मध्यप्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों से 12वीं की परीक्षा पास करने वाले टॉपर्स को लैपटॉप और स्कूटी देने की घोषणा की थी। लैपटॉप योजना के लिए 89 हजार से ज्यादा तो स्कूटी के लिए 8 हजार से ज्यादा टॉपर्स को योजना का फायदा मिलना था, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि
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हमने इसी मुद्दे पर स्टूडेंट्स से बात की और इस योजना पर आने वाले खर्च का लेखा-जोखा देखा, आखिर क्यों सरकार इन योजनाओं को बंद करने के संकेत दे रही है…
पढ़िए ये रिपोर्ट-
विदिशा के लटेरी ब्लॉक की हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाली रोशनी ने पिछले सत्र के दौरान 12वीं में 87.20 प्रतिशत के साथ टॉप किया था। रोशनी बघेल बताती हैं कि मेरे घर में कोई वाहन नहीं है। जब मैं 11वी कक्षा में पढ़ती थी, तब मेरे सीनियर को स्कूल में टॉप करने पर स्कूटी मिली थी। मैंने तभी सोच लिया था कि 12वीं में टॉप करूंगी और पापा को स्कूटी गिफ्ट करूंगी।
मेरे पापा मजदूरी करते हैं। 12वीं का रिजल्ट आया तो घर में सब बहुत खुश थे कि अब घर में स्कूटी आएगी, लेकिन अभी तक स्कूटी नहीं मिली है।
अब स्कूटी देने की बात भी नहीं करते सिरोंज की सोनिका ठाकुर आर्ट्स में 89 प्रतिशत अंकों के साथ स्कूल टॉपर बनीं। सोनिका ने कहा कि मेरे पापा किसान हैं। 5 साल से हम लोग नया वाहन लेने की सोच रहे हैं, लेकिन उतने रूपए कभी थे ही नहीं। मैंने 12वीं में बहुत मन लगा के पढ़ाई की थी। रिजल्ट आने से पहले बहुत प्राथनाएं की थीं, जब रिजल्ट आया तो घरवालों की खुशी का ठीकाना नहीं था।
सरकार ने नियम बनाया था, लेकिन अब वे स्कूटी देने की बात भी नहीं करते हैं। मैंने पिछले टॉपर से भी ज्यादा परसेंट हासिल किए थे, लेकिन मुझे स्कूटी नहीं मिल रही है।
झूठी उम्मीदें नहीं दे सरकार सिरोंज के नमन गोस्वामी 91 फीसदी अंक हासिल कर टॉपर बने थे। नमन का कहना है- मेरे पिताजी इस दुनिया में नहीं हैं। मेरी और दोनों बहनों की परवरिश मां ने ही की है। वे कलेक्टर ऑफिस में साफ – सफाई का काम करती हैं। पिछले साल पैसों की तंगी के कारण पिताजी की पुरानी बाइक बेची थी। तब मैंने सोचा था कि जमकर पढ़ाई करनी है और अपने बैच में टॉप करना है। टॉप करने वाले बच्चों को स्कूटी देने की स्कीम थी। मेरे लिए स्कूटी घर में खुशियां लाने का एक जरिया थी।
मां ने हमारे लिए पापा की बाइक बेची थी। उन्हें नई स्कूटी की चाबी देना मेरे लिए गर्व का पल होता। मैं कहना चाहता हूं कि सरकार को स्कूटी देनी है तो दे, नहीं देनी तो नहीं दे, लेकिन झूठी उम्मीद नहीं देनी चाहिए।
नमन कहते हैं सरकारी स्कूल के बच्चे बहुत कठिनाइयों से पढ़ पाते हैं। पहले तो 75% लाने पर लैपटॉप मिल जाता था, लेकिन इस बार तो स्कूल टॉप करने पर भी कुछ नहीं मिला। जबकि शिवराज जी ने कहा था कि टॉप तीन को स्कूटी देंगे।
कुछ दिनों पहले भास्कर के सवाल पर सीएम ने क्या कहा था-
भास्कर का सवाल- सरकार कहती है बजट की कोई कमी नहीं है, तो फिर बच्चों को लैपटॉप और स्कूटी क्यों नहीं मिल पा रही?
सीएम का जवाब- कुछ योजना एक साल के लिए थी, इसलिए उसको लगातार देते रहना ये गलत है। कुछ योजना लगातार चलने वाली है वो चलती रहेगी, जो योजना एक साल के लिए थी वो लगातार कैसे करेंगे।
जानिए, योजना का असर कितने बच्चों पर स्कूटी का इंतजार सिर्फ तीन स्कूलों के ये तीन टाॅपर ही नहीं कर रहे हैं, इंतजार मध्यप्रदेश की 4 हजार 800 से ज्यादा सरकारी स्कूलों के 8 हजार से ज्यादा बच्चे कर रहे हैं। इसके अलावा 90 हजार से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने 12वीं में 75% से ज्यादा नंबर हासिल किए हैं और इन्हें लैपटॉप योजना के तहत 25 हजार रूपए की राशि मिलनी चाहिए थी। लेकिन ये छात्र भी लैपटॉप मिलने का इंतजार ही कर रहे हैं। मध्यप्रदेश में 2010 में एमपी बोर्ड लैपटॉप योजना शुरू की गई थी।
क्यों ये संभावना है कि लैपटॉप मिलेंगे लेकिन स्कूटी नहीं सरकार ने अपने छह महीने पूरे होने पर अपनी उपलब्धियों को विस्तार से बताया। 11 जून 2024 को सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि 12वीं में जिन छात्र-छात्राओं ने 75 फीसदी से ज्यादा अंक हासिल किए हैं उन्हें सरकार लैपटॉप देगी।
इसको लेकर जिला स्तर तक पत्राचार भी लगातार किया गया है लेकिन स्कूटी को लेकर सरकार की ओर से ऐसी कोई बात नहीं की गई जिससे लगे कि स्कूटी योजना भी जारी रहेगी। इसके ठीक उल्टे सरकार ने कहा है कि जो योजना साल भर की थी उसे नहीं चलाया जाएगा।
इसलिए इस बात की संभावना है कि देर सवेर टाॅपर्स को लैपटॉप तो मिल सकते हैं लेकिन स्कूटी नहीं। हालांकि लैपटॉप कब तक मिलेंगे अफसर ये बताने को तैयार नहीं हैं। सूत्रों की मानें तो वित्त विभाग के पास इसका बजट तो है लेकिन फिलहाल वहां से इसकी मंजूरी नहीं मिली है।
जानिए, आखिर स्कूटी देने में क्या अड़चन आ रही सरकार की योजना के तहत 12वीं में स्कूल में टॉप करने वाले एक-एक छात्र और छात्रा को स्कूटी दिया जाना है। पिछले साल सरकार ने 7,790 छात्रों को स्कूटी दी थी। पिछले साल 4,806 छात्रों ने पेट्रोल से चलने वाली और 2,984 छात्रों ने ई स्कूटी का चयन किया था। सरकार ने पेट्रोल स्कूटी के लिए 90 हजार रुपए और ई स्कूटी के लिए 1 लाख 20 हजार रुपए प्रति छात्र राशि स्वीकृत की थी। इस तरह से कुल 7,790 छात्रों को 79 करोड़ रुपए राशि दी गई थी।
लेकिन इस योजना को लेकर डॉ. मोहन सरकार के सामने संकट यह है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा चुनाव से पहले कहा था- टॉप थ्री रैंकर्स यानी स्कूल में पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वाले तीन लड़के और तीन लड़कियों को स्कूटी मिलेगी।
एमपी बोर्ड के रिजल्ट के मुताबिक ऐसे करीब 25,368 टॉपर्स हैं, जो इस क्राइटेरिया में शामिल होते हैं। अब एक स्कूटी की औसत कीमत 1 लाख रु. मानी जाए तो 25 हजार छात्रों को स्कूटी देने के लिए 250 करोड़ रु. का बजट चाहिए। शिवराज के दोनों वादे पर मोहन यादव सरकार को अमल करना पड़ा तो उसे 983 करोड़ रु. खर्च करना पड़ेंगे। यही सबसे बड़ी अड़चन है, क्योंकि सरकार का भारी बजट लाडली बहना योजना में लग रहा है।
पिछले साल मिली थी लैपटॉप की राशि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 12वीं में 75 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाले विद्यार्थियों को लैपटॉप की राशि दी जाती है। पिछले साल मप्र बोर्ड के बारहवीं में 75% से अधिक अंक प्राप्त करने वाले 78,641 विद्यार्थियों को लैपटॉप खरीदने के लिए राशि दी गई थी। इस बार 12वीं परीक्षा में 75% से अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या 90 हजार के आसपास है। यह संख्या पिछले साल की तुलना में लगभग 12 हजार ज्यादा है। इस बार विद्यार्थियों के लैपटॉप के लिए करीब 225 करोड़ रुपए खर्च होने हैं।
2024 वाले बच्चों को लैपटॉप राशि मिलने की उम्मीद कायम विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ये योजना 13 साल से चल रही है। इसके बंद होने की उम्मीद नहीं है। विभाग के पास बजट का भी कोई इश्यू नहीं है। हमने जिलों से विद्यार्थियों की सारी जानकारी इकट्ठा कर ली है। ये बात भी सही है कि अगस्त के अंत तक हर साल राशि बच्चों के खातों में डाल दी जाती थी। इससे जुड़े सवाल के जवाब में सीएम ने कहा था कि ये सालों से चलने वाली योजना है, जारी रहेगी।
स्कूटी योजना के संचालन में क्या दिक्कत
- विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 12वीं पास कर बच्चा लोकशिक्षण विभाग से निकलकर उच्च शिक्षा के पास चला जाता है, इसलिए उसके लिए इतने पैसे देना व्यर्थ है।
- इस योजना के क्रियान्वयन के लिए बजट कोई इश्यू नहीं है। इसके लिए सालाना 90 करोड़ रूपए चाहिए जो विभाग के लिहाज से बड़ी बात नहीं है।
- स्कूटी योजना के लिए पात्रता सिर्फ स्कूल टॉप करना है। इसमें समस्या यह थी कि कोई टॉपर 95% भी ला रहा है तो किसी स्कूल में 40 प्रतिशत के साथ टॉप करने वाले को भी स्कूटी देनी पड़ी थी।
- किसी स्कूल में 98 परसेंट वाला भी पात्र नहीं है क्योंकि उस स्कूल में उससे ज्यादा किसी के नबंर आए हैं वहीं दूसरी ओर 40 परसेंट वाले टॉपर को स्कूटी देनी पड़ रही है।
- लगभग 7990 टॉपर्स को स्कूटी और लैपटॉप दोनों दी गई थी।
- यानी इसके लिए कोई नियम और शर्ते नहीं बनाई गई।