36 मिनट पहले
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कल (बुधवार, 11 दिसंबर) मार्गशीर्ष (अगहन) मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसे मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ गीता का पाठ भी करना चाहिए। श्रीकृष्ण ने अगहन शुक्ल एकादशी पर अर्जुन का मोह, संदेह और सभी उलझनों को शांत करने के लिए गीता उपदेश दिया था। आज भी जो लोग गीता का पाठ करते हैं, उनके सभी मोह और पाप कर्म दूर हो जाते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, मोक्षदा एकादशी पर श्रीकृष्ण के गीता उपदेश से अर्जुन का मोहभंग हुआ था, ठीक इसी तरह मोक्षदा एकादशी व्रत करने से और गीता का पाठ करने से हमारी सभी उलझनें दूर हो सकती हैं। व्रत के शुभ फल से लोभ, मोह, द्वेष जैसी बुराइयां दूर होती हैं। इस एकादशी के व्रत से जाने-अनजाने में किए गए सभी पापों के फल नष्ट हो जाते हैं। ये व्रत कई यज्ञों के समान पुण्य फल देता है। जानिए मोक्षदा एकादशी से जुड़ी खास बातें…
- महाभारत युद्ध शुरू होने से ठीक पहले अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कहा कि वे रथ को लेकर कौरव पक्ष की चलें। श्रीकृष्ण ने रथ आगे बढ़ाया और कौरव पक्ष के सामने जाकर रोक दिया। कौरव पक्ष में अर्जुन ने भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य आदि लोगों को देखा तो युद्ध करने का विचार ही छोड़ दिया। अर्जुन मोह और संदेह में फंस गए थे।
- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया और अर्जुन के सभी मोह, उलझनें दूर कीं। उस दिन मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी थी। इस तिथि पर श्रीकृष्ण के मुख से गीता प्रकट हुई थी, इस कारण इस दिन गीता जयंती मनाई जाती है।
- मोक्षदा एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ महालक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। इनके साथ श्रीमद् भगवद् गीता की भी पूजा करें और ये ग्रंथ दान किसी को भी कर सकते हैं।
- जो लोग एकादशी व्रत करते हैं, उन्हें दिनभर निराहार रहना चाहिए और अगर दिनभर भूखे रहना संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं। भक्त दूध और फलों के रस का भी सेवन कर सकते हैं।
- इस व्रत पूजा-पाठ के साथ ही दान-पुण्य भी करना चाहिए। बुधवार को गर्म यानी ऊनी कपड़ों का दान करें। किसी गोशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें।
- गीता जयंती पर गीता का पाठ करें। गीता से जुड़े प्रवचन सुनें। किसी संत की भागवत कथा सुन सकते हैं। पूरे ग्रंथ का पाठ करने का समय न हो तो अपने समय के अनुसार इसके कुछ अध्यायों का पाठ कर सकते हैं।
- एकादशी और बुधवार के योग में भगवान गणेश की भी विशेष पूजा करें। गणेश जी को दूर्वा चढ़ाएं और मोदक का भोग लगाएं। ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करें।
- विष्णु पूजा में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप कम से कम 108 बार करना चाहिए। मंत्र जप के लिए तुलसी की माला का इस्तेमाल करेंगे तो बहुत शुभ रहेगा।
- एकादशी की सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं और शाम को तुलसी के पास दीपक जलाकर पूजा करें।
- इस व्रत पर भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप बाल गोपाल का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। अभिषेक केसर मिश्रित दूध करना चाहिए, दूध के बाद जल चढ़ाएं। हार-फूल और नए वस्त्रों से श्रृंगार करें। तुलसी के साथ माखन-मिश्री का भोग लगाएं। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें।