More than 50% of cybercrime criminals are graduates | साइबर क्राइम के 50% से ज्यादा अपराधी ग्रेजुएट: एमपी में 40 लाख बेरोजगार, 5 साल में 22.5% बढ़े; क्या यही क्राइम की बड़ी वजह

18 जून को भोपाल की साइबर क्राइम पुलिस ने निवाड़ी से आशीष यादव नाम के एक युवक को गिरफ्तार किया। आशीष अपने गैंग के साथ मिलकर सस्ते आईफोन बेचने के नाम पर 100 से ज्यादा लोगों के साथ फ्रॉड कर चुका था। उसने भोपाल की एक युवती के साथ ऐसा ही फ्रॉड किया, जिसकी

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आशीष की गिरफ्तारी के साथ उसकी लग्जरी लाइफ का भी खुलासा हुआ। वह फॉर्चुनर गाड़ी का शौकीन था। उसके सोशल मीडिया अकाउंट से पता चला कि वह प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड रखता था। कई क्रिकेटर और नेताओं के साथ उसने सोशल मीडिया पर तस्वीरें पोस्ट की हैं।

आशीष यादव टीकमगढ़ का रहने वाला है और पिछले कुछ सालों से दिल्ली के साउथ एक्सटेंशन में रह रहा था। एक साल पहले उसने वहीं धोखाधड़ी के इस तरीके को सीखा था। पुलिस ने उससे पूछताछ की तो पता चला कि वह ग्रेजुएट है। नौकरी करने के बजाय उसने जल्दी और ज्यादा पैसा कमाने के लिए फ्रॉड के इस तरीके को अपनाया था।

केवल यही एक मामला नहीं है। इसी साल जनवरी से लेकर अब तक भोपाल साइबर क्राइम ब्रांच में फ्रॉड की कई शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें से 51 मामलों में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की। इनमें जितने आरोपी पकड़े गए, उनमें से 50 फीसदी आरोपी ग्रेजुएट हैं।

आखिर साइबर क्राइम में पढ़े-लिखे युवाओं की संख्या क्यों बढ़ रही है? इन आंकड़ों का क्या एमपी में बढ़ती बेरोजगारी के आंकड़ों से कुछ संबंध है? इसे लेकर दैनिक भास्कर ने एक्सपर्ट से बात की। एक्सपर्ट के मुताबिक, बेरोजगारी और क्राइम का सीधा संबंध है। ज्यादा पैसा कमाने की चाह और लाइफ स्टाइल मेंटेन करने के लिए भी युवा साइबर फ्रॉड को अंजाम दे रहे हैं। पढ़िए रिपोर्ट…

आशीष यादव को साइबर फ्रॉड के मामले में पुलिस ने 18 जून को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी से पहले वह लग्जरी गाड़ियों में घूमने का शौकीन था। इसी फ्रॉड से उसने पैसा कमाया।

आशीष यादव को साइबर फ्रॉड के मामले में पुलिस ने 18 जून को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी से पहले वह लग्जरी गाड़ियों में घूमने का शौकीन था। इसी फ्रॉड से उसने पैसा कमाया।

इन दो बड़े मामलों से समझिए, ग्रेजुएट कैसे साइबर फ्रॉड कर रहे…

फर्जी ट्रेडिंग वेबसाइट बनाकर 120 लोगों को ठगा

ये मामला इंदौर का है। क्राइम ब्रांच को शिकायत मिली थी कि इंदौर से ऑक्टा ट्रेडिंग के नाम से एक फर्जी वेबसाइट संचालित हो रही है। इसके जरिए शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने वाले ग्राहकों का नंबर ऑनलाइन हासिल कर उनके साथ फ्रॉड किया जा रहा है।

