NHRC takes cognizance of GNE myopathy | एनएचआरसी ने जीएनई मायोपैथी पर लिया संज्ञान: स्वास्थ्य मंत्रालय को 4 सप्ताह में मांगी रिपोर्ट – Pali (Marwar) News


राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने डॉ. वैभव भंडारी द्वारा जीएनई मायोपैथी को राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति में शामिल करने की अपील पर संज्ञान लिया है। आयोग ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को आवश्यक कार्रवाई कर चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तु

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जीएनई मायोपैथी क्या है?

जीएनई मायोपैथी एक दुर्लभ अनुवांशिक विकार है, जिसमें मांसपेशियों की कमजोरी धीरे-धीरे बढ़ती है। यह रोग आमतौर पर युवा वयस्कों में शुरू होता है और धीरे-धीरे उनकी गतिशीलता और आत्मनिर्भरता को प्रभावित करता है।

नीति से बाहर होने के कारण समस्याएं:

आयात शुल्क छूट का अभाव: अन्य दुर्लभ रोगों से पीड़ित मरीजों को दवाओं और सहायक उपकरणों पर आयात शुल्क में छूट मिलती है, जबकि जीएनई मायोपैथी के मरीज इससे वंचित हैं।

राज्य योजनाओं तक पहुंच नहीं: जीएनई मायोपैथी के मरीज दुर्लभ रोगों के लिए बनाई गई राज्य योजनाओं का लाभ नहीं उठा सकते।

वित्तीय सहायता का अभाव: इस नीति के तहत इलाज के लिए दी जाने वाली वित्तीय सहायता भी जीएनई मायोपैथी के मरीजों को नहीं मिलती।

मानवाधिकार हनन: डॉ. भंडारी ने कहा कि जीएनई मायोपैथी के मरीजों को इन सुविधाओं से वंचित रखना उनके समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14) और जीवन और गरिमा के अधिकार (अनुच्छेद 21) का उल्लंघन है, जो भारतीय संविधान द्वारा प्रदान किए गए हैं। उन्होंने इस बहिष्कार को प्रभावित व्यक्तियों के साथ अन्याय करार दिया।

डॉ. भंडारी ने एनएचआरसी से जीएनई मायोपैथी को राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति में शामिल करने की सिफारिश की थी और स्वास्थ्य मंत्रालय को इसे तुरंत मान्यता देने का निर्देश देने की मांग की थी। मंत्रालय को चार सप्ताह के भीतर आवश्यक कार्रवाई करके आयोग को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। यह निर्णय रोगियों के हित में और उनके लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है।

गौरतलब है कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने पहले ही 2017 में राष्ट्रीय दुर्लभ रोग उपचार नीति बनाई थी, जिसे 2021 में अंतिम रूप दिया गया। आयोग ने इस मामले को जायज और महत्वपूर्ण बताते हुए मंत्रालय से तत्काल आवश्यक कदम उठाने की अपील की है।

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लिए उल्लेखनीय प्रयास: डॉ. भंडारी ने मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के मरीजों की समस्याओं को दूर करने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं। इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर के अलावा, कई राज्यों में हाई नीड बोर्ड के गठन की मांग की है ताकि उच्च आवश्यकताओं वाले मरीजों की पहचान कर उन्हें विशेष सुविधाएं प्रदान की जा सकें। जो कई राज्यों में लागू हो चुका है।

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