नई दिल्ली54 मिनट पहले
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मंकीपॉक्स चेचक जैसी एक वायरल बीमारी है। इसके चलते फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं। शरीर पर मवाद से भरे घाव हो जाते हैं।
केंद्र सरकार ने दुनिया भर में मंकीपॉक्स (Mpox) के बढ़ते मामलों के बीच देश के सभी पोर्ट, एयरपोर्ट के साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश से सटे बॉर्डर पर अलर्ट जारी किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अधिकारियों को बाहर से आने वाले यात्रियों में मंकीपॉक्स के लक्षणों को लेकर सतर्क रहने के लिए कहा है।
ऑफिशियल सूत्रों ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली में केंद्र के तीन बड़े अस्पतालों- राम मनोहर लोहिया, सफदरजंग और लेडी हार्डिंग में नोडल सेंटर्स बनाए हैं। इन अस्पतालों में मंकीपॉक्स के मरीजों के इलाज और देखभाल के लिए आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं।
केंद्र ने सभी राज्य सरकारों को भी उनके राज्य के अस्पतालों में मंकीपॉक्स के मरीजों के लिए जरूरी व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। भारत में अभी मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है। अधिकारियों ने बताया कि अभी तक के आकलन के मुताबिक, मंकीपॉक्स के बड़े पैमाने पर फैलने का खतरा कम है।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चौथा केस मिला
दूसरी तरफ, पड़ोसी देश पाकिस्तान में मंकीपॉक्स के अब तक 4 मामले सामने आ गए हैं। सोमवार (19 अगस्त) को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में एक संदिग्ध मामला सामने आया। 47 साल का व्यक्ति हाल ही में सऊदी अरब से पाकिस्तान लौटा है।
उसे इस्लामाबाद के पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (PIMS) में भर्ती कराया गया है। इससे पहले, पाकिस्तान में मंकीपॉक्स के तीन मामले सामने आए थे। सभी खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के रहने वाले थे।
क्या है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स चेचक जैसी एक वायरल बीमारी है। आमतौर इस वायरस से संक्रमण के ज्यादा दुष्प्रभाव नहीं होते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह घातक हो सकता है। इसके चलते फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं और शरीर पर मवाद से भरे घाव हो जाते हैं। यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस फैमिली का ही मेंबर है, जो चेचक (स्मालपॉक्स) के लिए भी जिम्मेदार है।
WHO ने मंकीपॉक्स को हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 14 अगस्त को मंकीपॉक्स को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। यह दो साल में दूसरी बार है, जब इस बीमारी को हेल्थ इमरजेंसी बताया गया है।
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, मंकीपॉक्स की शुरुआत अफ्रीकी देश कांगो से हुई थी। अफ्रीका के दस देश इसकी गंभीर चपेट में हैं। इसके बाद ये तेजी से पड़ोसी देशों में फैली।आशंका है कि यह दुनिया के दूसरे देशों में भी फैल सकती है।
कोरोना की तरह यह विमान यात्रा और ट्रैवलिंग के दूसरे साधनों से दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैल रही है। WHO इसलिए भी चिंतित है क्योंकि मंकीपॉक्स के अलग-अलग प्रकोप में मृत्यु दर अलग-अलग देखी गई है। कई बार तो यह 10% से भी अधिक रही है।
भारत में 2022 से मंकीपॉक्स के 30 केस मिले
WHO के मुताबिक, 2022 के बाद से वैश्विक स्तर पर 116 देशों में मंकीपॉक्स के 99,176 मामले और 208 मौतें दर्ज की गई हैं। इस साल अब तक 15,600 से अधिक मामले और 537 मौतें दर्ज की गई हैं। 2022 के बाद से भारत में मंकीपॉक्स के तीस मामले सामने आए हैं। आखिरी मामला मार्च 2024 में सामने आया था। भारत में मंकीपॉक्स की जांच के लिए 32 लेबोरेटरी हैं।
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पहली बार मंकीपॉक्स 1958 में खोजा गया था। तब डेनमार्क में रिसर्च के लिए रखे दो बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण सामने आए थे। इंसानों में इसका पहला मामला 1970 में कॉन्गों में 9 साल के बच्चे में पाया गया। आम तौर पर ये बीमारी रोडेंट्स यानी चूहे, गिलहरी और नर बंदरों से फैलती है। पूरी खबर पढ़ें…