मुंबई9 मिनट पहलेलेखक: वीरेंद्र मिश्र/अभिनव त्रिपाठी
- कॉपी लिंक
![इस बार रील टु रियल में हम देश के सबसे पुराने थिएटर्स में से एक पृथ्वी थिएटर के बारे में जानेंगे। - Dainik Bhaskar](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/07/02/comp-1-47_1719929044.gif)
इस बार रील टु रियल में हम देश के सबसे पुराने थिएटर्स में से एक पृथ्वी थिएटर के बारे में जानेंगे।
मुंबई के फेमस जुहू बीच के ठीक पीछे प्राइम लोकेशन पर स्थित पृथ्वी थिएटर। यह जगह थिएटर आर्टिस्ट के लिए मक्का से कम नहीं है। यहां हर वक्त कलाकारों का जमावड़ा रहता है। यहां हमेशा ड्रामा और प्ले होते रहते हैं। 190 सीटों की कैपेसिटी वाला यह थिएटर हफ्ते के 6 दिन हाउसफुल रहता है। यहां टिकटों का रेट भी बहुत सस्ता है, इसलिए थिएटर को ज्यादा कुछ कमाई नहीं हो पाती।
पृथ्वी थिएटर की नींव 1944 में भारतीय सिनेमा और रंगमंच के स्तंभकार कहे जाने वाले एक्टर पृथ्वीराज कपूर ने रखी थी। हालांकि इसे बिल्डिंग के तौर पर बनवाया उनके सबसे छोटे बेटे शशि कपूर ने। इस वक्त शशि कपूर के बेटे कुणाल कपूर इसका पूरा मैनेजमेंट देखते हैं। पृथ्वी थिएटर से जुड़े लोग बताते हैं कि अगर शशि कपूर की फैमिली चाहे तो इसे करोड़ों रुपए में बेच सकती है, लेकिन वे इसे बिजनेस के तौर पर नहीं देखते।
पृथ्वी थिएटर में कभी अनुराग कश्यप जैसे बड़े फिल्ममेकर छोटे-मोटे रोल किया करते थे। वे यहां कुर्सियों पर सोते और वेटर का काम भी करते थे।
रील टु रियल के नए एपिसोड में हम आइकॉनिक पृथ्वी थिएटर के बारे में जानेंगे-
![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/07/02/reel-to-real4_1719929186.jpg)
पृथ्वीराज कपूर ने रखी थिएटर की नींव, पैसे इकट्ठा करने के लिए झोली प्रथा की शुरुआत की
पृथ्वी थिएटर से कई दशकों से जुड़े थिएटर आर्टिस्ट और डायरेक्टर ओम कटारे ने कहा, ‘देश का हर छोटा-बड़ा कलाकार एक बार पृथ्वी थिएटर के मंच को जरूर छूना चाहता है। पृथ्वी थिएटर की परिकल्पना पृथ्वीराज कपूर साहब ने की थी। वो देश के हर कोने में घूम-घूम कर नाटक किया करते थे। इसके लिए उन्होंने झोली प्रथा भी शुरू की थी।
नाटक खत्म होने के बाद सारे कलाकार झोली फैलाकर खड़े हो जाते थे। वहां बैठे दर्शक अपनी स्वेच्छा से क्षमता अनुसार उसमें पैसे डालते थे। पृथ्वीराज कपूर फिर उन पैसों को कलाकारों में बांट देते थे। पृथ्वी थिएटर को एक बिल्डिंग के तौर पर उनके छोटे बेटे शशि कपूर ने तैयार करवाया था।’
इसे बेचकर करोड़ों रुपए कमाए जा सकते हैं, लेकिन कपूर फैमिली इसे बिजनेस के तौर पर नहीं देखती
शशि कपूर और उनकी वाइफ जेनिफर केंडल ने बड़ी श्रद्धा और मेहनत से पृथ्वी थिएटर को बनवाया था। ओम कटारे ने कहा, ‘आज जहां पृथ्वी थिएटर है, वो जमीन पृथ्वीराज कपूर ने छोटे बेटे शशि कपूर को दे दी थी।
शशि कपूर यहां चाहते तो होटल या रियल एस्टेट का कुछ काम कर सकते थे, लेकिन उन्होंने अपने पिता के नाम पर थिएटर बनाना ज्यादा सही समझा। शशि कपूर साहब कहते थे कि वो बिजनेस मैन नहीं बल्कि कला से जुड़े इंसान हैं, इसलिए कला को आगे बढ़ाना चाहते हैं। आज शशि कपूर साहब के बेटे कुणाल कपूर भी अपने पिता और दादा की विरासत की देखभाल कर रहे हैं।’
![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/07/03/_1719950239.jpg)
पृथ्वी थिएटर में प्ले करना है तो क्या करना होगा?
