Mokshada Ekadashi and Geeta Jayanti on 11th December, Lord krishna lesson, krishna ki nitiya, geeta saar | मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती आज: भगवान का ध्यान करते हुए अपने कर्म भी करें; श्रीकृष्ण की बातें ध्यान रखेंगे तो दूर हो सकते हैं सभी दुख

क्यों व्यर्थ चिंता करते हो? किससे डरते हो?
कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा न पैदा होती है और न ही मरती है।
जो हुआ, अच्छा हुआ और जो हो रहा है, वह भी अच्छा हो रहा है।
जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा। बीते समय का पश्चाताप नहीं करना चाहिए और भविष्य की चिंता नहीं करनी चाहिए। वर्तमान पर ध्यान देना चाहिए।
तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो? तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया था, जिसका नाश हो गया?
तुम कुछ लेकर नहीं आए, जो लिया है, यहीं से लिया है। जो दिया है, यहीं पर दिया है। जो लिया, भगवान से लिया। जो दिया, भगवान को ही दिया।
खाली हाथ आए हैं और खाली हाथ चले जाएंगे। जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का था, परसों किसी और का होगा।
तुम इसे अपना समझ कर प्रसन्न हो रहे हो। सभी दुखों की वजह यही प्रसन्नता है।
परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही जीवन का सत्य है। एक पल में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही पल में तुम दरिद्र हो जाते हो।
मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया, ऐसे भाव छोड़ दो, फिर सब कुछ तुम्हारा होगा और तुम सबके बन जाओगो।
न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो। यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से बना है और ये इसी में मिल जाएगा। लेकिन हमारी आत्मा स्थिर है, फिर तुम क्या हो?
तुम अपने आपको भगवान के अर्पित करो। यही सबसे अच्छा सहारा है। जो ये बात जानता है वह भय, चिंता, दुख से दूर रहता है।
जो कुछ भी तू करता है, उसे भगवान के अर्पण करता चल। ऐसा करने से जीवन में आनंद बना रहेगा।

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