8 मिनट पहलेलेखक: वीरेंद्र मिश्र
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मिथुन चक्रवर्ती आज अपना 74वां बर्थडे मना रहे हैं। 16 जून 1950 को कोलकाता में जन्मे मिथुन दा बंगाली, हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़,ओडिया और भोजपुरी जैसी विभिन्न भाषाओं में 350 से अधिक फिल्में कर चुके हैं।
तीन बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और दो बार फिल्मफेयर पुरस्कार जीतने वाले मिथुन को हिंदी सिनेमा के इतिहास के सबसे सफल अभिनेताओं में से एक माना जाता है। उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। मिथुन चक्रवर्ती ने फिल्म ‘मृगया’ से अपने करियर की शुरुआत की। इस फिल्म के लिए डायरेक्टर मृणाल सेन ने उन्हें फिल्म इंस्टीट्यूट पूना से खोजा था।
उस दिन सभी छात्र डिप्लोमा और डिग्री के प्रमाण पत्र प्राप्त कर रहे थे, तभी मृणाल सेन की नजर मिथुन पर पड़ी जो बड़ी बेफिक्री के साथ कुछ खूबसूरत लड़कियों के साथ फ्लर्ट कर रहे थे। मिथुन का यह अंदाज मृणाल को पसंद आया और दो साल बाद उन्होंने अपनी इस फिल्म के लिए मिथुन को कास्ट किया।
इस फिल्म में शानदार अभिनय के लिए मिथुन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया, लेकिन दिल्ली जाकर अवॉर्ड लेने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। तब रेखा उन्हें अपना स्पॉटबॉय बनाकर ले गई थीं।
इस फिल्म के बाद भी मिथुन की आर्थिक स्थित बहुत खराब थी। उन दिनों एक पत्रकार उनका इंटरव्यू लेने गए तो उन्होंने पहले खाना खिलाने की शर्त रखी, उसके बाद इंटरव्यू दिए। आज मिथुन दा 347 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं।
फिल्मों में आने से पहले नक्सली थे
कोलकाता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से केमिस्ट्री में ग्रेजुएट करने के बाद मिथुन का झुकाव नक्सलवाद की तरफ हो गया था। वो परिवार को छोड़ नक्सलियों के साथ रहने लगे थे। उसी बीच एक दुर्घटना में उनके भाई की मृत्यु हो गई और वे अपने परिवार के पास वापस आ गए। किसी तरह खुद को और परिवार को संभाला और नक्सली दुनिया को छोड़ दिया।
पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट से एक्टिंग का कोर्स किया
मिथुन चक्रवर्ती 1974 बैच के भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (FTII) से पासआउट हैं। FTII में ही डायरेक्टर मृणाल सेन की नजर मिथुन पर पड़ी थी। लड़कियों के साथ फ्लर्ट करना मिथुन का अंदाज मृणाल को पसंद आया और दो साल बाद उन्होंने अपनी फिल्म ‘मृगया’ के लिए मिथुन को कास्ट कर लिया।
मिथुन ने ली थी शक्ति कपूर की रैगिंग
मिथुन चक्रवर्ती FTII में शक्ति कपूर के सीनियर थे। एक इंटरव्यू के दौरान शक्ति कपूर ने बताया था कि मिथुन ने उनकी खूब रैगिंग की थी। मिथुन घंटों तक उनकी रैगिंग किया करते थे। उनकी हालत ऐसी हो गई थी कि मिथुन से गिड़गिड़ाते हुए माफी मांगी थी।
शक्ति कपूर ने कहा- एक बार उन्होंने कहा कि इसके बाल बहुत अच्छे हैं। कॉलेज में हीरो की तरह आया है। चलो इसके बाल काटते हैं। उन्होंने कैंची ली और मेरे बाल काट दिए। मैं बंदर जैसा लग रहा था। मैं रोने लगा और मैंने उनके पैर पकड़ लिए।
FTII से आने के बाद काम नहीं मिला तो बदलकर स्पॉटबॉय बन गए
यह बात तो सबको पता कि मिथुन का असली नाम गौरांग चक्रवर्ती है। फिल्मों में आने के बाद उन्होंने अपना नाम मिथुन चक्रवर्ती रख लिया था। एफटीआईआई से निकलने के बाद जब काम नहीं मिला तो कुछ समय के लिए उन्होंने अपना नाम राणा रेज रख लिया था। कुछ समय तक वो एक्ट्रेस हेलन के स्पॉटबॉय के तौर पर भी काम करने लगे थे।
रेखा का स्पॉटबॉय बनकर नेशनल अवॉर्ड लेने पहुंचे
FTII से पासआउट होने के दो साल बाद डायरेक्टर मृणाल सेन की फिल्म ‘मृगया’ में मिथुन को काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में शानदार अभिनय के लिए मिथुन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया, लेकिन अवॉर्ड को लेने के लिए दिल्ली जाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। उन दिनों रेखा दिल्ली में फिल्म की शूटिंग करने जा रही थीं। उन्होंने अपना स्पॉटबॉय बनाकर फ्लाइट में उनका टिकट बुक करवाया और मिथुन को लेकर दिल्ली गईं।
इंटरव्यू लेने गए पत्रकार से कहा- पहले खाना खिलाओ
स्ट्रगल के दौरान ऐसा कई बार हुआ, जब मिथुन ने भूखे पेट रातें गुजारीं। पहली फिल्म ‘मृगया’ के बाद भी उन्हें स्ट्रगल करना पड़ा। नेशनल अवॉर्ड मिलने के बाद जब एक पत्रकार उनका इंटरव्यू लेने पहुंचा तो भूख के मारे आवाज नहीं निकल रही थी। उन्होंने पत्रकार से कहा कि पहले खाना खिलाओ फिर इंटरव्यू देंगे।
सांवले रंग की वजह से हीरोइनें साथ काम करने के लिए तैयार नहीं थीं
मृगया के बाद मिथुन ने ‘दो अनजाने’ जैसी फिल्मों में छोटी-मोटी भूमिकाएं निभाईं। 1979 में रिलीज फिल्म ‘सुरक्षा’ ने मिथुन को सुपरस्टार बना दिया। इस फिल्म के बाद जाने-माने प्रोड्यूसर और डायरेक्टर की लाइन लग गई, लेकिन उस दौर की स्थापित अभिनेत्रियां मिथुन के सांवले रंग की वजह से उनके साथ काम नहीं करना चाहती थीं।
हीरोइनों को लगता था कि कभी हीरो नहीं बन पाऊंगा
मिथुन चक्रवर्ती खुद इस बात का जिक्र कई इंटरव्यू में कर चुके हैं कि उनके साथ बड़ी हीरोइनें काम करने को तैयार नहीं थीं। मिथुन ने कहा- उन्हें लगता था मैं एक छोटा कलाकार हूं। लोगों को इस पर शक था कि मैं कभी हीरो बन पाऊंगा। अक्सर हीरोइनें फिल्म के अनाउंसमेंट के बाद बाहर हो जाती थीं। इन सबके बारे में सोचकर आज भी दुख होता है।
जीनत अमान ने थामा था मिथुन चक्रवर्ती का हाथ
उस जमाने में जीनत अमान अपने समय की नंबर 1 हीरोइन थीं। उन्होंने मिथुन का साथ दिया। जीनत के साथ मिथुन की फिल्म ‘तकदीर’ रिलीज हुई। इस फिल्म के बाद मिथुन ए कैटेगरी के हीरो में आ गए। जो हीरोइनें मिथुन के साथ काम नहीं करना चाह रही थीं, सबने उनके साथ काम किया। मिथुन कहते हैं- मैं जीनत जी का हमेशा शुक्रगुजार रहूंगा।’
दंगों के दौरान मसीहा बने मिथुन
मिथुन चक्रवर्ती जितने बेहतरीन और उम्दा कलाकार हैं, उतने ही अच्छे इंसान भी हैं। बिना किसी स्वार्थ और लालच के उन्होंने कइयों की मदद की है। वह सबके प्रिय और जमीन से जुड़े हुए इंसान हैं। भूतनाथ के निर्देशक विवेक शर्मा उन दिनों असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम करते थे। उन्होंने बताया कि किस तरह मिथुन 93 ब्लास्ट के बाद मुंबई में भड़के दंगों के दौरान उन लोगों के लिए मसीहा बनकर खड़े हो गए थे।
असिस्टेंट्स के लिए खुलवा दिए स्टूडियों के मेकअप रूम