अगर किसी ड्रामा कंपनी को पृथ्वी थिएटर में प्ले करना है, तो पहले उन्हें एप्लिकेशन दाखिल करना पड़ेगा। अगर अथॉरिटी को लगता है कि सारे डिटेल्स ठीक हैं और वो प्ले पृथ्वी थिएटर में दिखाने लायक है, तब उन्हें एक डेट दी जाती है। डेट मिलने के बाद ड्रामा कंपनी को एक तय रेंट का भुगतान करना पड़ता है।
अनुराग कश्यप कभी पृथ्वी थिएटर में वेटर का काम करते थे
पृथ्वी थिएटर से जुड़े हुए एक और थिएटर आर्टिस्ट विकास ने कहा कि यहां अनुराग कश्यप जैसे बड़े डायरेक्टर कभी वेटर का काम करते थे। वो यहां कुर्सियों पर सोया करते थे। अनुराग फेमस एक्टर मकरंद देशपांडे के नाटक में सबसे लास्ट का रोल करते थे। ऐसे अनगिनत लोग हैं, जो पृथ्वी थिएटर से निकलकर आज टीवी और फिल्मों की दुनिया में बड़ा नाम बन चुके हैं।
![अनुराग कश्यप ने अपने करियर में गैंग्स ऑफ वासेपुर, मसान, ब्लैक फ्राइडे, रमन राघव 2.0 और देव डी जैसी फिल्मों का डायरेक्शन किया है।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/07/02/05184607-fdfa-43a8-a10b-fddab4f72e8e16147704101614_1719928465.jpg)
अनुराग कश्यप ने अपने करियर में गैंग्स ऑफ वासेपुर, मसान, ब्लैक फ्राइडे, रमन राघव 2.0 और देव डी जैसी फिल्मों का डायरेक्शन किया है।
थिएटर आर्ट को प्रोफेशन नहीं माना जाता, फ्री में शोज दिखाना सबसे नुकसानदायक
थिएटर आर्टिस्ट के लिए आज के वक्त में सबसे बड़ी चुनौती क्या है? ओम कटारे ने कहा, ‘सबसे बड़ी चुनौती तो पहचान बनाने की ही है। थिएटर आर्ट को आज भी लोग प्रोफेशन नहीं मानते। लोगों को लगता है कि ये तो सिर्फ शौक के लिए किया जा रहा है।
इसकी वजह यह है कि आज भी कई सारे थिएटर में फ्री में शोज दिखाए जाते हैं। जब अपने काम की एक वैल्यू नहीं रखी जाएगी तो फिर हम कैसे उम्मीद रख सकते हैं कि कोई हमारा सम्मान करेगा। इसीलिए मेरी देश की सभी थिएटर कंपनियों से अपील है कि फ्री में शोज न दिखाएं।’
![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/07/02/reel-to-real3_1719929095.jpg)
पृथ्वी थिएटर से आर्थिक फायदा बिल्कुल कम
विकास पृथ्वी थिएटर को एक्टिंग का मक्का मानते हैं। शशि कपूर ने जब इसकी शुरुआत की तो देश में गिनती के थिएटर थे। पृथ्वी थिएटर से शशि कपूर की फैमिली को कुछ खास आर्थिक फायदा नहीं होता। यहां सिर्फ 190 सीटों की कैपेसिटी है। टिकटों का रेट भी ज्यादा नहीं रखा जाता।
शशि कपूर और उनकी वाइफ जेनिफर ने एक चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया था। उसमें जो डोनेशन आता है, उसी से पृथ्वी थिएटर के मेंटेनेंस का काम होता है। अभी यहां पर एक कैफे खुल गया है। उससे जो इनकम होती है, वही एक तरह से सबसे बड़ा बेनिफिट है।
