नई दिल्ली16 मिनट पहले
- कॉपी लिंक

नेशनल फिल्म अवॉर्ड की शुरुआत 1954 में हुई थी। तब से हर साल ये सेरेमनी नई दिल्ली के विज्ञान भवन में होती आई है।
आज दिल्ली के विज्ञान भवन में नेशनल फिल्म अवॉर्ड सेरेमनी आयोजित होगी। मिनिस्ट्री ऑफ ब्रॉडकास्टिंग ने 1 अगस्त को नेशनल अवॉर्ड विजेताओं के नाम घोषित किए थे। आज शाम 4 बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू विजेताओं को सम्मानित करेंगी। ये अवॉर्ड साल 2023 में रिलीज हुईं फिल्मों के आधार पर दिए जा रहे हैं।
इस साल साउथ सुपरस्टार मोहनलाल को फिल्म जगत के सबसे महत्वपूर्ण दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा। इस साल द केरल स्टोरी को बेस्ट डायरेक्शन का अवॉर्ड दिए जाने से भी विवाद उठा है। वहीं बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवॉर्ड जीतने वालीं मलयाली एक्ट्रेस उर्वशी ने रानी मुखर्जी और शाहरुख को अवॉर्ड दिए जाने पर सवाल खड़े किए हैं।
नेशनल फिल्म अवॉर्ड सेरेमनी से पहले पढ़िए, नेशनल अवॉर्ड विजेताओं की लिस्ट, विजेताओं पर हुए विवाद, अवॉर्ड से जुड़े इंट्रेस्टिंग फैक्ट्स और इसके इतिहास से जुड़ी हर वो बात, जो जानना जरूरी है-


द केरल स्टोरी को अवॉर्ड दिए जाने पर केरल सरकार की आपत्ति
फिल्म द केरल स्टोरी को बेस्ट डायरेक्शन के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला है। घोषणा होने के बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि इस फिल्म को अवॉर्ड देना, एक खास राजनीतिक विचारधारा को बढ़ावा देना है, जो हमारे राज्य का अपमान है। विजयन का कहना है कि यह फिल्म झूठी कहानी दिखाकर समाज में नफरत फैलाती है।

नेता वी.डी. सतीशन ने भी कहा कि अवॉर्ड के जरिए नफरत फैलाने के प्रोपेगैंडा को बढ़ावा दिया जा रहा है। स्टेट मिनिस्टर साजी चेरियन, के.एन. बालगोपाल, वी. सिवनकुट्टी और पी.ए. मोहम्मद रियाज ने भी फिल्म को अवॉर्ड दिए जाने का विरोध किया था।
नेशनल अवॉर्ड्स के ज्यूरी मेंबर प्रवीण नायर ने भी ओनमनोरमा को दिए इंटरव्यू में साफ किया कि उन्होंने फिल्म द केरल स्टोरी को प्रोपेगैंडा फिल्म बताते हुए इसे अवॉर्ड दिए जाने का विरोध किया था, लेकिन बाकी ज्यूरी ने इसे पास कर दिया।

5 मई 2023 को रिलीज हुई द केरल स्टोरी को सुदिप्तो सेन ने डायरेक्ट किया है।
क्यों है द केरल स्टोरी पर विवाद?
फिल्म के ट्रेलर में दावा किया गया था कि केरल में 32,000 महिलाएं इस्लाम धर्म अपनाकर ISIS में शामिल हुईं। विवाद के बाद मेकर्स ने संख्या 32 हजार की बजाय 3 कर दी। फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह लव जिहाद कर लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाया जाता है।
इसे प्रोपेगैंडा फिल्म कहते हुए केरल सरकार ने इसका जमकर विरोध किया और कहा कि इससे राज्य की छवि खराब की जा रही है। केरल में फिल्म रिलीज पर रोक की मांग हुई, जिसके बाद मेकर्स को कई दिखाए गए तथ्यों को बदलना पड़ा और डिस्क्लेमर देना पड़ा। फिल्म पश्चिम बंगाल में भी बैन हुई थी। हालांकि फिल्ममेकर्स ने सुप्रीम कोर्ट में इसे चैलेंज किया और फिल्म बदलाव के साथ रिलीज की गई।

