यवहार किया जा रहा है। बिहार के छात्र-नौजवान इसका जवा
.
मुंगेर से लौटने के दौरान आइसा के जिलाध्यक्ष के घर पर रात में मिलने आए दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि नीतीश कुमार खुद किसी जमाने में छात्र हुआ करते थे। कहते थे कि 1974 आंदोलन के नेता हैं। आज 50 साल के बाद वह छात्र नेता जब मुख्यमंत्री बने तो भारतीय जनता पार्टी की गोद में बैठकर योगी आदित्यनाथ के रास्ते पर बिहार को ले जाना चाहते हैं।
कार्यकर्ताओं के दीपांकर भट्टाचार्य
इससे ज्यादा शर्म की बात और क्या होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मैं बता देना चाहता हूं कि बिहार ने बहुत सारे नेताओं को देखा है। बहुत सारे सरकारों को बिहार ने झेला है। लेकिन कभी भी संघर्ष के रास्ते से पीछे नहीं हटता है। संघर्ष के जरिए से ही बिहार के छात्र-नौजवान इसका जवाब देंगे। इंसाफ की लड़ाई, लोकतंत्र की लड़ाई मजबूत होगी।
बिहार न सिर्फ अपने लिए लड़ रहा है, बल्कि पूरे देश के लिए लड़ रहा है। पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी 2024 के चुनाव के बाद अभी महाराष्ट्र में चुनाव में धांधली कर चुनाव जीता। पूरे देश में लोकतंत्र पर हमला कर रही है। इस हमले से देश को बचाने का काम बिहार करेगा। बिहार में हम लोग, इसी रास्ते पर आगे बढ़ेंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा तानाशाही की यात्रा है, सत्ता के अहंकार यात्रा है।
नौजवानों और जनता के लिए आतंक यात्रा है, यह दमन यात्रा है। हमने सोचा था कि नए साल में नीतीश कुमार जनता को शुभकामना देने के लिए निकले हैं, खुशी जताने के लिए निकले हैं। लेकिन बहुत शर्म की बात है, अफसोस की बात है, बिहार लड़ेगा। किसी तानाशाह को बिहार ने कभी बर्दाश्त नहीं किया है, आगे भी नहीं करेगा।
मुख्यमंत्री जिले में जा रहे हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि जनता के ऊपर आतंक थोपा जाए। नेताओं और छात्रों को गिरफ्तार कर डिटेन कर थाने में बैठाया जाए, तो क्या बिहार में लोग आजाद हैं कि नहीं हैं, क्या यहां अंग्रेजों के राज चल रहा है। तीन दिन पहले से आइसा के बेगूसराय जिलाध्यक्ष सोनू फरनाज सहित सबको प्रशासन डरा-धमका रहा था।
शनिवार को पूरे दिन डिटेन करके थाना में बैठाए रखा, ऑफिस में पुलिस की तैनाती थी। मुख्यमंत्री आए थे, जनता से पूछना चाहिए, बात करना चाहिए, अगर समय नहीं था तो चले जाते। लेकिन मुख्यमंत्री किसी जिले में आ रहे हैं तो जनता के ऊपर आतंक थोपा जाए, नेताओं और छात्रों को गिरफ्तार कर डिटेन कर थाने में बैठाया जाए तो बिहार में लोग आजाद हैं कि नहीं हैं।
क्या यहां अंग्रेजों का राज चल रहा है, यह हैरान करने वाली बात है कि बिहार नीतीश कुमार किस रास्ते पर चल रहे हैं। छपरा, सीवान, गोपालगंज से यही रिपोर्ट आ रहा है। जहां जा रहे हैं, पुलिस राज को लेकर चल रहे हैं। हम तो नीतीश जी से कहेंगे कि अभी भी दमन के रास्ते से वापस आइए, तानाशाही से बाज आएं। नीतीश जी खुद छात्र नेता रहे हैं, उनको पता है बिहार का तेवर। बिहार के नौजवान और बिहार के छात्र कभी भी इस दमन को बर्दाश्त नहीं करेंगे। जो बीपीएससी के छात्रों के साथ हुआ, परीक्षार्थियों के साथ अन्याय हुआ।
यह बिहार बर्दाश्त नहीं करेगा, इस दमन का मुकाबला जनता करेगी, नौजवान करेंगे। हम नौजवानों से अपील करेंगे कि आप और ज्यादा बुलंद हों, एकजुट हों। बड़ी एकता के साथ 9 फरवरी को बदलो बिहार महाजुटान में गांधी मैदान में शामिल हों। बिहार में सभी आंदोलन से जुड़े हुए स्कीम वर्कर, किसान, मजदूर, भाई बहन सब आ रहे हैं, सब मिलकर महाजुटान के माध्यम से इस तानाशाही का जवाब देंगे।