![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/07/03/unnamed-25_1719950907.jpg)
डायरेक्टर्स प्ले देखने आते थे और थिएटर से आर्टिस्ट उठाकर ले जाते थे
एक आर्टिस्ट के लिए थिएटर करना आज से 15-20 साल पहले बहुत जरूरी होता था। वे फिल्मों में आएंगे कि नहीं, यहीं से तय होता था। डायरेक्टर्स यहीं से उनकी प्रतिभा का आकलन करते थे। डायरेक्टर्स प्ले देखने आते थे, उन्हें जो भी एक्टर अच्छा परफॉर्म करते दिखता था, उसे अपनी फिल्म में कास्ट कर लेते थे। अब कास्टिंग डायरेक्टर्स के आने से थिएटर आर्टिस्ट की रिलेवेंसी थोड़ी खत्म हो गई है।
![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/07/02/reel-to-real6_1719929293.jpg)
पृथ्वी थिएटर की तरह कपूर फैमिली की एक और विरासत आरके स्टूडियो क्यों बेचनी पड़ी?
पृथ्वी थिएटर की तरह ही कपूर फैमिली के पास ‘आरके स्टूडियो’ भी एक संपत्ति के तौर पर था। हालांकि ऋषि कपूर ने भाइयों के साथ सलाह मशविरा कर इसे बेच दिया। जो पैसा मिला, उसे राज कपूर के तीनों बेटों में बांट दिया गया।
ओम कटारे कहते हैं, ‘आरके स्टूडियो को बेचना सही फैसला था। उसे मैनेज करने वाला कोई नहीं था। कर्मचारियों पर उसकी पूरी जिम्मेदारी छोड़ भी नहीं सकते थे। ऊपर से एक बार वहां भीषण आग भी लग चुकी थी। ऐसे में ऋषि कपूर ने अपने भाइयों रणधीर और राजीव के साथ मिलकर इसे बेचने का फैसला लिया।’
![राज कपूर ने 1948 में आरके स्टूडियो की स्थापना की थी। 2017 में आग लगने से आरके स्टूडियो का बड़ा हिस्सा जल गया था। इसके बाद ही कपूर फैमिली ने इसे बेचने का निर्णय लिया। इसका मालिकाना हक राज कपूर के तीनों बेटों रणधीर कपूर, ऋषि कपूर और राजीव कपूर के पास था।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/07/02/collage-2024-07-02t191608550_1719927986.jpg)
राज कपूर ने 1948 में आरके स्टूडियो की स्थापना की थी। 2017 में आग लगने से आरके स्टूडियो का बड़ा हिस्सा जल गया था। इसके बाद ही कपूर फैमिली ने इसे बेचने का निर्णय लिया। इसका मालिकाना हक राज कपूर के तीनों बेटों रणधीर कपूर, ऋषि कपूर और राजीव कपूर के पास था।
ओम कटारे ने कहा कि पृथ्वी थिएटर इसलिए बचा हुआ है क्योंकि इसे शशि कपूर के बेटे कुणाल कपूर खुद मैनेज करते हैं। वे अक्सर यहां आया करते हैं, स्टाफ के साथ मीटिंग करते हैं। वे खुद इन्वॉल्व होते हैं, इसलिए पृथ्वी थिएटर आज भी बचा हुआ है।’