46 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
गुरुवार, 3 अक्टूबर से शारदीय यानी आश्विन मास की नवरात्रि शुरू हो रही है। इस साल नवरात्रि की तिथियों में घट-बढ़ रहेगी, लेकिन नवरात्रि पूरे नौ दिन की ही रहेगी। 11 अक्टूबर को दुर्गा अष्टमी और दुर्गा नवमी एक ही दिन मनेगी। हालांकि की तिथियों की तारीखों को लेकर पंचांग भेद भी हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, देवी दुर्गा की पूजा के महापर्व में 7 और 8 अक्टूबर को पंचमी तिथि रहेगी। इसके बाद अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन 11 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
अब जानिए किस दिन कौन सी देवी की करें पूजा
3 अक्टूबर को मां शैलपुत्री, 4 को मां ब्रह्मचारिणी, 5 को मां चंद्रघंटा, 6 को मां कूष्मांडा, 7 को मां स्कंदमाता, 8 को मां कात्यायनी, 9 को मां कालरात्रि, 10 को मां सिद्धिदात्री और 11 को मां महागौरी की पूजा करें। इसके बाद 12 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा।
देवी पूजा में किन बातों का ध्यान रखें
देवी दुर्गा की पूजा में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। नवरात्रि के दिनों में घर की रोज साफ-सफाई जरूर करें। घर में गोमूत्र और गंगाजल का छिड़काव करें। घर के बाहर रंगोली बनाएं। मुख्य द्वार पर वंदनवार लगाएं।
घर के मंदिर में गणेश जी, शिव जी और देवी दुर्गा का अभिषेक करें। अभिषेक जल और दूध से करें। भगवान को दूर्वा, बिल्व पत्र, फूलों का हार, गुलाब, कमल जरूर चढ़ाएं।
देवी दुर्गा के मंत्र ऊँ दुं दुर्गायै नम: का जप कम से कम 108 बार करें। मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें।
नवरात्रि के दिनों में देवी के शक्तिपीठों में दर्शन-पूजन करें। अपने शहर में या शहर के आसपास के देवी के पौराणिक महत्व वाले मंदिरों में दर्शन करें।
देवी पूजा के साथ ही छोटी कन्याओं की भी पूजा करें। कन्याओं को भोजन कराएं, उन्हें पढ़ाई की चीजें दान करें।
रोज सूर्यास्त के बाद घर के बाहर दीपक लगाएं। तुलसी के पास दीपक जलाएं।
देवी दुर्गा को सुहाग का सामान जैसे चूड़ियां, लाल चुनरी, कुमकुम, सिंदूर, बिंदिया अर्पित करें।
कई लोग नवरात्रि के नौ दिनों में व्रत-उपवास करते हैं। जो लोग भूखे नहीं रह पाते हैं, वे फलाहार कर सकते हैं, दूध और फलों के रस का सेवन कर सकते हैं।