ट्रेडिंग करने वालों को विदेशी करेंसी में इन्वेस्टमेंट कर ज्यादा मुनाफे का लालच दिया जाता था। पुलिस ने जब इंदौर में छापा मारा तो निपानिया के रहने वाले 19 साल के आयुष ठाकुर और 21 साल के नितिन ठाकुर और पृथ्वी सिंह को गिरफ्तार किया। नितिन और पृथ्वी दोनों ग्रेजुएट हैं।

आयुष और नितिन ग्राहकों को कॉल करके संपर्क करते थे। उन्हें फर्जी वेबसाइट पर डीमैट अकाउंट खोलने और इन्वेस्टमेंट के नाम पर रुपए खाते में डालने का काम करते थे। पृथ्वी सिंह वेबसाइट के मेंटेनेंस का काम देखता था।

क्राइम ब्रांच की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे शेयर मार्केट की वेबसाइट से ट्रेडिंग करने वालों के नंबर निकालते थे। ऑनलाइन विदेशी करेंसी में बल्क ट्रेडिंग करने के नाम पर उनका ऑक्टा ट्रेडिंग वेबसाइट पर डीमैट अकाउंट खुलवाते थे। इसके बाद इसी वेबसाइट पर फर्जी मुनाफा ग्राहक के वॉलेट में दिखाया जाता था।

इंस्टाग्राम पेज के जरिए सस्ते दामों में आईफोन बेचने का झांसा

18 जून को भोपाल की रहने वाली एक युवती ने भोपाल साइबर क्राइम को शिकायत की थी कि उसने इंस्टाग्राम पर इंटीग्रेटी मोबाइल नाम के पेज पर आईफोन का एक विज्ञापन देखा। जिसमें सस्ते दामों पर आईफोन दिया जा रहा था। युवती ने एक मोबाइल बुक किया।

इसके बाद वॉट्सऐप के जरिए युवती से बुकिंग अमाउंट के साथ कस्टम ड्यूटी और रीफंड के नाम पर 1 लाख 90 हजार ठग लिए। पुलिस ने इन्वेस्टिगेशन किया तो पता चला कि निवाड़ी जिले से पूरा सिस्टम ऑपरेट किया जा रहा था। इस धोखधड़ी को अंजाम देने वाला सरगना आशीष यादव दिल्ली में रहता है। पुलिस ने आशीष यादव को दिल्ली से और उसके गैंग के बाकी सदस्यों को निवाड़ी से गिरफ्तार किया।

पूछताछ में पता चला कि गिरोह के सभी सदस्यों का काम बंटा हुआ था। आशीष यादव इंस्टाग्राम पर विज्ञापन देने का काम करता था। फर्जी बिल वो ही तैयार करता था। अंकित नामदेव का काम फर्जी खाते खुलवाना था। पकड़े गए आरोपियों में से 3 ग्रेजुएट हैं।

आरोपी सोशल मीडिया पर बनाए पेज पर इस तरह मोबाइल फोन के वीडियो अपलोड कर लोगों को फंसाते थे।

आरोपी सोशल मीडिया पर बनाए पेज पर इस तरह मोबाइल फोन के वीडियो अपलोड कर लोगों को फंसाते थे।

अब जानिए, एमपी में क्या है बेरोजगारी की स्थिति

पिछले पांच साल में एमपी में 22.25% बढ़े बेरोजगार

मध्यप्रदेश में पिछले 5 सालों में बेरोजगारों की संख्या 22.25 प्रतिशत बढ़ गई है। इसकी जानकारी सरकार ने 8 फरवरी 2024 को विधानसभा में विधायक रामनिवास रावत( अब बीजेपी में) के पूछे सवाल के जवाब में दी।

विधायक ने सवाल पूछा था कि मार्च 2019 में प्रदेश के रोजगार कार्यालयों में कितने शिक्षित और अशिक्षित बेरोजगार पंजीकृत थे और जनवरी 2024 की स्थिति में प्रदेश में कुल कितने शिक्षित और अशिक्षित बेरोजगार पंजीकृत हैं। इस सवाल के जवाब में तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार मंत्री गौतम टेटवाल ने बताया कि प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

