मुंबई16 मिनट पहलेलेखक: किरण जैन और अभिनव त्रिपाठी
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रील टु रियल के नए एपिसोड के लिए दैनिक भास्कर की टीम मुंबई के धारावी पहुंची।
एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी का बॉलीवुड कनेक्शन। यहां अग्निपथ, गली बॉय, स्लमडॉग मिलेनियर, मुंबई मेरी जान, धोबी घाट, हसीना पारकर, रमन एंड राघव और बॉम्बे टॉकीज समेत 150 से ज्यादा फिल्मों की शूटिंग हुई है। जब रणवीर सिंह को पता चला कि उन्हें फिल्म गली बॉय के लिए धारावी जाकर शूट करना पड़ेगा तो वे दुविधा में पड़ गए। यहां की झुग्गी बस्तियों में शूट करने से वे कतरा रहे थे।
यहां शूटिंग देखने के लिए भारी भीड़ इकट्ठा हो जाती है, उन्हें रोकने के लिए सिक्योरिटी गार्ड्स नहीं बल्कि यहां के स्थानीय लोगों से मदद लेनी पड़ती है। रात के वक्त यहां कोई भी सिक्योरिटी गार्ड पहरा देने से डरता है। यहां के लोकल्स न चाहें तो एक फिल्म भी शूट नहीं हो पाएगी। उनका सहयोग बहुत जरूरी है।
रील टु रियल के नए एपिसोड के लिए दैनिक भास्कर की टीम मुंबई के धारावी पहुंची, वहां हमने इन पॉइंट्स पर बात की..
- यहां फिल्में शूट करने का प्रोसेस क्या होता है?
- एक्टर्स यहां आने से क्यों कतराते हैं?
- यहां के लोकल्स कैसे इन्वॉल्व होते हैं?
- फिल्में शूट होने से यहां के लोगों को फायदा कैसे मिलता है?
हमने इसके लिए दो लोकेशन मैनेजर अरुण, राजा और यहां 40 साल से एक्टिंग क्लासेज चला रहे बाबूराव लाड से बात की।
धारावी की अलग-अलग जगहों पर लोकेशन खोजी जाती है
लोकेशन मैनेजर अरुण बताते हैं, ‘शूटिंग शुरू होने से पहले हमें फिल्म की स्क्रिप्ट मिलती है। उसी के मुताबिक शूटिंग लोकेशन की तलाश की जाती है। इसमें काफी वक्त लगता है। धारावी की अलग-अलग जगहों पर जाकर लोकेशन सर्च करनी पड़ती है।
कुछ दिन रेकी करने और 3-4 जगह शॉर्ट लिस्ट करने के बाद हम डायरेक्टर को उन शूटिंग लोकेशंस के बारे में बताते हैं। फिर टीम उसे देखने जाती है। जो लोकेशन लॉक होती है, वहां शूटिंग के लिए लोकल पुलिस और BMC (बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन) से परमिशन लेते हैं। इसके बाद आगे का काम शुरू कर देते हैं।’
लोकेशन मैनेजर उस शख्स को कहते हैं, जो किसी पर्टिकुलर जगह पर फिल्म मेकर्स को शूटिंग के लिए लोकेशन मुहैया कराते हैं। इसके लिए इनकी एक टीम भी रहती है। अरुण ऐसी ही AK क्रिएशन नाम की एक टीम चलाते हैं। 10 लोगों की ये टीम फिल्मों के सीन्स के हिसाब से धारावी में लोकेशन प्रोवाइड कराती है।
धारावी जैसी जगह पर एक्टर्स काम नहीं करना चाहते
अरुण ने यह भी बताया कि इन जगहों पर शूटिंग करने के लिए एक्टर्स को मनाना सबसे कठिन काम होता है। उन्होंने कहा, ‘फिल्म गली बॉय के वक्त रणवीर सिंह यहां शूटिंग नहीं करना चाहते थे। उन्हें डर था कि यहां के लोग उनके साथ सलीके से पेश नहीं आएंगे।
ऐसे में हमने प्रोडक्शन टीम के साथ मिलकर उनसे बात की। उन्हें आश्वासन दिलाया कि यहां शूटिंग करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। तब जाकर रणवीर शूटिंग के लिए तैयार हुए। शूटिंग खत्म होते-होते वे धारावी के लोगों से काफी मिलनसार हो गए थे।’
एक्टर्स के रहने के लिए यहां होटल की व्यवस्था नहीं, क्रू मेंबर्स टेंट लगाकर रहते हैं
धारावी में एक्टर्स के लिए रुकने या ठहरने के लिए किसी घर या होटल की व्यवस्था नहीं है। सभी एक्टर्स अपनी वैनिटी वैन का इस्तेमाल करते हैं। दूसरी तरफ क्रू मेंबर्स के लिए टेंट का इंतजाम किया जाता है।
इसके अलावा एक्टर्स और क्रू मेंबर्स के खाने की व्यवस्था प्रोडक्शन टीम देखती है। वहीं अगर कभी किसी एक्टर को स्पेशल डिशेज खाने का मन करता है, तो अरुण की टीम वो खाना प्रोवाइड कराती है।
धारावी की एक गली कई फिल्ममेकर्स की पहली पसंद
धारावी में एक गली का नाम है मक्का चॉल। इस गली को कई फिल्मों में दिखाया गया है। अरुण ने बताया कि इस गली में गली बॉय और लव सोनिया जैसी फिल्मों की शूटिंग हुई है। साथ ही यहां पर डांस इंडिया डांस जैसे रियलिटी शोज के प्रमोशनल वीडियोज भी शूट हुए हैं। रजनीकांत की फिल्म काला के कुछ सीन्स की शूटिंग भी यहीं हुई है।
फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर के बाद धारावी में शूटिंग बढ़ी
अरुण का कहना है कि ऑस्कर विनिंग फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर की शूटिंग के बाद धारावी में बड़े स्केल पर फिल्में बनने लगीं। शुरुआत में यहां एक्टर्स का आना लोकल लोगों के लिए बड़ी बात थी। वे लोग फिल्मी सितारों को देख बेकाबू हो जाते थे। हालांकि पिछले कुछ सालों में ये सारी चीजें बदल गई हैं। अब लोकल्स के लिए एक्टर्स को देखना नॉर्मल बात हो गई है। हालांकि बड़े एक्टर्स के लिए अभी भी ऐसा नहीं कहा जा सकता।
रात में पहरा देने से डरते हैं सिक्योरिटी गार्ड्स, सेट की सुरक्षा के लिए लोकल लोगों से मदद लेनी पड़ती है
रात में फिल्में शूट होने से यहां के लोकल्स को पैसे कमाने का एक जरिया मिल जाता है। बाहर के सिक्योरिटी गार्ड्स और बाउंसर्स यहां आने से डरते हैं, इसलिए रात में सेट की सुरक्षा के लिए यहां के लोकल लड़कों की मदद ली जाती है। वे रात भर जागकर सेट की सुरक्षा करते हैं।
लोकेशन मैनेजर राजा सेल्वम ने बताया, ‘धारावी में कभी भी कुछ भी हो सकता है। दिन में तो ठीक है, लेकिन रात में यहां बाहर के सिक्योरिटी गार्ड्स भी पहरा देने से डरते हैं। इसी वजह से हम यहां के मजबूत दिखने वाले लोकल लड़कों से मदद लेते हैं। बदले में हर दिन के हिसाब से उन्हें पैसे दिए जाते हैं।
इसके अलावा सेट पर अगर बिजली संबंधी कोई समस्या होती है, तो यहीं के इलेक्ट्रीशियंस को बुलाया जाता है। इसके अलावा सेट की साफ-सफाई करने के लिए भी लोकल लोग ही आते हैं। इन सभी को डेली के हिसाब से पैसे दिए जाते हैं।’
गलियां इतनी पतली कि कैमरा नहीं जा पाता
अमिताभ बच्चन का भी धारावी से खास संबंध रहा है। उनकी 1990 में रिलीज फिल्म अग्निपथ की शूटिंग धारावी में हुई थी। इसके अलावा उनकी एक और फिल्म भूतनाथ रिटर्न्स की भी शूटिंग धारावी में ही हुई थी।
भूतनाथ रिटर्न्स की शूटिंग के वक्त काफी चैलेंजेस आए थे। गलियां इतनी पतली थीं कि बड़े-बड़े कैमरे उसके अंदर नहीं जा पाते थे। कैमरे को रस्सियों के सहारे छतों पर खींचा जाता था, फिर बांस की सीढ़ी लगाकर कैमरामैन ऊपर जाते थे, फिर शूटिंग होती थी।
शूटिंग लोकेशन पर महिला की मौत हुई, जगह खाली हो, इसलिए वहां के लोगों ने जल्दी अर्थी उठवा दी
लोकेशन मैनेजर राजा के मुताबिक, धारावी के लोग काफी ज्यादा कोऑपरेटिव भी हैं। एक बार यहां फरहान अख्तर की फिल्म तूफान की शूटिंग चल रही थी। एक गली थी, जिसमें फिल्म का एक सीक्वेंस शूट होना था। जिस दिन शूटिंग होनी थी, उसी दिन वहां रहने वाली एक औरत की डेथ हो गई।
आस-पास बहुत सारे लोग जुट गए। प्रोडक्शन वालों को किसी भी कीमत पर उसी दिन फिल्म का वो हिस्सा शूट करना था। हालांकि वे कर भी कुछ नहीं सकते थे। जब मृत महिला के घर वालों ने प्रोडक्शन टीम को परेशान देखा तो उन्होंने जल्दी से अर्थी को उठवाकर वो जगह खाली कर दी।
धारावी के बच्चों को 40 साल से फ्री में एक्टिंग सिखा रहा एक शख्स
धारावी में बाबूराव लाड नाम से एक एक्टिंग कोच भी हैं। वे पिछले 40 साल से यहां एक्टिंग क्लास चला रहे हैं। उन्होंने बताया कि दूर-दूर से लोग उनसे एक्टिंग सीखने आते हैं। बाकी सभी लोगों से वे एक्टिंग फीस चार्ज करते हैं, लेकिन धारावी के बच्चों को पिछले 40 साल से फ्री में एक्टिंग सिखाते आ रहे हैं। उनके स्टूडेंट्स में कुछ तो बहुत आगे निकल गए हैं। कभी झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले उनके वे स्टूडेंट्स आज आलीशान घरों में रह रहे हैं।
बाबूराव ने अब तक 85 देशों के 350 स्टूडेंट्स को एक्टिंग सिखाई है। यूट्यूब पर उनके 11 चैनल हैं, जिनमें से एक चैनल का नाम फिल्म दुनिया 86M है। इस चैनल में 1600 से ज्यादा वीडियोज हैं, जिनसे बच्चे फ्री में एक्टिंग सीख सकते हैं। एक्टिंग पर उन्होंने 550 पेज की एक किताब भी लिखी है।
मौजूदा समय में बाबूराव बतौर कास्टिंग डायरेक्टर काम करते हैं। इससे पहले वे आर्टिस्ट सप्लायर थे, इसके बाद आर्टिस्ट एजेंट बने। उन्होंने बताया कि वे फिल्मों की कहानी के हिसाब से नवजात शिशु से लेकर बुजुर्ग लोगों तक की सप्लाई साइड रोल के लिए करते हैं।