इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अलीगढ़ के क्वार्सी थाना क्षेत्र में सुबह नौ बजे अपने घर आ रही लड़की को बाइक सवार दो लड़कों द्वारा फब्ती कसने व पकड़कर बाइक पर बैठाने की कोशिश करने की घटना भयमुक्त समाज व गुड गवर्नेंस के सिद्धांत के विरूद्ध है।
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कोर्ट ने कहा उसकी चीख सुनकर उसके भाई व अन्य लोग बचाने न पहुंच ग्ए होते तो ऐसी दूसरी घटना हो सकती थी, जो मानवता व समाज के लिए शर्मनाक होती। कोर्ट ने आरोपी याची के कृत्य की गंभीरता और उपलब्ध सबूतों को देखते हुए जमानत देने से इंकार कर दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने सफी उर्फ साबी की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है।
मालूम हो की पीड़िता 19 जुलाई 24 को सुबह नौ बजे घर आ रही थी। उसी समय दो लड़के साबी व ताबिश मोटरसाइकिल पर आए और फब्ती कसी। याची ने दूसरे से कहा उठाकर बैठा ले। उसने पकड़कर बैठाने की कोशिश की। उसे लेने आ रहा भाई मौके पर आ गया और कुछ अन्य लोगों ने शोर सुनकर पीड़िता को बचाया और ताबिश को मौके पर पकड़ लिया। किन्तु याची मोटरसाइकिल लेकर भाग गया। सह अभियुक्त ने याची का नाम बताया और 20 जुलाई को पुलिस ने गिरफ्तार कर याची को जेल भेज दिया।
पीड़िता ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 180, व 183 में बयान दर्ज कराया और घटना का तफसील से ब्योरा दिया है। जिसमें याची को पूरी तरह से शामिल पाया गया है। पीड़िता ने कहा है कि अभियुक्त के गले व हाथ में टैटू है। वह पहचान सकती है। कोर्ट ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए याची को जमानत देने से इंकार कर दिया ।