सरकार ने बताया कि एमपी में रोजगार पोर्टल पर 32 लाख 31 हजार 562 शिक्षित और 47 हजार 157 अशिक्षित पंजीकृत बेरोजगार दर्ज हैं। जबकि 2019 में ये आंकड़ा करीब 26 लाख था।

एमपी में पिछले पांच साल में 3.17 लाख को मिला रोजगार

विधानसभा में कौशल विकास एवं रोजगार मंत्री ने बताया कि पिछले पांच सालों में प्रदेश के निजी क्षेत्र में 3 लाख 17 हजार 261 युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए। साल 2023 में 43 हजार लोगों को रोजगार मिला, जिसमें 36 हजार 388 पुरूष और 6 हजार 661 युवतियों को रोजगार मिला।

सरकार ने बताया कि प्रदेश में बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता के संबंध में विभाग की कोई योजना नहीं है।

अब जानिए, क्या है क्राइम और बेरोजगारी के आंकड़ों के बीच रिलेशन

इसे समझने के लिए भास्कर ने दो रिटायर्ड डीजीपी और मनोचिकित्सक से बात की। मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि आजकल के युवाओं में एक दूसरे से तुलना करने की भावना पैदा हो गई है। वह अपने आसपास के दोस्तों को लग्जरी गाड़ियां घूमते देखते हैं।

महंगे स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हुए देखते हैं। उनकी ऐश-ओ-आराम की जिंदगी देखकर युवाओं में हताशा और कुंठा भर जाती है। वह खुद को असुरक्षित महसूस करने लगते हैं। बराबरी करने के लिए वे असामान्य तरीके खोजते हैं।

इंटरनेट, सोशल मीडिया, वेब सीरीज और फिल्मों के जरिए उन्हें आसान तरीके से पैसा कमाने के आइडिया मिलते हैं। वे कहते हैं कि ऐसी मानसिकता के लोगों को आर्थिक फायदे के साथ एक किक मिलती है। उन्हें लगता है कि वह सक्सेस हो जाएंगे। कानून को चकमा दे देंगे, मगर ये उनकी गलतफहमी होती है।

ग्रेजुएट होना काबिलियत की निशानी नहीं

क्राइम ब्रांच भोपाल के एडिशनल डीसीपी शैलेंद्र कुमार चौहान कहते हैं कि ग्रेजुएट होना या कॉलेज जाकर पढ़ाई करना किसी की काबिलियत की निशानी नहीं मानी जा सकती। अगर आपने पढ़ाई अच्छे से नहीं की है तो आपको आगे भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

कई बार युवा गलत तरीके से भी डिग्री हासिल करते हैं। डिग्री हासिल करने वाला काबिल नहीं माना जा सकता। जो काबिल होता है उसे जॉब की परेशानी नहीं होती।

पूर्व डीजीपी ने कहा- अपराध और बेरोजगारी का गहरा संबंध

दैनिक भास्कर ने बढ़ती बेरोजगारी और साइबर क्राइम के कनेक्शन को समझने के लिए प्रदेश के दो रिटायर्ड डीजीपी से संपर्क किया। रिटायर्ड डीजीपी एनके त्रिपाठी ने कहा कि युवाओं की बेरोजगारी और अपराध का गहरा संबंध है।

अभी ऐसे कई केस सामने आ रहे हैं, जब नौकरी न मिलने से हताश युवा अपराध की राह पर बढ़ रहे हैं। लेकिन इसका ये मतलब भी नहीं है कि रोजगार मिल जाएंगे तो अपराध बंद हो जाएंगे। वहीं रिटायर्ड डीजीपी एससी राउत कहते हैं कि बढ़ते साइबर क्राइम और बेरोजगारी के कनेक्शन को बहुत पुख्ता तरीके से कहने के लिए हमें पूरे डेटा का विश्लेषण करना होगा।

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