Mokshada Ekadashi and Geeta Jayanti on 11th December, significance of mokshda ekadashi, lord krishna story in hindi, | मोक्षदा एकादशी और गीता जंयती 11 दिसंबर को: श्रीकृष्ण की सीख: कर्म न करना भी एक कर्म है, सुख-शांति चाहते हैं तो सही कर्म करते रहें

गीता के तीसरे अध्याय के पांचवें श्लोक में श्रीकृष्ण कहते हैं कि-

न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्।

कार्यते ह्यश: कर्म सर्व प्रकृतिजैर्गुणै:।।

अर्थ – श्रीकृष्ण कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति एक पल भी कर्म किए बिना नहीं रह सकता है। हर एक जीव प्रकृति के अधीन है और प्रकृति अपने अनुसार सभी जीवों से कर्म करवाती है।

कर्म के अनुसार ही प्रकृति फल भी देती है। जो लोग असफलता या बुरे परिणामों के डरकर ये सोचते हैं कि हम कुछ नहीं करेंगे तो हमारे साथ कुछ बुरा नहीं होगा, ये सोचना गलत है।

कुछ भी न करना भी, कर्म ही है और इसका कर्म फल हानि और अपयश के रूप में मिल सकता है।
इसीलिए आलस छोड़कर सकारात्मक सोच के साथ काम करते रहना चाहिए। अपनी क्षमता, समझदारी के अनुसार ईमानदारी से कर्म करते रहेंगे तो जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी।

जो लोग धर्म के अनुसार कर्म करते हैं, उन्हें सफलता जरूर मिलती है।

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