विवेक शर्मा ने बताया- उन दिनों की बात है जब 93 ब्लास्ट के बाद मुंबई में दंगे भड़क गए। उन दिनों मैं ‘तड़ीपार’ फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर था। जितने भी लोग दूर से आते थे, सबके रुकने की व्यवस्था मिथुन दा ने कमालिस्तान के स्टूडियो के मेकअप रूम में ही करवा दी, ताकि किसी को कोई परेशानी न हो, क्योंकि उन दिनों ऐसा माहौल था कि अगले पल कब क्या हो जाए, पता नहीं।
लोगों को बदलते देखा, लेकिन मिथुन दा नहीं बदले
विवेक शर्मा ने आगे कहा- मिथुन दा जमीन से जुड़े हुए इंसान हैं। मैंने इंडस्ट्री में बहुत लोगों को बदलते देखा है, लेकिन मिथुन दा कभी नहीं बदले। वह फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज के चेयरमैन भी रह चुके हैं। उस दौरान उन्होंने वर्कर्स के हितों के लिए बहुत सारे काम किए। जब भी वह मजदूर यूनियन के चुनाव में खड़े हुए तो उनकी एकतरफा जीत हुई।
गरीबों का अमिताभ कहे जाने पर मिथुन का रिएक्शन
अस्सी के दशक में मिथुन को गरीबों का अमिताभ बच्चन कहा जाता था। इस पर रिएक्शन देते हुए मिथुन ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा- यह मेरी अब तक की सबसे बड़ी तारीफ है। अमिताभ सदी के सबसे बड़े स्टार हैं। अमिताभ बड़े बैनर की फिल्में करते थे और मैं छोटी बजट की फिल्में करता था। बजट के हिसाब से दोनों फिल्मों की कमाई हो जाती थी।
तीन बार मिला नेशनल अवॉर्ड
मिथुन चक्रवर्ती को पहला नेशनल अवॉर्ड उनकी डेब्यू फिल्म ‘मृगया’ के लिए मिला था। बुद्धदेव दासगुप्ता की बंगाली फिल्म ‘तहादेर कथा’ के लिए दूसरा नेशनल अवॉर्ड मिला। इस फिल्म में मिथुन ने फ्रीडम फाइटर की भूमिका निभाई थी।
तीसरा नेशनल अवॉर्ड फिल्म ‘स्वामी विवेकानंद’ के लिए मिला। इस फिल्म में मिथुन ने रामकृष्ण परमहंस की भूमिका निभाई थी। यह फिल्म किन्हीं कारणों से सिनेमाघरों में रिलीज नहीं हो सकी। इसका प्रीमियर दूरदर्शन पर हुआ था।
कोई एक्टर नहीं तोड़ पाया मिथुन का रिकॉर्ड
मिथुन चक्रवर्ती की 1989 में 19 फिल्में रिलीज हुई थीं। एक्टर ने अपना नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज करवाया था। इस बात को तकरीबन 35 साल हो गए हैं, लेकिन आज तक कोई भी एक्टर इस रिकॉर्ड को तोड़ नहीं पाया है।
100 करोड़ के क्लब में एंट्री लेने वाली मिथुन की पहली फिल्म
फिल्म ‘डिस्को डांसर’ से मिथुन चक्रवर्ती को न सिर्फ सुपरस्टारडम मिला, बल्कि यह इंडियन सिनेमा की पहली ऐसी फिल्म है, जिसने 100 करोड़ रुपए की कमाई कर इतिहास रच दिया था। 100 करोड़ के क्लब में एंट्री लेने वाली मिथुन की यह पहली फिल्म थी।
मिथुन चक्रवर्ती की नेटवर्थ
आज मिथुन दा 347 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक हैं। जिसमें मुंबई, कोलकाता के बंगलों के अलावा ऊटी में एक फार्महाउस भी शामिल है। वो मोनार्क ग्रुप ऑफ होटल्स के CEO हैं। ऊटी में उनके होटल मोनार्क में 59 कमरे, चार लग्जरी सुइट्स, एक फिटनेस सेंटर और एक इनडोर स्विमिंग पूल जैसी सुविधाएं हैं।
मिथुन के गाड़ियों के कलेक्शन में फोर्ड एंडेवर और टोयोटा फॉर्च्यूनर भी है, जिनकी कीमत 1 करोड़ से ज्यादा है। इसके अलावा उनके पास 1975 की विंटेज कार मर्सिडीज बेंज है, जिसकी कीमत करीब 3 करोड़ रुपए है।