Navratri will start from 3rd October, facts about navratri in hindi, Goddess durga puja festival, fasting in navratri | 3 अक्टूबर से शुरू होगी नवरात्रि: एक साल में चार बार ऋतुओं के संधिकाल में आती है नवरात्रि, इन दिनों में व्रत करना सेहत के लिए है फायदेमंद

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1 घंटे पहले

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गुरुवार, 3 अक्टूबर से शारदीय यानी आश्विन मास की नवरात्रि शुरू हो जाएगी। देवी पूजा का ये पर्व 11 अक्टूबर तक चलेगा। 11 तारीख को तिथियों की घट-बढ़ की वजह से दुर्गा अष्टमी और दुर्गा नवमी एक ही दिन मनाई जाएगी। नवरात्रि में किए गए व्रत-उपवास से धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, नवरात्रि के नौ दिनों में देवी मां के नौ स्वरूपों की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्माचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।

ऋतुओं के संधिकाल में आती है नवरात्रि

  • एक साल में कुल चार बार नवरात्रि आती है। पहली चैत्र मास में, दूसरी आषाढ़ में, तीसरी आश्विन में और चौथी माघ मास में। चैत्र और आश्विन मास की नवरात्रियां सामान्य होती हैं। इन नवरात्रियों में देवी की सरल तरीकों से पूजा की जाती है।
  • आषाढ़ और माघ मास में गुप्त नवरात्रि कही जाती है। इन महीनों में देवी की दस महाविद्याओं के लिए गुप्त साधानाएं की जाती हैं। ये तंत्र-मंत्र से जुड़े लोगों के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है।
  • साल में चार बार नवरात्रि आती है और चारों बार दो ऋतुओं के संधिकाल में देवी पूजा का ये पर्व मनाया जाता है। ऋतुओं का संधिकाल यानी एक ऋतु के जाने का और दूसरी ऋतु के आने का समय।
  • चैत्र मास में शीत ऋतु खत्म होती है और ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होती है। आषाढ़ में ग्रीष्म ऋतु जाती है और वर्षा ऋतु आती है।
  • आश्विन मास में वर्षा ऋतु खत्म होती है और शीत आती है। माघ मास में शीत ऋतु जाती है और बसंत ऋतु आती है।
  • ऋतुओं के संधिकाल में किए गए व्रत-उपवास से धर्म लाभ के साथ ही अच्छी सेहत भी मिलती है। इसी वजह से नवरात्रि के व्रत-उपवास से धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं।
  • आयुर्वेद में रोगों को ठीक करने विधियों में एक विधि है लंघन। लंघन विधि के अंतर्गत रोगी को व्रत करने की सलाह दी जाती है। व्रत करने से पाचन तंत्र का आराम मिलता है और हमारा शरीर ऊर्जा के लिए शरीर में ही मौजूद ऐसे खाने का उपयोग करता है जो पच नहीं पाता है। जब पाचन ठीक होता है तो कई रोगों दूर हो जाते हैं।

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