रानी मुखर्जी की जीत पर मलयाली एक्ट्रेस ने जताई आपत्ति
मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे के लिए रानी मुखर्जी को उनके करियर का पहला नेशनल अवॉर्ड मिला है। जबकि मलयाली एक्ट्रेस उर्वशी को फिल्म ओलूझक्कू के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला है।
1 अगस्त को विजेताओं की अनाउंसमेंट होने के बाद एक्ट्रेस उर्वशी ने इस पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने एशिया नेट को दिए इंटरव्यू में कहा कि रानी की जगह उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड मिलना चाहिए था।
एक्ट्रेस ने ये भी कहा कि सपोर्टिंग एक्टर का अवॉर्ड जीतने वाले विजय राघवन को शाहरुख की जगह बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिलना चाहिए था। एक्ट्रेस ने ज्यूरी के फैसले पर सवाल उठाए और कहा आखिर उन्हें किन पैरामीटर्स पर अवॉर्ड दिया गया। उर्वशी ने कहा कि इन अवॉर्ड्स में ट्रांसपेरेंसी की कमी है।



नेशनल फिल्म अवॉर्ड का इतिहास-
- नेशनल अवॉर्ड की शुरुआत 1954 में हुई।
- शुरुआत में इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय सिनेमा को प्रोत्साहित करना और अलग-अलग भाषाओं की बेहतरीन फिल्मों को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देना था।
- उस समय इसे “स्टेट अवॉर्ड फॉर फिल्म्स” (State Awards for Films) कहा जाता था।
- पहली बार यह पुरस्कार तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा दिया गया।
- पहली अवॉर्ड सेरेमनी में महज 3 कैटेगरी थीं, जिनमें बेस्ट फीचर फिल्म का अवॉर्ड श्यामची आई, बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म का अवॉर्ड महात्मा गांधी और बेस्ट चिल्ड्रन फिल्म का अवॉर्ड जागृति को दिया गया था।
- समय के साथ इसमें देशभर की अलग-अलग भाषाओं की फिल्मों के लिए कैटेगरी जोड़ी गईं।
- 1968 में इनका नाम बदलकर “नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स” कर दिया गया।

नेशनल अवॉर्ड से जुड़े ये इंट्रेस्टिंग फैक्ट्स और विवाद भी पढ़िए-
- 65वें नेशनल अवॉर्ड में 140 में से करीब 60 अवॉर्ड विजेताओं ने सेरेमनी का बहिष्कार किया था। दरअसल, नेशनल अवॉर्ड के नियम के अनुसार, देश के राष्ट्रपति ही सभी विजेताओं को सम्मानित करते आए हैं। हालांकि 65वीं सेरेमनी से पहले विजेताओं से कहा गया कि तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद महज 11 विजेताओं को अवॉर्ड देंगे और उसके बाद तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी अवॉर्ड बाटेंगी। ये जानते ही विजेताओं ने इसे अपमान मानते हुए सेरेमनी अटेंड करने से साफ इनकार कर दिया।
- 1970 में बेस्ट नॉन फीचर फिल्म कैटेगरी में किसी फिल्म को योग्य नहीं पाया गया, जिसके चलते किसी भी फिल्म को इस कैटेगरी में अवॉर्ड नहीं मिला।
- 54वें नेशनल अवॉर्ड में 5 कैटेगरी में अवॉर्ड नहीं दिए गए। ज्यूरी का मानना था कि उन्हें 5 कैटेगरी के लिए सूटेबल फिल्में ही नहीं मिलीं।
- साल 2000 तक मसाला फिल्मों को नेशनल अवॉर्ड नहीं दिए जाते थे, यही वजह रही कि अमिताभ बच्चन की ब्लॉकबस्टर फिल्म जंजीर को कोई अवॉर्ड नहीं दिया गया था।
- साल 2004 के लिए सैफ अली खान को फिल्म हम तुम के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला था। जबकि उसी साल शाहरुख खान की फिल्म स्वदेश रिलीज हुई थी। ऐसे में कई लोगों ने अवॉर्ड पर सवाल खड़े किए थे। एक अवॉर्ड सेरेमनी में शाहरुख ने खुद कहा था कि सैफ की जगह उन्हें स्वदेश के लिए नेशनल अवॉर्ड मिलना चाहिए था।
- शबाना आजमी सबसे ज्यादा 5 बेस्ट एक्ट्रेस के नेशनल अवॉर्ड जीतने वाली एक्ट्रेस हैं। उन्हें फिल्म अर्थ, कंधार, पार, गॉडमदर और फायर के लिए ये अवॉर्ड मिला है।
- अमिताभ बच्चन, कमल हासन के पास 4-4 बेस्ट एक्टर के अवॉर्ड हैं।
- ए.आर.रहमान के पास 6 बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन और एक साउंड डायरेक्शन के सबसे ज्यादा 7 नेशनल अवॉर्ड हैं।