बीजिंग1 घंटे पहले
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चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली। तस्वीर- सोशल मीडिया
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने हाल ही में चीन की पांच दिवसीय यात्रा की है। इस दौरान नेपाल आधिकारिक तौर पर चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) फ्रेमवर्क एग्रीमेंट में शामिल हो गया। इस एग्रीमेंट का मकसद ट्रांस-हिमालयन मल्टी-डायमेंशनल कनेक्टिविटी नेटवर्क तैयार करना है। जिसके जरिए नेपाल को बिजनेस और कनेक्टिविटी के एक रीजनल सेंटर में बदलना है।
इंडिया टुडे के मुताबिक, इस प्लान में कई जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजना जैसे हाईवे, रेलवे और एनर्जी नेटवर्क शामिल है। यह नेपाल की चीन और एशिया के दूसरे देशों से कनेक्टिविटी बढ़ाकर आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का वादा करता है।
केपी ओली ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मीटिंग में BRI को नेपाल के लिए गेम चेंजर बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह नेपाल में डेवलपमेंट के नए मौके लेकर आएगा। बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर से बिजनेस, टूरिज्म, एग्रीकल्चर और हाइड्रोपावर के लिए नए रास्ते खुलेंगे।
चीन के साथ BRI प्रोजेक्ट पर साइन करते नेपाल के डिप्लोमैट।
नेपाल में चीन की डेट ट्रैप डिप्लोमेसी कर डर
नेपाल का औपचारिक तौर पर चीन के BRI प्रोजेक्ट में शामिल होना उसकी विदेश नीति में बड़े बदलाव की तरफ इशारा करता है। ऐतिहासिक रूप से, नेपाल के भारत के साथ काफी दोस्ताना रिश्ते रहे हैं। हालांकि, पिछले कुछ वक्त से नेपाल भारत पर निर्भरता कम करने के लिए चीन के साथ नए आर्थिक अवसरों की तलाश कर रहा है।
चीन ने BRI प्रोजेक्ट के जरिए नेपाल के इन्फ्रास्ट्रक्चर में बदलाव के कई वादे किए हैं, लेकिन इसे चीन की डेट ट्रैप डिप्लोमेसी (ऋण-जाल कूटनीति) के तौर पर भी देखा जा रहा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जो भी देश BRI का कर्ज चुकाने में नाकाम हो जाते हैं, उनकी स्ट्रेटेजिक प्रॉपर्टी पर चीन का कब्जा हो जाता है।
इसी तरह चीन ने कर्ज चुकाने में नाकाम रहने पर श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह को 99 साल के लिए लीज पर ले लिया था।
नेपाल चीन में BRI को लेकर 2017 में करार हुआ
शुरुआत में नेपाल BRI प्रोजेक्ट के लिए कर्ज की जगह अनुदान (आर्थिक मदद) मांग रहा था। हालांकि, पीएम ओली की यात्रा के दौरान समझौते में अनुदान की जगह इन्वेस्टमेंट और सहायता शब्द का इस्तेमाल किया गया है। इस वजह से इसे लेकर और ज्यादा अस्पष्टता हो गई है।
नेपाल और चीन के बीच BRI प्रोजेक्ट पर 2017 में करार हुआ था। इसके मुताबिक नेपाल में चीनी पैसे से 9 प्रोजेक्ट्स पर काम होना था, लेकिन 7 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक नेपाल में कोई भी प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाया है। दरअसल, इससे पहले की सरकार चाहती थीं कि चीन नेपाल को कर्ज के बजाए आर्थिक मदद के रूप में पैसा दे। लेकिन चीन इससे इनकार कर रहा था।
BRI के जरिए 70 देशों को जोड़ने का प्लान
चीन का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव यानी BRI है, जिसे नया सिल्क रूट भी कहा जाता है। ये कई देशों का कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट है। BRI के तहत रेल, सड़क और समुद्री मार्ग से एशिया, यूरोप, अफ्रीका के 70 देशों को जोड़ने का प्लान है। चीन हिंद महासागर या कहें भारत के करीबी देशों में बंदरगाह, नौसेना के अड्डे और निगरानी पोस्ट बनाना चाहता है।
BRI के जरिए चीन कई देशों को भारी-भरकम कर्ज दे रहा है। कर्ज न लौटा पाने पर वह उनके बंदरगाहों पर कब्जा कर लेता है। यह किसी भी देश की तरफ से शुरू किया गया अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है।
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